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एकता का महाकुम्भ, युग परिवर्तन की आहट

मैंने इस हैडिंग से सबसे पहले अपने पंजाब केसरी के प्रथम पृष्ठ पर प्रधानमंत्री जी…

11:15 AM Mar 01, 2025 IST | Kiran Chopra

मैंने इस हैडिंग से सबसे पहले अपने पंजाब केसरी के प्रथम पृष्ठ पर प्रधानमंत्री जी…

मैंने इस हैडिंग से सबसे पहले अपने पंजाब केसरी के प्रथम पृष्ठ पर प्रधानमंत्री जी का आर्टिकल पढ़ा, फिर अन्य अखबारों और चैनलों पर भी देखा और समझा कि हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी महाकुम्भ के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर सभी देशवासियों को बहुत सकारात्मक तरीके से संदेश दे रहे हैं, वाकय में जिन्होंने कुम्भ नहाया, जो प्रयागराज गए या जिन्होंने अनुभव किया उनके मुख से भी महाकुम्भ के स्नान, दर्शन यात्रा के बारे में सुना तो लगता है प्रधानमंत्री जी का यह संदेश जरूरी था।

मैं महाकुम्भ में स्नान करने तो नहीं जा सकी परन्तु 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उपस्थित रही और जो वहां देवभक्ति और देशभक्ति देखी उसका वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। अभी भी वह दृश्य याद कर रोम-रोम प्रफुल्लित हो गया, क्या इंतजाम थे। देश के संत, प्रमुख लोग वहां थे परन्तु मोदी जी एक भक्त और सेवक की तरह आए और उनका भाषण कमाल का था। यही नहीं मोहन भागवत जी का सम्बोधन भी बहुत ही अन्तर्रात्मा को छूने वाला था।

वाकय में मोदी जी ने ठीक लिखा प्रयागराज का यह तीर्थ आज हमें एकता समरसता की प्रेरणा देता है। हर श्रद्धालु बस एक ही धुन में था-संगम में स्नान। मां गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी पर हर श्रद्धालु उमंग, ऊर्जा और विश्वास से भरा था। बिल्कुल सही, 13 जनवरी से मेरा कई बार प्रोग्राम बना परन्तु कैंसल हुआ। यह भी भाग्य की बात होती है। स्वामी चिदानंद सरस्वती जी का वहां से फोन भी आया कि आप आओ मैं आपका सारा इंतजाम कर दूंगा परन्तु नहीं जा सकी। घर में नवजीवन का आगमन था, उसे छोड़ना मुश्किल था परन्तु ऐसी भावना देखी बड़े-बड़े बिजनेसमैन जा रहे थे, छोटे जा रहे थे। आफिस का एक-एक कर्मचारी गया, सफाई कर्मचारी गए, बड़े-छोटे सब गए।

देश के प्रसिद्ध साधु-संत, आमजन कोई हवाई जहाज से जा रहा था, कोई रेल से , कोई बस से। बहुत सी बसें चलीं जो कम से कम खर्च में खाना, दर्शन, स्नान सब कुछ था। सभी धर्म के लोग जा रहे थे। बहुत से एक्टर, समाजसेवी भी। मुझे तो लगता है कि कुछ ​गिने-चुने लोग ही रहे होंगे, सारा भारत ही वहां इकट्ठा था, एकता और समरसता थी। महिलाएं, दिव्यांग, बुजुर्गजन कोई पीछे नहीं रहा। हम खुद नहीं गए परन्तु मेरे तीनों बेटों ने बहुत से लोगों का इंतजाम वहां कराया ताकि वो अच्छे से स्नान कर सकें, क्योंकि हमारे हर शहर में रिपोर्टर, फोटोग्राफर होते हैैं। वहां का रिपोर्टर बॉबी कमाल का है। उसने सबकी बहुत सेवा व व्यवस्था की और वो मुसलमान है यानी समरसता का प्रमाण है। यहां तक कि हमारे कई गेस्ट लंदन, अमेरिका से आए। सबका इंतजाम किया। मेरे युवा भतीजे लंदन से आए, यहां से बहुत युवा गए, मोदी जी की बात यहां भी बहुत भावपूर्ण है कि युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर स्नान किया जिससे हमारे संस्कार और संस्कृति की वाहक युवा पीढ़ी संकल्पित और समर्पित दिखी। इस महाकुम्भ ने संख्या के हिसाब से रिकॉर्ड बनाया और जो नहीं जा सका (मेरे जैसा) वो भी भावविभोर होकर जुड़े रहे। जो गया वहां से मेरे लिए जल लेकर आया तो मैंने और मेरे परिवार ने उस जल से स्नान किया। सारे आफिस और घर में छींटे लगाए गए। वाकय में कुम्भ स्नान जैसा अनुभव हो रहा था।

मुझे याद है जब प्रधानमंत्री जी काशी चुनाव के लिए गए थे तो उन्होंने कहा था ‘‘मां गंगा ने मुझे बुलाया है’’, उसमें उनका एक दायित्व बोध भी था, जैसे कि उन्होंने मां स्वरूपा नदियों की पवित्रता, स्वच्छता को लेकर गंगा, यमुना, सरस्वती को लेकर अभियान शुरू किया है। यही नहीं माेदी जी ने अपने लेख में लिखा है कि योगी जी के नेतृत्व में शासन, प्रशासन और जनता ने ​मिलकर इस एकता के महाकुम्भ को सफल बनाया। केन्द्र या राज्य कोई शासक या प्रशासक नहीं था, हर कोई श्रद्धा से भरा सेवक था। वाकय में वहां का एक-एक पुलिसकर्मी, सफाई कर्मी, आईएएस आफिसर, नाविक, वाहन चालक, भोजन बनाने वाले सबका सहयोग था तभी सफल आयोजन था। यही नहीं मैं प्रयागराज के स्थानीय लोगों की भी बहुत प्रशंसा करती हूं, जिन्होंने 45 दिन जाम, व्यवस्था के तहत सहनशीलता दिखाई, सहयोग किया।

मैं सीएम योगी जी के इस ऐलान कि सफाई कर्मचारियों को 10 हजार का बोनस, स्वच्छता कर्मी को हर माह 16,000 रुपए, पुलिसकर्मियों को सेवा मेडल और 10 हजार का विशेष बोनस यानि 75 हजार पुलिसकर्मियों को ईनाम और सभी को एक सप्ताह का अवकाश। वाह! क्या बात है योगी जी। सही लिखा कि यह महाकुम्भ युग परिवर्तन की वो आहट है जो भारत का नया भविष्य लिखने जा रही है। संदेश मिल रहा है विकसित भारत का। जिस तरह एकता के महाकुम्भ में हर श्रद्धालु चाहे वो गरीब हो या सम्पन्न हो, बाल हो या वृद्ध हो, देश से आया या विदेश से आया हो, गांव का या शहर का, पूरब से हो या पश्चिम से हो, उत्तर से या दक्षिण से हो,किसी भी जाति का हो, किसी भी विचारधारा का हो, सब एक महायज्ञ के ​लिए एकता के महाकुम्भ में एक हो गए। एक भारत-श्रेष्ठ भारत का यह चिर स्मरणीय दृश्य करोड़ों देशवासियों में आत्मविश्वास के साक्षात्कार का महापर्व बन गया। अब इसी तरह हमें एक होकर विकसित भारत के महायज्ञ के ​लिए एकजुट होना है।

मुझे माननीय प्रेम जी गोयल (आरएसएस) जी की हमेशा पंक्तियां याद रहती हैं जो मैं हमेशा अपने भाषण में भी दोहराती हूं कि अब भारत सोने की चिड़िया नहीं सोने का शेर बनेगा। सही में मोदी जी आपकी आस्था, विश्वास 18 घंटे काम करने की क्षमता देश के लिए सही निर्णय यहां तक कि देशवासियों के साथ मन की बात करना और लिखना तथा देश के आम व्यक्तियों की आस्था, विश्वास को बनाए रखना, विदेशों में भारत का सिर ऊंचा करना, इसके लिए हम आपके कायल हैं कि देश की बागडोर मजबूत हाथों में है। मैंने आज मोदी जी के आर्टिकल संदेश की एक-एक पंक्ति को सार्थक बताते हुए उनकी कथनी और लेखनी को अपने भावों के साथ वर्णन करते हुए व्यक्त किया है, यह सब देशवासियों की भावना है।

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