टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

अर्जुन को उसके हाल पर छोड़ दो

क्रिकेट पंडितों का मानना है कि अर्जुन मे अच्छे खिलाड़ी के तमाम गुण हैं लेकिन पिता की महानता का दबाव झेलने मे वह कहाँ तक सफल रहता है, यह देखने वाली बात होगी।

11:52 AM Jul 22, 2018 IST | Desk Team

क्रिकेट पंडितों का मानना है कि अर्जुन मे अच्छे खिलाड़ी के तमाम गुण हैं लेकिन पिता की महानता का दबाव झेलने मे वह कहाँ तक सफल रहता है, यह देखने वाली बात होगी।

नई दिल्ली : यह जरूरी नहीं कि बड़े और चैम्पियन खिलाड़ी का बेटा भी बड़ा खिलाड़ी बने। ऐसे बहुत से खिलाड़ी हुए हैं जिन्होने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया और नाकाम रहे। महान बल्लेबाज और भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों तक पहुँचाने वाले सुनील गावस्कर और उनके बेटे रोहन गावस्कर का उदाहरण लें। रोहन को लगातार मौके मिले। कुछ एक अवसरों पर अच्छा प्रदर्शन किया पर अपने पिता के आस-पास भी नहीं पहुँच पाए।

Advertisement

तब बहुत से क्रिकेट जानकारों और समीक्षकों ने कहा कि रोहन पिता की महानता के बोझ तले दब कर रह गये। कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन को भी करना पड़ सकता है। क्रिकेट पंडितों का मानना है कि अर्जुन मे एक अच्छे खिलाड़ी के तमाम गुण हैं लेकिन पिता की महानता का दबाव झेलने मे वह कहाँ तक सफल रहता है, यह देखने वाली बात होगी। जानकारों का तो यह भी कहना है कि मीडिया का एक खास वर्ग अर्जुन को उसके लक्ष्य से भटका सकता है या उसे मंजिल तक पहुँचने से पहले ही डिगा सकता है।

यदि अर्जुन यशस्वी पिता की संतान न होते तो श्रीलंका अंडर 19 के विरुद्ध खेलते हुए उनके द्वारा लिए गये एक विकेट की शायद ही कोई चर्चा होती और शून्य पर आउट होने पर भी मोटे अक्षरों मे खबर ना छापी जाती। बेशक, मीडिया की यह करतूत एक उभरते खिलाड़ी पर भारी पड़ सकती है। सचिन के बेटे होने पर हर अच्छे बुरे प्रदर्शन को अपने पैमाने से तोलने वाला आखिर मीडिया होता कौन है? सचिन ने तो कभी मीडिया से उसकी सिफारिश नहीं की और वह करेंगे भी नहीं। उन्हें अपने कद का आभास है।

लेकिन प्रचार माध्यमों को कब समझ आएगी? जरूरत अर्जुन को उसके हाल पर छोड़ने की है। वह पिता के कंधे या मीडिया के भद्देपन के दम पर आगे कदापि नहीं बढ़ना चाहेगा। अत: बेहतर यह होगा कि उसे उसके हाल पर छोड़ दिया जाए। वरना एक और बचपन पिता की महानता के बोझ तले सिसक कर रह जाएगा।

(राजेंद्र सजवान)

Advertisement
Next Article