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मोरबी हादसा : ब्रिज का रखरखाव करने वाली एजेंसियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज

मोरबी हादसा में ब्रिज का मैनेजमेंट करने वाली कंपनी पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। इसके साथ ही जांच के लिए कमेटी बना दी गई है।

10:40 AM Oct 31, 2022 IST | Desk Team

मोरबी हादसा में ब्रिज का मैनेजमेंट करने वाली कंपनी पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। इसके साथ ही जांच के लिए कमेटी बना दी गई है।

गुजरात के मोरबी जिले में हुआ हादसे को लेकर पूरे देश स्तब्ध है। मच्छु नदी में बना केबल ब्रिज अचानक टूट जाने से 141 लोगों की मौत हो गई। रेस्क्यू में अभी तक 177 को बचाया गया है। एक सदी पुराने ब्रिज को मरम्मत एवं नवीनीकरण कार्य के बाद हाल ही में जनता के लिए खोला गया था। अपडेट के मुताबिक, ब्रिज का मैनेजमेंट करने वाली कंपनी पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। इसके साथ ही जांच के लिए कमेटी बना दी गई है।
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मोरबी बी डिवीजन पुलिस इंस्पेक्टर प्रकाशभाई देकावड़िया द्वारा ब्रिज का रखरखाव करने वाली और एमजीएमटी एजेंसियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। एजेंसियों के खिलाफ धारा 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए हत्या नहीं), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) और 114 (अपराध होने पर उपस्थित होने वाला) भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज हुआ है।

गुजरात : मोरबी हादसे में अब तक 141 की मौत, रेस्क्यू में जुटीं सेना और NDRF, बचाए गए 177 लोग

कलेक्टर ऑफिस पहुंचे CM 
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल आज सुबह मोरबी में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने तलाशी अभियान, राहत-बचाव अभियान, घायलों के इलाज सहित सभी मामलों की जानकारी ली और मोरबी में केबल ब्रिज गिरने की घटना में व्यवस्था को लेकर आवश्यक निर्देश दिए हैं।
दरअसल, रविवार को बड़ी संख्या में लोग मोरबी के मच्छु नदी पर बने केबल ब्रिज पर घूमने पहुंचे थे। इनमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे। जब लोग अपनी धुन में मस्त थे उसी दौरान ब्रिज टूट गया। जिसके बाद सैंकड़ों लोग नदी में गिर गए। जानकारी के मुताबिक, हादसे के वक़्त ब्रिज पर 400 के करीब लोग मौजूद थे, जिसमे से अब तक 140 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, वहीं 177 लोगो को रेस्क्यू किया जा चुका है।
100 साल पुराना था ब्रिज
ब्रिटिश शासन के दौरान बना ये ब्रिज करीब एक सदी पुराना था और मरम्मत एवं नवीनीकरण कार्य के बाद पांच दिन पहले ही इसे जनता के लिए खोला गया था। राजा-महाराजाओं के समय का यह पुल ऋषिकेश के राम-झूला और लक्ष्मण झूला पुल कि तरह झूलता हुआ सा नजर आता था, इसलिए इसे झूलता पुल भी कहते थे।
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