Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

मोदी की सऊदी अरब यात्रा

मोदी की सऊदी यात्रा से भारत-सऊदी संबंधों में आएगी गहराई…

12:31 PM Apr 22, 2025 IST | Aditya Chopra

मोदी की सऊदी यात्रा से भारत-सऊदी संबंधों में आएगी गहराई…

कभी सऊदी अरब पाकिस्तान का सबसे अच्छा मित्र माना जाता था। वह हर साल पाकिस्तान को अरबों डालर की मदद देता रहा। पाकिस्तान को जब भी कर्ज या कूटनीतिक समर्थन की जरूरत पड़ती तो सऊदी अरब सबसे पहले आगे आता था। कई बार संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मसले पर भी सऊदी ने पाकिस्तान के स्टैंड का समर्थन किया था लेकिन अब दृश्य पूरी तरह से बदल चुका है। सऊदी अरब और अन्य कई अरब देश भारत के अच्छे-खासे मित्र बन चुके हैं। भारत के सऊदी के साथ रिश्ते बहुत पुराने हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के रिश्तों में प्रगाढ़ता आई है। अरब देश दुनिया के उन क्षेत्रों में शामिल हैं जिनके पास तेल, ऊर्जा और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है। इन देशों में राजनीतिक व्यवस्था और विकास के बीच बहुत जटिल संबंध हैं।

विकास की बात करें तो वह भी कई सामाजिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक कारकों से प्रभावित होता है। अरब देशों में अधिकांश सरकारें राजशाही पर आधारित हैं लेकिन अब बहुत कुछ बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। अरब देशों में राजशाही की युवा पीढ़ी दुनिया को नए नजरिए से देख रही है। सऊदी अरब जैसे देश अब दुनिया को साथ लेकर चल रहे हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में भारत और सऊदी के बीच संबंधों को बहुत गहराई मिली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो दिन में सऊदी अरब के दौरे पर जा रहे हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका और ईरान परमाणु कार्यक्रम पर समझौते के लिए आगे बढ़ चुके हैं। पश्चिम एशिया में हमास-इजराइल संघर्ष के कारण तनाव की स्थिति बनी हुई है। प्रधानमंत्री की यह यात्रा अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सऊदी अरब यात्रा से पहले हो रही है।

यह यात्रा भारत में वक्फ कानून को लेकर चल रहे विवाद के बीच हो रही है। प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को लेकर समझौते हो सकते हैं। इसमें सऊदी सेना को भारतीय सेना की ओर से प्रशिक्षण देना भी शामिल है। पिछले दो वर्षों में 80 सऊदी नौसैनिकों को भारत में ट्रे​निंग दी गई और दोनों देश समुद्री व्यापार मार्गों और वैश्विक चैक प्वाइंट्स की सुरक्षा भी मिलकर कर रहे हैं। भारत और सऊदी अरब में हाल के वर्षों में रक्षा सहयोग तेजी से बढ़ा है। दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण और रक्षा व्यापार बढ़ रहा है। दोनों की रक्षा साझेदारी में बड़ा घटनाक्रम बीते साल देखने को मिला, जब दोनों देशों के बीच पहली बार संयुक्त थल सेना अभ्यास हुआ। दोनों देशों की नौसेना के भी दो संयुक्त अभ्यास हो चुके हैं। प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर भी नियमित रूप से दोनों मुल्कों में बातचीत हो रही है। भारत बीते कुछ समय से सऊदी अरब की रक्षा सामग्री का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बनकर उभर रहा है।

सऊदी अरब में 25 लाख से भी ज्यादा भारतीय काम करते हैं। सऊदी अरब को भारत से न केवल तकनीकी पेशेवर लोगों की सेवाओं की जरूरत है, बल्कि उन्हें कुशल श्रमिकों की भी जरूरत पड़ती है। भारत अपने नागरिकों के हितों को भी देखता है क्योंकि भारत को प्रवासी भारतीयों से काफी अधिक विदेशी मुद्रा हासिल होती है। मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब के डिफेक्टी शासक माने जाते हैं। विजन बी 2030 के तहत उन्होंने देश को तेल आधारित अर्थव्यवस्था से विविध क्षेत्रों में ले जाने का लक्ष्य रखा है। इस योजना में भारत एक प्रमुख साझेदार के रूप में उभरा है। इसलिए मोहम्मद बिन सलमान ने अपनी पिछली भारत यात्रा के दौरान निवेश के कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। सऊदी अरब भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सऊदी अरब से भारत का आयात 31.42 बिलियन अमेरिकी डालर तक पहुंच गया और सऊदी अरब को निर्यात 11.56 बिलियन अमेरिकी डालर का था, 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 42.98 बिलियन अमेरिकी डालर था, जिसमें भारतीय निर्यात 11.56 बिलियन अमेरिकी डालर और आयात 31.42 बिलियन अमेरिकी डालर था।

भारत से सऊदी अरब को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में इंजीनियरिंग सामान, चावल, पैट्रोलियम उत्पादन, रसायन, वस्त्र, खाद्य उत्पाद, सिरेमिन टाइलें शामिल हैं। जबकि भारत के लिए सऊदी अरब से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं कच्चा तेल, एलपीजी, उर्वरक, रसायन, प्लास्टिक और इसके उत्पाद आदि हैं। सऊदी अरब 2023-24 के लिए भारत का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल और पैट्रोलियम उत्पाद सोर्सिंग गंतव्य बना रहा। सबसे बड़ी बात यह है कि आतंकवाद के खिलाफ हिन्द महासागर में सभी के हितों की रक्षा के लिए दोनों देशों के विचार समान हैं। सऊदी अरब ने अब तक भारत में वक्फ कानून को लेकर चल रहे विवाद पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। अब तक प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा अरब के इस्लामिक देशों से संबंध बढ़ाने में कोई बाधा नहीं बनी है।

कई अरब देश प्रधानमंत्री को अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। भारत और सऊदी में करीबी संबंधों को लेकर पाकिस्तान की ​चिंताएं बढ़ी हुई हैं। क्योंकि भारत की भूमिका बढ़ने से पाकिस्तान की क्षेत्रीय भूमिका लगातार सिमट रही है। प्रधानमंत्री की यात्रा ऊर्जा, निवेश, सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग जैसे अहम क्षेत्रों में साझेदारी की ओर आगे ले जाने की दिशा में मील का पत्थर सा​बित होगी।

Advertisement
Advertisement
Next Article