Margashirsha Purnima 2025: आज, 4 दिसंबर 2025 को इस वर्ष की अंतिम पूर्णिमा है। चूंकि यह मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहते हैं। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना के लिए समर्पित है। इस पावन तिथि पर भक्तजन उपवास भी रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है, जिसे करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें विधि-विधान से पूजन करके इस पूर्णिमा की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। इसीलिए, यहां मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पवित्र व्रत कथा और पूजा विधि बताई गई है।
Margashirsha Purnima 2025 Vrat Katha: मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा
Margashirsha Purnima 2025 (Photo: AI Generated)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब एक गरीब ब्राह्मण था। उसकी भगवान में गहरी आस्था थी, लेकिन वह अपनी गरीबी से बहुत दुखी रहा करता था। एक दिन वह अपनी खराब किस्मत से परेशान होकर जंगल की ओर चला गया। वहां उसकी भेंट एक दिव्य ऋषि से हुई, जिन्होंने उसकी परेशानी का कारण पूछा। ब्राह्मण ने अपने दुख बताए, तो ऋषि ने कहा, 'मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा पर भगवान नारायण की विशेष कृपा बरसती है। इस दिन जो व्यक्ति स्नान, दान, दीपदान और उपवास करता है, उसके सभी पाप मिट जाते हैं और उसके घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।'
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ऋषि ने ब्राह्मण से कहा कि यदि वह यह व्रत पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करता है, तो उसके जीवन की सारी कमियां दूर हो जाएंगी। ब्राह्मण ने ऋषि के बताए अनुसार व्रत का पालन किया। पूर्णिमा के दिन उसने पवित्र नदी में स्नान किया, दीपदान किया, ब्राह्मणों को अन्न और वस्त्र दान दिए, और रात भर जागकर भगवान का स्मरण किया। उसकी सच्ची भक्ति से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि 'तुम्हारे जीवन में अब कभी धन की कमी नहीं होगी। सद्गुण और समृद्धि हमेशा तुम्हारे घर में निवास करेगी।' इस व्रत के प्रभाव से कुछ ही दिनों में ब्राह्मण का जीवन पूरी तरह बदल गया और वह बहुत धनी हो गया। तभी से मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत करने की परंपरा शुरु हुई, जिसे मनोकामनाएं पूरी करने और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर 2025 को सुबह 8:37 पर शुरू होगी और 5 दिसंबर 2025 को सुबह 4:42 पर समाप्त होगी। इसी कारणवश, मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 4 दिसंबर 2025 (गुरुवार) के दिन रखा जाएगा। गुरुवार के संयोग से इस व्रत का फल कई गुना अधिक हो गया है।
Margashirsha Purnima 2025 Puja Samagri: मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 की पूजा सामग्री और विधि
Margashirsha Purnima 2025 (Photo: AI Generated)
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को बेहद पवित्र माना जाता है। इस दिन भक्तिपूर्वक पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। परंपरा के अनुसार, इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी माता की पूजा की जाती है। पूजा आरंभ करने से पहले सभी आवश्यक सामग्री को एक स्थान पर एकत्र कर लेना शुभ होता है। इस पूजा के लिए मुख्य रूप से दीपक, घी या तेल, अगरबत्ती, कपूर, अक्षत, धूप, रोली, चंदन, तुलसी दल, पंचामृत, फूल, शहद, दही, गंगाजल, मिठाई, नारियल, लाल या पीला वस्त्र, कलश, सुपारी, पान, इलायची और लौंग चाहिए होती है। इसके अलावा, पूजा के समय एक साफ आसन, थाली, कलश और जल का पात्र भी तैयार रखें।
Margashirsha Purnima 2025 (Photo: AI Generated)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद, पूजा स्थल की सफाई करके, 'ओम नमो: नारायण' का जाप करते हुए भगवान विष्णु का आह्वान करें। एक लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर, उस पर सत्यनारायण भगवान की प्रतिमा स्थापित करें और पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करें। पूजा समाप्त होने पर, सत्यनारायण कथा का पाठ करें और अंत में भगवान को प्रसाद तथा पंचामृत का भोग लगाकर, प्रसाद सभी लोगों में वितरित करें। रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना गया है।
खुशी श्रीवास्तव मीडिया इंडस्ट्री में करीब 3 साल का अनुभव रखती हैं। वायरल कंटेंट, लाइफस्टाइल, हेल्थ और वास्तु शास्त्र टिप्स पर प्रमुखता से काम किया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज से मास्टर ऑफ मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई के बाद पहली बार पत्रकारिता के श्रेत्र में कदम रखा। इसके बाद अमर उजाला प्रिंट (प्रयागराज) में इंटर्नशिप की। फिलहाल खुशी, पंजाब केसरी दिल्ली के डिजिटल प्लैटफॉर्म के लिए कंटेंट राइटिंग का काम करती हैं।