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ट्रैन में इन पीली-लाल लाइंस का जानें मतलब, आएंगी सफर के दौरान काम

जब भी लोग कहीं बाहर घूमने के लिए जाते हैं तो वह गाड़ी, बस, रेल या प्लेन से सफर करते हैं। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि रेल से ज्यादा लोग सफर करते हैं।

01:08 PM Oct 07, 2019 IST | Desk Team

जब भी लोग कहीं बाहर घूमने के लिए जाते हैं तो वह गाड़ी, बस, रेल या प्लेन से सफर करते हैं। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि रेल से ज्यादा लोग सफर करते हैं।

जब भी लोग कहीं बाहर घूमने के लिए जाते हैं तो वह गाड़ी, बस, रेल या प्लेन से सफर करते हैं। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि रेल से ज्यादा लोग सफर करते हैं। रेल में सफर करने वालों में कुछ लोग खुश रहते हैं तो कुछ इतनी खामियां निकालते हैं जिनकी कोई हद ही नहीं। 
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कई ऐसी चीजें रेल पर बनी होती हैं जिन पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते हैं। रेल कोच के आखिरी में पीले, लाल, नीले या फिर अन्य रंग की धारियां क्यों होती हैं। चलिए आपको हम बताते हैं। 
ये धारियां इसलिए होती हैं
भारत देश में रेलवे की सेवा 16 अप्रैल 1853 से शुरु हुई थी। भारतीय रेलवे को साल 1951 में नेशनलाइज्ड किया गया था। कई ऐसे साइन कोड ट्रेनों में हैं जिन्हें हम देखते हैं लेकिन उनका मतलब हमें शायद ही पता होगा। ट्रेन के नीले रंग के कोच के आखिर में खिड़की के ऊपर पीले या फिर सफेद रंग की धरियां होती हैं। 
बता दें कि यात्रियों की सुविधा के लिए ही इन धारियों को बनाया होता है। कोच के ऊपर बनी ये धारियां बताती हैं कि द्वितीय श्रेणी यानी जनरल डिब्बा यह है। 
काम आती हैं ये धारियां भी 
पीले रंग की मोटी धारियां नीले या लाल रंग के कोच पर आपने जरूर देखीं होंगी। इन धारियों बताती हैं कि विकलांग और बीमार लोगों के लिए यह कोच हैं। इसी तरह से लोकल ट्रेन पर ग्रे पर लाल कलर की लाइंस होती हैं जो यह बताती हैं कि यह फर्स्ट क्लास कोच है।
 अक्सर लोग रेल के कोच को तलाशने के लिए इन चीजों को ढूंढते नजर आते हैं। यह सारी चीजें सामने होती हैं लेकिन हमें इनकी जानकारी पूरी नहीं पता होती जिसकी वजह हम इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। 
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