Maa Chandraghanta Vrat Katha: मां चंद्रघंटा की इस कथा को सुनने से चमक उठेगा आपका भाग्य, बरसेगी माता की कृपा
Maa Chandraghanta Vrat Katha: नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में काफी खास और पवित्र होता है। नवरात्रि में पूरे नौं दिनों तक मां दुर्गा के नौं दिव्य रूपों की पूजा की जाती है। इस दिन सभी भक्त व्रत रखते हैं और मां दुर्गा की अराधना करते हैं। नवरात्रि के समय लोग रामलीला का भी आयोजन भी करते हैं। नवरात्रि में पूरे 9 से 10 दिनों तक माता का भव्य दरबार सजा रहता है। इस साल 2025 में नवरात्रि 22 सितंबर सोमवार से शुरू हो गई है और आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है।
यह दिन मां मां दुर्गा के नौं रूपों में से एक मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) को समर्पित है। इस दिन सभी भक्त मां चंद्रघंटा की विधि-विधान से पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। मां चंद्रघंटा का यह रूप दुर्गा के नौं रूपों में से एक है। यानी माता का यह रूप नवदुर्गा में से एक है। माता का यह रूप बहुत ही दिव्य और चमत्कारी है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप स्वर्ण के समान है। इसी कारण माता को चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है। आज नवरात्रि के तीसरे दिन आप माता की कथा का पाठ करेंगे तो माता आपको अति प्रसन्न होंगी।
Maa Chandraghanta Vrat Katha: तीसके दिन सुने मां चंद्रघंटा की ये कथा
इस कथा के अनुसार एक बार महिषासुर नामक राक्षस पृथ्वी और स्वर्गलोक पर अपनी शक्ति और क्रूरता का आतंक फैला रहा था। इसके पीछे का कारण यह था कि राक्षस महिषासुर ने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या करके उनसे यह वरदान मांगा था कि कोई पुरुष, देवता या दानव उसका वध नहीं कर पाएगा। इस वारदान को पाकर वह काफी अहंकारी और निर्भीक बन गया था। वरदान मिलते ही राक्षस महिषासुर ने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया। उसके आतंक से लोग अपनी जान बचाकर भाग जाते थे। अब वही हाल स्वर्गलोक में भी देखने को मिला।
जब महिषासुर ने स्वर्गलोक पर आक्रमण किया। महिषासुर ने देवराज इंद्र को युद्ध में परास्त कर दिया और सभी देवताओं को स्वर्ग से बाहर खदेड़ दिया। उसने स्वयं स्वर्गलोक का राजा बनकर देवताओं को दास बना लिया। देवताओं को अपने राज्य से निष्कासित होकर पृथ्वी पर भटकना पड़ा। इससे परेशान होकर सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे। सभी ने उनसे प्रार्थना की। सभी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से उन्हें महिषासुर के आतंक से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। सभी देवताओं की ऐसी दुर्दशा देखकर त्रिदेवों को महिषासुर पर अत्यधिक क्रोध आया। तीनों भगवानों के तेज से एक देवी की उत्पत्ति हुई।
देवी का नाम चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) रखा गया और उन्होंने महिषासुर का अंत करने के लिए उसके साम्राज्य की ओर प्रस्थान किया। इसके बाद पूरे ब्रह्मांड को कंपा देने वाला युद्ध शुरु हुआ। देवी चंद्रघंटा के घंटे की भयंकर ध्वनि ने पूरे ब्रह्मांड को कंपकंपा दिया। घंटे की गर्जना सुनकर महिषासुर और उसकी सेना काफी भयभीत भी हुई। देवी चंद्रघंटा ने अपनी सिंह की गर्जना और घंटे की ध्वनि से ही उनकी सेना को तितर-बितर कर दिया। देवी ने एक-एक करके महिषासुर के सभी सेनापतियों का वध कर दिया।
अपनी सेना का खात्मा होते देखकर महिषासुर स्वयं युद्ध के मैदान में उतर आया। अंत में, देवी चंद्रघंटा ने महिषासुर के वास्तविक रूप को पहचान लिया और अपने त्रिशूल से उसके हृदय पर वार किया। महिषासुर का अंत हो गया और उसके अत्याचारों से पृथ्वी और स्वर्गलोक को मुक्ति मिली। इस प्रकार, देवी चंद्रघंटा ने धर्म की स्थापना की और देवताओं को उनका राज्य वापस दिलाया। इसलिए विधि-विधान से इनकी तीसरे नवरात्रि में पूजा करते हैं।
Maa Chandraghanta Puja Vidhi: जानें कैसे करें देवी चंद्रघंटा की पूजा
1. स्नान करके साफ कपड़े पहनें
2. पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें
3. देवी चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें
4. प्रतिमा के सामने घी का दिया जलाएं
5. पूजा में देवी को धूप, दीप, चंदन, सिंदूर, पीले व लाल रंग के फूल आदि अर्पित करें
6. पूजा में अब मां चंद्रघंटा के मंत्र "ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः" का जप करें
7. अंत में मां की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें
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