मोदी का जीएसटी सुधार : दीवाली उपहार
3 सितंबर 2025, भारत की आर्थिक यात्रा में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा। मोदी सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जनता के कल्याण और राष्ट्र के विकास के लिए उसका संकल्प अटूट है। साहसिक और दूरदर्शी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों की घोषणा कर सरकार ने आम जनता को सच्चा दिवाली उपहार दिया है। जीएसटी परिषद की दिनभर चली बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि अब कर संरचना को दो सरल दरों 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत में बदल दिया जाएगा। सरकार ने दरों में तर्कसंगत बदलाव, व्यापार सुगमता, प्रक्रियागत सुधार और कानूनों में आवश्यक संशोधन पर आधारित 80 पन्नों का विस्तृत प्रेस नोट जारी किया। इन सुधारों का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है -आम आदमी पर बोझ कम करना, घरेलू उद्योगों को मजबूती देना और भारत की आर्थिक नींव को और सुदृढ़ करना। वैश्विक अर्थव्यवस्था जब दबाव झेल रही है, ऐसे समय में मोदी सरकार ने जो कदम उठाया है वह उसकी दूरदर्शिता और साहस का प्रमाण है। यह सुधार एक आत्मविश्वासी और सशक्त भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है।
सबसे बड़ा फायदा सीधे घर-घर तक पहुंचेगा। दूध, पनीर और पैकेज्ड भारतीय ब्रेड जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थ अब करमुक्त हो गए हैं। वहीं साबुन, शैम्पू, टूथब्रश, स्नैक्स और साइकिल जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं पर कर घटाकर केवल 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका सीधा अर्थ है कि अब आम परिवार की थाली से लेकर उनकी दैनिक ज़रूरतों तक हर जगह बचत होगी। स्वास्थ्य सेवाओं और बीमा पर लिया गया निर्णय क्रांतिकारी है। 33 जीवन रक्षक दवाओं को पूरी तरह करमुक्त कर दिया गया है। कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में प्रयुक्त 3 विशेष दवाओं पर भी अब कोई कर नहीं लगेगा। कई अन्य दवाओं पर कर दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। बीमा के क्षेत्र में भी पहली बार सभी व्यक्तिगत जीवन बीमा योजनाएं चाहे वे टर्म लाइफ हों, एंडोमेंट हों या ULIP, पूरी तरह जीएसटी मुक्त कर दी गई हैं। इसी तरह सभी व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा योजनाएं, परिवार फ्लोटर और वरिष्ठ नागरिक योजनाएं अब शून्य कर के दायरे में हैं।
भारत की नई मध्यवर्गीय और युवाओं की पीढ़ी की आकांक्षाएं भी मोदी सरकार ने ध्यान में रखीं। छोटी कारें, मोटरसाइकिलें, टीवी, डिशवॉशर और एयर कंडीशनर जैसी वस्तुओं पर कर दर 28 से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है। इससे लाखों परिवारों का सपना पूरा होगा और देश में उपभोक्ता मांग भी बढ़ेगी। विशेषज्ञों के अनुसार छोटे वाहनों की बिक्री में इस साल 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कृषि क्षेत्र को मिली राहत अप्रत्याशित है। इसका लाभ सीधे किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण भारत में नई ऊर्जा के रूप में मिलेगा।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को मोदी सरकार ने हमेशा राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी माना है। जीएसटी सुधारों में उनके लिए विशेष ध्यान रखा गया है। कागज, पैकेजिंग, वस्त्र, चमड़ा, लकड़ी और हैंडीक्राफ्ट जैसे क्षेत्रों में कर दर घटाकर केवल 5 प्रतिशत कर दी गई है। खिलौने और खेल सामग्री पर कर 12 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और सस्ते चीनी आयात पर रोक लगेगी। यह सब मिलकर MSME को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती देंगे और “आत्मनिर्भर भारत” का सपना साकार करेंगे।
सौर पैनल, विंड टरबाइन, इन्वर्टर और बैटरी जैसे उपकरणों पर कर घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका परिणाम होगा कि अब सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे प्रोजेक्ट और भी सस्ते और सुलभ होंगे। इस बार जीएसटी परिषद के हर राज्य ने सर्वसम्मति से फैसले का समर्थन किया। यह प्रधानमंत्री मोदी की अद्वितीय नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है कि उन्होंने सभी राज्यों को एक दृष्टि और एक संकल्प के साथ जोड़ा। आज जब विकसित देश ठहराव और महंगाई से जूझ रहे हैं, भारत ने घरेलू मांग को बढ़ाने और उद्योगों को सशक्त बनाने का साहसिक निर्णय लिया है। अंतर्राष्ट्रीय निवेशक, रेटिंग एजेंसियां और वैश्विक संगठन इस सुधार की प्रशंसा कर रहे हैं।
कांग्रेस ने 2006 में जीएसटी का प्रस्ताव रखा था लेकिन लगभग 10 वर्षों तक न सहमति बना सके और न ही कोई ठोस ढांचा खड़ा कर पाए। इसके बजाय उन्होंने वैट लागू किया जिसमें हर राज्य की अलग-अलग दरें थीं। नतीजा यह हुआ कि देश में दोहरा कराधान बढ़ा, राज्यों की सीमाओं पर ट्रक घंटों फंसे रहते और उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ता रहा। वैट भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का दूसरा नाम बन गया। लेकिन 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वन नेशन, वन टैक्स’ का सपना साकार किया और भारत को एकीकृत कर प्रणाली दी। अब 2025 में उन्होंने उससे भी आगे बढ़कर जीएसटी में अब तक का सबसे बड़ा सुधार किया है।