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इस बड़ी वजह से अपने ऑटोग्राफ महात्मा गांधी को 5-5 रुपये में बेचने पड़े थे

देश को आजादी दिलाने में स्वतंत्रता सेनानी के साथ कई ऐसे बड़े नेताओं ने अपनी जान दीं हैं जिसके लिए आज तक उन्हें याद किया जाता है।

01:00 PM Oct 01, 2019 IST | Desk Team

देश को आजादी दिलाने में स्वतंत्रता सेनानी के साथ कई ऐसे बड़े नेताओं ने अपनी जान दीं हैं जिसके लिए आज तक उन्हें याद किया जाता है।

देश को आजादी दिलाने में स्वतंत्रता सेनानी के साथ कई ऐसे बड़े नेताओं ने अपनी जान दीं हैं जिसके लिए आज तक उन्हें याद किया जाता है। इन नेताओं ने देश के लिए इतने बड़े काम किए हैं जिनको कोई नहीं भूला सकता है। 
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इन नेताओं में से ही एक महात्मा गांधी हैं जिन्हें फादर ऑफ नेशन भी कहा जाता है। महात्मा गांधी की जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। गांधी जी के जीवन में एक ऐसा भी वाक्या हुआ था जब 5-5 रूपए में उन्होंने अपने ऑटग्राफ बेचे थे। 
ऐसा क्या हुआ था

स्वतंत्रता संग्राम के लिए देश के कोने-कोने से गांधी जी ने लोगों को एक साथ किया था। शांति का रास्ता ही गांधी जी ने हमेशा से ही चुना था। गांधी जी मानते थे कि कोई भी मुद्दा प्यार और बातचीत से हल हो सकता है फिर उसके लिए क्यों बेवजह हिंसा की जाए। महात्मा गांधी बिहार के भागलपुर साल 1934 में गए थे उस दौरान भूकंप के पीड़ितों से वह मिलने और उनकी मदद के लिए गए थे। 
वहां जाकर गांधी जी ने ऐसा काम किया था जिसकी आज भी प्रशंसा होती है और उन्हें नमन किया जाता है। गांधी जी जब यहां पहुंचे थे तो उन्होंने उन सभी लोगों से 5 रूपए लिए थे जिन्होंने उनके ऑटोग्राफ लिए थे। उसके बाद इन सभी पैसों से गांधी जी ने भागलपुर भूकंप के पीड़ितों की मदद की थी। 
बापू गए थे राहत कार्यों को देखने
कांग्रेस ने राहत कार्य बिहार में भूकंप पीड़ितों के लिए चलाया था। अप्रैल-मई 1934 में गांधी जी उन्हीं राहत कार्यों को देखने के लिए गए थे। गांधी जी भागलपुर सहरसा से बिहरपुर जाते हुए गए थे। दीपनारायण सिंह के घर पर भागलपुर पहुंच कर गांधी जी वहां पर ठहरे थे उसके बाद उन्होंने लोगों को लाजपत पार्क में संबोधित किया था।
 वहां पर लोगों ने उन्होंने भूकंप पीड़ितों की मदद करने और राहत कार्य में सहयोग करने की अपील की थी। उस सभा में कई ऐसे लोग भी थे जो गांधी जी का ऑटोग्राफ लेना चाहते थे। इसे दिखते हुए गांधी जी ने उन लोगों से कहा कि आप मेरा ऑटोग्राफ लें और इसके बदले में मुझे 5 रूपए दें। इन पैसों से मैं भूकंप पीड़ितों की मदद करूंगा। गांधी जी के इस काम की आज भी लोग तारीफ करते हैं और उन्हें याद करते हैं। 
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