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Israel, Palestine के नेता लगातार भारत के संपर्क में: राजदूत कंबोज

02:40 PM Jan 10, 2024 IST | Prakash Sha

भारत ने कहा है कि वह Israel और Palestine के नेताओं के साथ निकट संपर्क में है और जब से मध्य पूर्व संकट शुरू हुआ है, उसका "स्पष्ट" संदेश मानवीय सहायता के वितरण को सुविधाजनक बनाने के लिए तनाव को बढ़ने से रोकना और शांति  एवं स्थिरता की शीघ्र वापसी की गारंटी देना भी है।

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Highlights:

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में कहा, ‘‘इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष से बड़े पैमाने पर नागरिकों विशेषकर महिलाओं और बच्चों की जान गई है और इसके एक खतरनाक मानवीय संकट पैदा हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है और हमने नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा की है।’’ उन्होंने कहा कि भारत इस बात से अवगत है कि इसका तात्कालिक कारण सात अक्टूबर को इजराइल में हुए आतंकवादी हमले थे। हमले बेहद चौंकाने वाले थे और ‘‘हम स्पष्ट तौर पर इसकी निंदा करते हैं। भारत का आतंकवाद के प्रति बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने का दृष्टिकोण रहा है। आतंकवाद और बंधक बनाने को जायज नहीं ठहराया जा सकता है।’’

कंबोज ने कहा कि भारत बंधक बनाए गए लोगों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग करता है। कंबोज ने 193 सदस्यीय यूएनजीए को बताया कि ‘‘भारत का नेतृत्व इजराइल और फलस्तीन सहित क्षेत्र के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस संघर्ष की शुरुआत के बाद से भारत का संदेश स्पष्ट है। मानवीय सहायता की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने और शांति एवं स्थिरता की शीघ्र बहाली की दिशा में काम करने के लिए तनाव को रोकना महत्वपूर्ण है। बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।’’

कंबोज ने मंगलवार को बुलाई गई महासभा की बैठक को संबोधित किया। पूरे गाजा पट्टी में मानवीय सहायता की आपूर्ति को लेकर 22 दिसंबर, 2023 को सुरक्षा परिषद में पेश एक प्रस्ताव में रूस द्वारा प्रस्तावित संशोधन पर अमेरिका द्वारा वीटो का इस्तेमाल किए जाने के बाद महासभा की ये बैठक बुलाई गई थी। परिषद ने संयुक्त अरब अमीरात द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव को अंगीकार किया था, जिसमें पूरे गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने की मांग की गई थी लेकिन युद्धविराम का आह्वान नहीं किया गया। कई दिनों की गहन बातचीत और मतदान में देरी के बाद परिषद ने प्रस्ताव को अंगीकार किसा, जिसके पक्ष में 13 वोट पड़े, विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा और रूस और अमेरिका ने इसमें भाग नहीं लिया।

 

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