आतंकवादी है लारैंस गैंग
कनाडा अब भारत से रिश्ते सामान्य बनाने के लिए काफी सक्रिय है और हाल ही में उसने भारत की चिंता के बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए काम करना शुरू किया है। कनाडा ने अब लारैंस बिश्नोई गैंग को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित कर सकारात्मक कदम उठाया है। कौन नहीं जानता कि लारैंस बिश्नोई गैंग का नेटवर्क कनाडा, अमेरिका और कुछ अन्य देशों तक फैला हुआ है जो हत्याओं, फायरिंग, जबरन वसूली जैसे संगठित अपराधों में संलिप्त है। आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने के बाद कनाडा में इसकी सम्पत्ति जब्त की जा सकती है और कानून पालक एजेंसियों को आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अधिक अधिकार मिल जाएंगे। कनाडा का यह कदम भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता है क्योंकि वही कनाडा है जिसने आरोप लगाया था कि भारत सरकार के एजेंट खालिस्तान समर्थक आंदोलन के नेताओं को निशाना बनाने के लिए बिश्नोई गैंग जैसे संगठित अपराध समूहों का इस्तेमाल कर रहा है। कनाडा के इस कदम में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पिछले दिनों अजीत डोभाल और कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नथाली ड्रीईन के बीच नई दिल्ली में गहन वार्ता हुई थी और दोनों देशों ने आतंकवाद और अन्तर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने में सहयोग पर सहमति जताई थी।
पिछले साल कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि उनकी सरकार के पास 2023 में कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के 'विश्वसनीय आरोप' हैं, जिसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था। भारत ने इन आरोपों को 'बेतुका और 'प्रेरित' बताते हुए जोरदार खंडन किया था। जवाब में, भारत ने छह राजनयिकों को वापस बुला लिया, जिसमें कनाडा में उसके उच्चायुक्त भी शामिल थे, क्योंकि उन्हें हत्या की जांच कर रहे कनाडाई अधिकारियों की ओर से 'पर्सन ऑफ इंटरेस्ट' करार दिया गया था। भारत ने भी कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया, जिसमें कनाडा के भारत में उच्चायुक्त भी शामिल थे।
लारैंस बिश्नोई जुर्म की दुनिया का बड़ा नाम है जिसे सोशल मीडिया पर काफी सर्च किया जाता है। उसके अपराधी कनैक्शनों की चर्चा पूरी दुनिया में है। लारैंस बिश्नोई ऐसा गैंग लीडर है जो 2015 से भारत की जेल में है। उसे पंजाब से दूर गुजरात की जेल में रखा गया है। जेल में रहते हुए भी उसका दुस्साहसिक प्रभाव अभी भी कायम है। बिश्नोई पंजाब के लोकप्रिय गायक रहे सिद्धू मूसेवाला की सनसनीखेज हत्या का आरोपी है जिसकी मई 2022 में पंजाब में उसके गांव के निकट गोली मारकर हत्या कर दी थी। बालीवुड स्टार सलमान खान को खुलेआम धमकियां देने और उसके घर पर की गई फायरिंग के मामले में चर्चित लारैंस पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में 700 शूटरों वाले गैंग को कंट्रोल करता है। बिश्नोई गैंग का संबंध कनाडा में बैठे गैंगस्टरों और खालिस्तान समर्थक तत्वों से है। इसका साथी गोल्डी बराड़ कनाडा में बैठकर गिरोह का संचालन करता है। मूसेवाला हत्याकांड में भी गोल्डी बराड़ सह अभियुक्त है। गोल्डी बराड़ कनाडा से रिमोट कंट्रोल के जरिए भारत में वारदातें कराता है। यह गिरोह मशहूर हस्तियों, पूंजीपतियों से जबरन वसूली, ड्रग्स, हथियारों की तस्करी और टारगेट किलिंग में शामिल है। महाराष्ट्र के राजनेता बाबा सिद्दिकी आैर उनके बेटे की हत्या में भी लारैंस बिश्नोई गैंग का हाथ है। कनाडा में कॉमेडियन कपिल शर्मा के रेस्टोरेंट पर फायरिंग में भी इसी गिराेह का हाथ है। हैरानी की बात तो यह है कि पिछले वर्ष मार्च में एक न्यूज चैनल ने जेल के भीतर से बिश्नोई के दो इंटरव्यू प्रसारित किए थे। एक उच्च सुरक्षा वाले कैदी ने जेल से फोन पर इंटरव्यू कैसे दिए यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है।
एक अमीर और साधन सम्पन्न परिवार में जन्मा बिश्नोई चंडीगढ़ का छात्र राजनीति में चुनाव हारकर अपराध की दुनिया में कैसे पहुंचा यह एक लंबी कहानी है। धीरे-धीरे पंजाब गैंग लैंड बनाता गया। ड्रग्स रियल एस्टेट और अवैध शराब की बिक्री से पोषित नकदी आधारित अर्थव्यवस्था ने गैंगस्टरों को प्रमोट िकया। कई गैंगस्टर सोशल मीडिया पर अपनी जिंदगी का प्रदर्शन अनालाइन करते रहे हैं और पंजाब में अपराध जल्द पैसा कमाने और ग्लैमर का जरिया बन गया। कनाडा के अलबर्टा और ब्रिटिश कोलंबिया की सरकारें बिश्नोई गैंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग पहले से ही कर रही थी। कनाडा में इस गैंग ने दक्षिण एशियाई समुदाय को आतंकित कर रखा है आैर यह गैंग अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान नहीं करता। कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का खालिस्तानी प्रेम किसी से छिपा हुआ नहीं रहा। उनकी सत्ता बदलने के बाद प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारत की चिंताओं पर ध्यान देना शुरू किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों और टैरिफ लगाए जाने के बाद कनाडा को पुराने विवाद भुलाकर भारत से रिश्ते मधुर बनाने को मजबूर होना पड़ा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो दिन पहले ही कनाडा की विदेश मंत्री भारतीय मूल की अनीता आनंद से मुलाकात की। दोनों ने राजनयिकों की फिर से तैनाती पर सहमति जताई। अनीता आनंद ने भगवद् गीता हाथ में लेकर विदेश मंत्री पद की शपथ ली थी। अगले महीने अनीता आनंद भारत आ रही है। उम्मीद की जाती है कि दोनों के संबंध अब फिर से मधुर हो जाएंगे क्योंकि दोनों देशों के हित आपस में जुड़े हुए हैं।