Maa Kalratri Ki Aarti in Hindi: मां कालरात्रि की यह कथा दिलाएगी भय से मुक्ति, इस आरती और पूजा विधि से मिलेगा माता का आर्शीवाद
Maa Kalratri Ki Aarti in Hindi: नवरात्रि का पर्व भारत में शक्ति उपासना का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और पूजन-विधि होती है। नवरात्रि (Shardiya Navratri 2025) के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना की जाती है।
इन्हें “काली” और “महाकाली” (Maa Kaalratri) के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि माँ कालरात्रि भक्तों के सभी भय का नाश करती हैं और उन्हें जीवन में शक्ति, साहस तथा सफलता प्रदान करती हैं। इस दिन मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए इस आरती को गाएं और इस कथा को सुने। जानें माता की सरल पूजा विधि।
Maa Kalratri Ki Aarti in Hindi: इस आरती को गाकर करें मां कालरात्रि की पूजा
कालरात्रि जय जय महाकाली।
काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतारा॥पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे।
महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥
Puja Ka Shubh Muhurat: इस विधि और शुभ मुहूर्त में करें मां कालरात्रि की पूजा
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर में पूजा स्थान को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
2. इस दिन व्रत रखने वाले भक्त संकल्प लें कि वे पूरे दिन माँ की भक्ति में लीन रहेंगे।
3. पूजा स्थल पर माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाकर और धूप दिखाकर माँ का आह्वान करें।
4. माँ को लाल या नीले फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। साथ ही कपूर, धूप और गंध (सुगंधित पदार्थ) अर्पित करें।
5. माँ को गुड़ और जौ का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा हलवा-पूरी, नारियल और फल भी अर्पित किए जा सकते हैं।
6. मंत्र जाप
माँ कालरात्रि की पूजा के दौरान यह मंत्र जाप करना शुभ होता है—
(ॐ देवी कालरात्र्यै नमः) इस मंत्र का 108 बार जप करने से अद्भुत फल मिलता है।
7. पूजा के बाद माँ की आरती करें और कालरात्रि की कथा का श्रवण करें।
Maa Kalratri Vrat Katha: आज जरूर सुने मां कालरात्रि की ये कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, नमुची नाम के राक्षस को इंद्रदेव ने मार दिया था, जिसका बदला लेने के लिए शुंभ और निशुंभ नाम के दो दुष्ट राक्षसों ने रक्तबीज नाम के एक अन्य राक्षस के साथ मिलकर देवताओं पर हमला कर दिया। रक्तबीज को ब्रह्मा भगवान से यह वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की बूंदे अगर धरती पर बड़ी तो उसमें से और रक्तबीज पैदा हो जाएंगे। देवताओं के वार से उनके शरीर से रक्त की जितनी भी बूंदे गिरी, उनके पराक्रम से अनेक दैत्य उत्पन्न हो गए। जिसके बाद बहुत ही तेजी से सभी राक्षसों ने मिलकर पूरे देवलोक पर कब्जा कर लिया।
इसके बाद सभी देवता रक्तबीज नाम के राक्षस से परेशान होकर महादेव की शरण में पहुंचे तो महादेव ने मां पार्वती को उसका वध करने को कहा। इसके बाद मां पार्वती ने कालरात्रि का रूप लेकर रक्तबीज के साथ युद्ध किया। रक्तबीज की खासियत थी कि जब भी उसके शरीर से एक भी बूंध खून धरती पर गिरता था तो उसके जैसा एक और राक्षस पैदा हो जाता था। जैसे ही मां कालरात्रि रक्तबीज पर हमला करती रक्तबीज का एक और रूप उत्पन्न हो जाता।
मां कालरात्रि ने सभी रक्तबीज पर आक्रमण किया, लेकिन सेना केवल बढ़ती चली गई। यह देख मां कालरात्रि अत्यंत क्रोधित हो उठीं और रक्तबीज के हर हमशक्ल दानव का खून पीने लगीं। मां कालरात्रि ने रक्तबीज के खून को जमीन पर गिरने से रोक दिया। सभी की रक्षा करने के लिए मां कालरात्रि ने जब उसका वध किया तो उसके रक्त को पृथ्वी पर गिरने से पहले ही अपने मुंह में भर लिया। इस तरह मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध करके देवता और मनुष्यों का अभय प्रदान किया।