Mobile Production में 146% की छलांग, Exports ने रचा नया इतिहास
Mobile Production: भारत की निर्माण क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश दर्शनीय बदलाव की दिशा में अग्रसर है। संसद में सोमवार को मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि Mobile Production में सिर्फ चार वित्तीय वर्षों (FY 2020-21 से FY 2024-25) में 146% की आश्चर्यजनक वृद्धि दर्ज की गई है। अब इसका कुल मूल्य ₹5.25 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।
इसी अवधि में मोबाइल निर्यात में Mobile Production Exports Surge का पराकाष्ठा देखने को मिली — यह 775% बढ़कर ₹22,870 करोड़ से बढ़कर ₹2 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत सिर्फ विनिर्माण केंद्र नहीं, बल्कि दुनिया का मोबाइल निर्यात हब बन चुका है।
— Punjab Kesari (@PunjabKesariCom) July 23, 2025
Mobile Production में उछाल के प्रमुख कारण
Mobile Production की इस वृद्धि के पीछे PLI योजना और नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसी सरकारी पहलकदमियाँ हैं। इन नीतियों ने मोबाइल बनाना भारत में अधिक लाभप्रद और आकर्षक बना दिया। गोयल ने बताया कि PLI स्कीम ने कई स्मार्टफोन पहिये भारत में लाने के लिए प्रेरित किया, जिससे देश मोबाइल निर्माण में खुद निर्भर बन रहा है।
इन योजनाओं ने न सिर्फ उत्पादन बढ़ाया, बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी बढ़े। इकॉनोमिक्स और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों के अनुसार यह नीति भारत के विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत कर रही है।
Exports Surge से आर्थिक लाभ और वैश्विक पहचान
मोबाइल निर्यात में Exports Surge ने भारत को वैश्विक निर्यात मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाया है। ₹2 लाख करोड़ के निर्यात से न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित हुई है बल्कि टेक्नोलॉजी के मामले में भारत की वैश्विक छवि भी मजबूत हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब भारत की mobile ecosystem में उत्पादन के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता और नवीन तकनीकों का आगमन हो रहा है, जिससे विदेशी बाजारों में इसकी मांग बढ़ रही है।
विदेशी निर्भरता में कमी और आत्मनिर्भर भारत
PLI स्कीम ने सिर्फ मोबाइल नहीं, बल्कि अन्य उत्पादों के घटकों और कच्चे माल की स्थानीय उत्पादन क्षमता को भी मजबूत किया है। मंत्री गोयल ने कहा कि मोबाइल और फॉर्म से जुड़े कई घटकों की इम्पोर्ट निर्भरता कम हुई है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे भारत का विदेशी औद्योगिकी नेटवर्क मजबूत हुआ है और निर्माण लागत कम होने के साथ-साथ supply chains की विश्वसनीयता भी बढ़ी है।
विनिर्माण और निर्यात के भविष्य की राह
सरकार ने Make in India 2.0 योजना शुरू की है, जिसमें 27 सेक्टरों में निवेश की संभावनाओं को और मजबूत किया जा रहा है। मोबाइल जैसे प्रमुख सेक्टरों से जुड़े राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं, जिनमें अभी तक ₹28,602 करोड़ के 12 नए प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा चुकी है।
ये पहलें सिर्फ मोबाइल उत्पादन या निर्यात तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देश की संपूर्ण औद्योगिकी क्षमता को विस्तार देने के लिए की जा रही हैं। इससे रोज़गार, तकनीकी विकास और उद्योग के आधारगांव में मजबूती आएगी।
चुनौतियाँ और आगे की संभावनाएँ
हालांकि Mobile Production और Exports Surge में यह वृद्धि अत्यधिक उत्साहजनक है, फिर भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
1. कच्चे माल की निर्यात क्षमता: कुछ इलेक्ट्रॉनिक घटकों को अभी भी इम्पोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता है।
2. मानव संसाधन विकास: उच्च स्तरीय तकनीकी और इंजीनियरिंग प्रशिक्षण की जरूरत है।
3. इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार: उच्च गुणवत्ता वाली supply chain और रियल एस्टेट की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
इन चुनौतियों के बावजूद विशेषज्ञ आश्वस्त हैं कि भारत इस रफ्तार को बनाकर रख सकता है और अगले दशक में mobile ecosystem में सबसे प्रमुख वैश्विक केंद्र में से एक बन सकता है।
भारत में Mobile Production में 146% की वृद्धि और Exports Surge में 775% की छलांग केवल आंकड़े नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था की दिशा बदलने वाली क्रांति हैं। PLI स्कीम, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और Make in India जैसी पहलकदमियों ने इस परिवर्तन की नींव डाली है। अगर भारत इन नीतियों एवं संस्थागत सुधारों को गति के साथ आगे बढ़ाता रहा, तो आने वाले दशक में मोबाइल उत्पादों के निर्माण और निर्यात में यह देश एक वैश्विक नेता बन सकता है।