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मैंगो स्पेशल से बनाना स्पेशल

एक देश में एक बाजार के बारे में लाए गए कृषि विधेयकों को लेकर पारित किए जाने के बाद राजनीतिक बवंडर उठा हुआ है लेकिन सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है

01:15 AM Oct 04, 2020 IST | Aditya Chopra

एक देश में एक बाजार के बारे में लाए गए कृषि विधेयकों को लेकर पारित किए जाने के बाद राजनीतिक बवंडर उठा हुआ है लेकिन सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है

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मैंगो स्पेशल से बनाना स्पेशल
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एक देश में एक बाजार के बारे में लाए गए कृषि विधेयकों को लेकर पारित किए जाने के बाद राजनीतिक बवंडर उठा हुआ है लेकिन सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है जिससे किसानों की आय बढ़े। कृषि और रेल मंत्रालय किसानों की आय तेजी से बढ़ाने को लेकर कृतसंकल्प है और किसानों को अपना उत्पाद देश के किसी भी कोने में सबसे बेहतर कीमत पर बेचने की सुविधा देने के तरीकों को ढूंढ रहा है। अब पूरे देश में ग्राहकों के लिए ताजे फल, स​ब्जियां और अन्य उत्पादों को पहुंचाने के लिए नई स्पेशल ट्रेन चलाने की योजना तैयार कर ली है। अगर देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आय बढ़ती है तो वह खरीदारी के लिए बाजार में आएंगे। मांग बढ़ेगी तो उत्पादन भी बढ़ेगा। अब किसानों के ​लिए मैंगो स्पेशल, बनाना स्पेशल, प्याज स्पेशल ट्रेन चलाई जाएंगी। इन स्पेशल ट्रेनों में मछली और मांस ले जाने के लिए रै​फ्रीजरेटड कंटेनर भी होंगे।
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भारत की पहली किसान रेल पिछले 7 अगस्त को महाराष्ट्र के नासिक जिला स्थित देवनाली से बिहार के दानापुर के लिए चलाई गई थी। अब इस ट्रेन को सप्ताह में तीन दिन चलाया जा रहा है। यह प्रयोग काफी कामयाब रहा। दूसरी किसान ट्रेन 9 सितंबर को अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) से दिल्ली (आजादपुर मंडी)   के बीच चलाई गई।
भारतीय रेलवे ने कोरोना महामारी के बीच देशभर में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के ​लिए 96 मार्गों पर ट्रेनों का संचालन किया। लॉकडाउन के दौरान देश में खाद्यान्न और फल-स​ब्जियों का कोई अभाव नजर नहीं आया।
अब किसान ट्रेनों को मौसमी फलों और सब्जियों से जोड़ने की तैयारी कर ली गई है ताकि छोटे ​किसानों को लाभ हो सके। इस तरह की ट्रेनें आगामी दिसम्बर और जनवरी में नागपुर से ​दिल्ली तक संतरा स्पेशल ट्रेन, पंजाब से पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा के लिए कीनू ट्रेन चलाई जा सकती है। इसी तरह अप्रैल से जून के बीच आंध्र प्रदेश से दिल्ली तक आम स्पेशल, मार्च और दिसम्बर के बीच नासिक और जलगांव से प्याज और केला स्पेशल किसान ट्रेन चलाई जा सकती है। अप्रैल से नवम्बर तक सूरत, वनसाड और नवसरी से दिल्ली तक चीकू स्पेशल ट्रेन चलाने की योजना है।
किसान स्पेशल ट्रेनों को किसानों की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। किसान ट्रेन के यात्री कोच में बैठकर पूरे सिस्टम को समझ भी रहे हैं कि यह किस तरह काम करता है। ये ट्रेनें छोटे किसानों के लिए फायदेमंद हैं, जो पूरी ट्रेन बुक नहीं कर सकते, वे इस सेवा में अपनी जरूरत के हिसाब से स्थान की बुकिंग कर सकते हैं। आंकड़ों के मुताबिक किसान रेल से सबसे कम मात्रा में माल भेजने का रिकार्ड तीन किलो अनार का है जो महाराष्ट्र के नासिक से बिहार के मुजफ्फरपुर भेजा गया। इसी तरह मनमाड से खंडवा 17 दर्जन अंडे भेजे गए। मात्रा बड़ी हो या छोटी, बुकिंग कराई जा सकती है। किसान स्पेशल ट्रेन पार्सल ट्रेन के तौर पर भी काम कर रही है। किसान स्पेशल ट्रेनों के जरिये दूरी के साथ सामान भेजने का खर्च कम होता जाता है। 500​ किलोमीटर तक की दूरी पर ट्रेन से सामान भेजना महंगा है, लेकिन करीब एक हजार किलोमीटर दूर सामान भेजना सड़क मार्ग के मुकाबले सस्ता पड़ता है, जबकि करीब 2 हजार किलोमीटर दूर सामान भेजना और भी सस्ता है क्योंकि सड़क मार्ग से कम से कम एक हजार रुपए प्रति टन किराया लगता है। ट्रकों में सामान पहुंचाने में समय भी अधिक लगता है, कई उत्पाद खराब भी हो जाते हैं। आंध्र प्रदेश से दिल्ली तक ट्रक पहुंचाने में कई दिन लग जाते हैं और उत्पादों का 25-30 फीसदी हिस्सा खराब हो जाता है, जबकि ट्रेन दो दिन में पहुंच जाएगी। कई रेल डिवीजन किसानों को मालभाड़े में 50 फीसदी छूट देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं।
किसान स्पेशल  ट्रेनें कृषि क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी पहल हैं। किसानों को अगर उनके उत्पादों का वाजिब मूल्य मिलता है तो फिर उन्हें कृषि कानूनों पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर 50 फीसदी उपज का ट्रांसपोर्टेशन इन ट्रेनों के जरिये किया जाता है तो इससे लगभग 45 करोड़ की हानि को रोका जा सकेगा। कोरोना काल में अगर किसी सैक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया है तो वह है कृषि क्षेत्र। जिसमें यह विश्वास कायम हो गया कि देश को खाद्यान्न संकट से जूझना नहीं पड़ेगा। कृषि सैक्टर को मजबूत बनाने के ​लिए नई नीतियों और योजनाओं  की जरूरत है। एक ही ढर्रे पर चलने से उनमें भी समय के साथ विसंगतियां पैदा हो जाती हैं। मंडी सिस्टम को ही देख लीजिए। मंडियों में ​किसानों का जमकर शोषण होता है और फायदा उठाते हैं व्यापारी और बिचौलिये। किसानों को अपने फायदे का गणित समझना चाहिए। किसानों से बंदिशें हटेंगी और वह वाजिब दामों पर उपज बेच सकेगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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