Mehandipur Balaji Mandir का प्रसाद लाने से क्यों डरते हैं लोग, जानें पूरा सच
Mehandipur Balaji Temple: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भारत का सबसे प्रसिद्ध स्थान है। पूरे साल यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लोग यहां भूत-प्रेत की बाधाओं और नकारात्मक बुराइयों से बचने के लिए आते हैं। इस मंदिर के कुछ ऐसे रहस्य भी हैं, जिसे सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह मंदिर बाकी मंदिरों से काफी अलग है। जब आप इस मंदिर में दर्शन के लिए आएंगे, तो आपको देखने को मिलेगा कि लोग यहां बहुत ही अजीबोगरीब हरकत करते नज़र आते हैं। इस मंदिर में ज्यादातर लोग भूत-प्रेत जैसे चक्करों से छुटकारा पाने के लिए आते हैं। आइए जानते हैं, इस मंदिर का पूरा सच और घर में क्यों नहीं लाना चाहिए इस मंदिर का प्रसाद।
यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। ये मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। जब लोग अपने निजी जीवन में किसी भी ऊपरी चक्कर जैसे भूत-प्रेत आदि से परेशान रहते हैं, तो इससे छुटकारा पाने के लिए यहां आते हैं। हनुमान जी को बालाजी के नाम से जाना जाता है, इसलिए इस मंदिर का नाम बालाजी पड़ा है। लोग यहां काले जादू, भूत प्रेत , ऊपरी चक्कर से मुक्ति पाने के लिए आते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी में तीन देवता हैं, पहले भगवान हनुमान जी, दूसरे प्रेत राज और तीसरे भैरव बाबा हैं। इस मंदिर से जुड़ी कई भयानक कहानियां हैं, जिसे सुनकर लोगों की रूह कांप जाती है। माना जाता है कि यहां जिस मंदिर की पूजा होती है, वो अपने आप प्रकट हुई थी।
Mehandipur Balaji Temple History: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास
इस मंदिर के बहुत सारे रहस्य हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर में दिव्य शक्ति भी है, जो मंदिर की परिक्रमा करती है। इस शक्ति में बुरी आत्माओं से प्रभावित लोगों को ठीक करने और उन्हें काले जादू के चंगुल से बचाने की क्षमता है। इस मंदिर के तीनों देवता लगभग 1000 साल पुराने हैं। माना जाता है कि भगवान हनुमान जी की मूर्ति अरावली की पहाड़ियों के बीच स्वयं प्रकट हुई थी।
आज जिस जगह पर मंदिर स्थित है, वहां पहले काफी घना जंगल था। महंत जी के पूर्वजों ने यहां पूजा की शुरुआत की थी। इस मंदिर में हर रात 2 बजे भूत-प्रेत की बाधाओं को दूर करने लिए कीर्तन किया जाता है। जिसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं। लेकिन इस मंदिर का प्रसाद घर ले जाने के लिए मना किया जाता है।
इस मंदिर में भूत-प्रेत इतनी ज्यादा संख्या में हैं कि अगर यहां का प्रसाद कोई खा लें या अपने साथ लेकर आए तो इसका मतलब ये है कि वह अपने साथ नकारात्मक शक्तियां भी ले आया है। आइए जानते हैं कि इस मंदिर में जाने से पहले और आने के बाद किन बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।
Mehandipur Balaji Temple Timings: क्या होता है मंदिर के खुलने और बंद होने का समय
- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में सुबह की आरती 6 बजे से 6 बजकर 40 मिनट तक होती है।इसके बाद 7 बजे से 11 बजे तक मंदिर के कपाट खुले रहते हैं।
- श्रीबालाजी को 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक राजभोग लगाया जाता है।
- शाम को आरती 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट तक होती है।
- श्री बालाजी के श्रृंगार के लिए सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को दोपहर 4 से 6 बजे तक दर्शन के कपाट बंद रहते हैं।
Mehandipur Balaji Temple Rules: मंदिर के कुछ ज़रूरी नियम
- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आने वाले सभी भक्तों को एक सप्ताह तक अंडा, मांस, शराब, लहसुन और प्याज नहीं खाना चाहिए, ये नियम यहां के सभी भक्तों के लिए है।
- इस मंदिर से बाहर निकलने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए, मुख्य मंदिर के पुजारी के अलावा किसी से भी प्रसाद या किसी भी अन्य चीज़ों को लेने से बचना चाहिए।
- मंदिर के अनोखे वातावरण और वहां किए जाने वाले अनुष्ठानों के प्रति सचेत रहें, जिनमें भूत-प्रेत भगाने की प्रथाएं भी शामिल हैं, इन्हें देखकर किसी भी तरह का शोर- शराबा न करें और नहीं की वीडियो बनाएं।
- मंदिर में प्रवेश करने से पहले महिलाओं को अपना सिर ढकने के लिए दुपट्टा या सिर पर किसी भी तरह का कपड़ा ज़रूर डाल लेना चाहिए, क्योंकि यहां भूत-प्रेत उतरवाने के लिए लोग आते हैं, इसलिए महिलाओं को इन सब से दूर रखा जाता है।
- मंदिर परिसर के अंदर अजनबियों को छूने से बचें और उनसे बातचीत न करें, क्योंकि उन पर भूत-प्रेत का साया हो सकता है।
- मंदिर के अंदर पुजारी या किसी अन्य को पैसा देने से बचें, क्योंकि वे झूठे बहाने से आपसे पैसा मांग सकते हैं।
Mehandipur Balaji Temple Nearest Railway Station: कैसे जाएं बालाजी मंदिर
अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं, तो दौसा रेलवे स्टेशन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा बांदीकुई जंक्शन एक और रेलवे स्टेशन है, जो दौसा जिले से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस प्रकार आप यहां आ सकते हैं।