आइए प्रदूषण से बचें
यह एक डराने वाला सच है कि आज प्रदूषण जिस खतरनाक स्तर पर पहंुच चुका है उसे देखकर लोग दिल्ली को सवालों के घेरे में रखने लगे हैं।
04:34 AM Nov 17, 2019 IST | Kiran Chopra
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यह एक डराने वाला सच है कि आज प्रदूषण जिस खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है उसे देखकर लोग दिल्ली को सवालों के घेरे में रखने लगे हैं। वायु शुद्धता इंडैक्स के मुताबिक शुद्ध सांस लेने के लिए हमें यह लेवल 50 से 100 तक चाहिए परन्तु माफ करना यह लेवल अब 300 और 400 के पार पहुंच चुका है। हर रोज स्कूल बंद हो रहे हैं। दिल्ली को दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर घोषित कर दिया गया है तो हमें खुद भी उपाय करना होगा लेकिन हो क्या रहा है कि प्रदूषण को लेकर छुट्टियां बहुत ज्यादा हो रही हैं, इसका मजा लेने के लिए बच्चों के हाथ से लिखा हुआ एक निबंध वायरल किया जा रहा है। मुझे अपना बचपन याद आ रहा है।
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जब हम स्कूल और कॉलेज में पढ़ते थे तो अक्सर शाम को जब सब्जी बनती तो हम उन कच्ची सब्जियों को रसोई में जाकर खाना शुरू कर देते थे। चाहे वह मटर के दाने हों, शिमला मिर्च हो, गोभी हो या बंद गोभी हो। मूली और गाजर तो खैर उस समय कच्ची खाने के लिए ही बनी थी। हम लोग तो शकरकंदी तक कच्ची खा लेते तो हमारी मां प्यार भरी डांट सुनाते और कहती कि अगर सब्जियां कच्ची खा लोगे तो मैं सब्जी क्या बनाऊंगी।
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यकीन मानिए आज के प्रदूषण भरे और दमघोंटू वातावरण के बीच कच्ची सब्जियां खाने की गुजरिश डा. लोग करने लगे हैं। कुछ दिन पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के ट्वीटर हैंडल पर प्रदूषण और जहरीली हवा से बचने के लिए गाजर खाने के साइंटीफिक रिजन दिये गये हैं। ऐसे लगा कि हमारे वो स्कूल- कालेज के दिन सही थे जब हम कच्ची सब्जियां खाते थे और स्वस्थ रहते थे।
अक्सर नवंबर और दिसंबर आते ही सुबह और शाम को धुंध के बीच से हम गुजरते थे। जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी बताई जाती थी लेकिन आज जो धुंध है वह पराली जलने और वाहनों के ज्यादा इस्तेमाल से उत्पन्न गैसों के कारण है। सामाजिक संगठनों से जुड़ी होने के कारण प्रदूषण को लेकर होने वाली डिबेट में मुझसे भी बाइट्स लिये जाते हैं तो मैं उनसे साफ कहने लगी हूं कि हरी सब्जियां कच्ची खाइये और प्रदूषण से दूर रहिए।
आज के समय में हमारा यूथ जंक फूड की तरफ भाग रहा है। पिज्जा, बर्गर, मोमोज के अलावा नूडल जैसे फटाफट सनैक्स यूथ के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं और चक्की का पिसा कनक और मक्की का आटा तथा मिस्सी रोटी घर की रसोई से गायब हो रही है। हमारा पुराना खानपान बहुत स्वास्थ्यवर्धक था।
उस दिन मैं अपने सहयोगी से कुछ हरी सब्जियों और उनके प्रयोग को लेकर बात कर रही थी और इनके फायदे पर चर्चा कर रही थी कि गुड़ की चर्चा चल निकली। गर्मी और सर्दी नियमित रूप से गुड़ खाने का रिवाज था जो कि हमारे खाने को हजम करता है यहां तक कि सर्दियां और गर्मियां दोपहर को काली और लाल गाजरों की कांजी के रिवाज की बातें आम थी परंतु अब सब कुछ खत्म हो चला है।
हरी सब्जियां हमारे इम्यून सिस्टम को बढ़ाती हैं। इम्यून सिस्टम का मतलब बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिन लोगों ने बचपन में हरी सब्जियां नहीं खाई या प्रोटीन अर्थात दालों का सही सेवन नहीं किया उन्हें आगे चलकर दिक्कतें उठानी पड़ सकती हैं। एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार हमारी जीवनशैली में पीने का पानी बहुत कम हो गया है। लोग पानी ही बहुत कम पीते हैं। कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन बढ़ गया है।
पुरानी देशी चीजों में जो ताकत थी वह हमें शारीरिक रूप से मजबूत बनाती थी। आज मजाक में हम कहते हैं कि क्या चल रहा है तो जवाब मिलता है कि फोग चल रहा है, सचमुच जहरीला फोग ही हर तरफ चल रहा है। यह कड़वा सच हमारी जिंदगी की हकीकत बन रहा है। प्रदूषण को लेकर भले ही सरकारों के बीच में युद्ध चल रहा हो, सुप्रीम कोर्ट सख्त टिप्पणियां कर रहा हों लेकिन यह भी कड़वा सच है कि पंजाब, हरियाणा और यूपी में अगर पराली जलाई जाती है तो दिल्ली में आज भी कचरा जलाया जाता है।
अगर अमरीकी रिपोर्ट और भारतीय डाक्टरों के अलावा हमारे बड़े ही प्यारे केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन हरी सब्जियों के सेवन करने की अपील पूरी दुनिया को कर रहे हैं तो इसका स्वागत और सम्मान किया जाना चाहिए। प्रदूषण से बचने के इस कारगर तरीके के लिए हमें और विशेष रूप से नई पीढ़ी को तैयार रहना चाहिए।
मैं तो सरकार को सुझाव देना चाहूंगी कि हरी सब्जियों का सेवन करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ दिया जाना चाहिए। अगर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया जा सकता है, योग पर अभियान चलाया जा सकता है तो प्रदूषण के खिलाफ जंग के लिए हरी सब्जियां खाओ अभियान भी चलाया जा सकता है।
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