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चुनावी वैतरणी में कूदने को तैयार हैं कई राजनीतिक दल के नेता

कामयाब कितना दिखेगे यह तो चुनावी मैदान में होगी। क्योंकि एनडीए एवं यूपीए महागठबंधन एक दूसरे के पहलवान के हिसाब से चुनावी गणित बैठा रहे है।

08:12 PM Mar 15, 2019 IST | Desk Team

कामयाब कितना दिखेगे यह तो चुनावी मैदान में होगी। क्योंकि एनडीए एवं यूपीए महागठबंधन एक दूसरे के पहलवान के हिसाब से चुनावी गणित बैठा रहे है।

पटना : लोकसभा चुनाव का बिगूल बजते ही सभी राजनीतिक दल लोकतंत्र के महापर्व में दाव आजमाने के लिए चुनावी वैतरणी में कूदने को तैयार हो गये। एनडीए एवं महागठबंधन में स्पष्ट सीटों का बंटवारा एवं प्रत्याशियों के नामों का चयन नहीं हो सका है। क्योंकि बिहार के 40 लोकसभा सीटों पर एनडीए के घटक दल भाजपा जदयू एवं लोजपा ने 17-17 एवं 6 सीटों पर गठबंधन का आकार दे दिया है। लेकिन भाजपा जदयू कौन कौन सीटों पर दाव आजमायेगी यह फैसला नहीं हुआ है। वहीं महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, रालोसपा हम लोजद सहित कइ दलों का सीट चयन ही नहीं हुआ है कि कितने सीटों पर किस दल लड़ेगा यह अभी तय नहीं हुआ है।

ऐसे माने तो एक दो दिनों में सीटों एवं प्रत्याशियों का चयन हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वहीं महागठबंधन के छोटे-छोटे दल बड़ी-बड़ी मुंह बाय खड़ी दिख रही है। इधर राजनीतिक समीक्षक रंजय कुमार का मानना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में दो विचार धाराओं के बीच चुनाव में क्षेत्रिय दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इस चुनाव में विकास का मुद्दा गौण होने की आसार दिख रही है। क्योंकि आम जनता के सामने पहले ही तरह तरह के दर्जनों योजना को चुनावी साल में लागू किया गया है।

इससे आम जन असहज है। वहीं एनडीए के घटक दल में जदयू तथा महागठबंधन में रालोसपा, हम पार्टी का इंट्री से चुनाव रोचक दिखते नजर आयेगा। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान एनडीए के मुख्य चेहरा होंगे। वहीं महागठबंधन में कांग्रेस के राहुल गांधी, राजद के तेजस्वी यादव लोजद के शरद यादव, हम-से. के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, रालोसपा के उपेन्द्र कुशवाहा गेम चेंजर के भूमिका में होंगे।

इन नेताओं के धमाकेदार इंट्री से लोकप्रिय सरकार बनाने एवं बिगाडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अगर महागठबंधन में सीटों के सही तालमेल से एनडीए की तडक़ा बिगड़ सकती है। अब यह देखना है कि बिहार में नीतीश कुमार एनडीए के खाते में कितना सीट दिलवा सकते हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन एवं विकास आधारित चुनाव में कितना दमखम दिखा सकते हैं। वहीं भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व हिन्दी पट्टी क्षेत्रों में कितना प्रभावी हो सकता है। भाजपा ने बिहार में ऐसे ही जीती हुई पांच सीटें छोड़ दी है।

वैसे में सारा दारोमदार नीतीश कुमार पर होगी।  वहीं महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर किचकिचाहट हो रही है। ऐसा अनुमान है कि राजद किसी भी सूरत में 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं कांग्रेस को 10-12 सीटें, रालोसपा को तीन, हम को दो, लोजद एवं वाम को दो-दो सीट एवं वीआईपी को एक सीट देने की चर्चा चल रही है। अगर महागठबंधन में सीटों का बंटवारा ठीक से हो गया तो चुनावी वैतरणी पार करने में कामयाब कितना दिखेगे यह तो चुनावी मैदान में होगी। क्योंकि एनडीए एवं यूपीए महागठबंधन एक दूसरे के पहलवान के हिसाब से चुनावी गणित बैठा रहे है।

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