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मुन्ना भाइयों की खैर नहीं

04:00 AM Feb 07, 2024 IST | Aditya Chopra

परीक्षा घोटालों से शायद ही कोई राज्य बचा हो। उत्तर प्रदेश हो या असम हर जगह परीक्षा घोटालों का शोर मचा ही रहता है। राजस्थान और अन्य राज्यों में एक के बाद एक पेपर लीक के मामले सामने आते रहते हैं। हर साल लाखों युवा प्रवेश या नौकरी की परीक्षा देते हैं। उनके लिए रोजगार का अर्थ अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करना होता है। नीट परीक्षाओं से लेकर मेडिकल परीक्षा और अन्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में असली की जगह नकली परीक्षार्थी बैठने, प्रश्नपत्र लीक होने, नकल कराने और अन्य धांधलियों का खुलासा समय-समय पर होता रहा है। फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में पराॅक्सी के जरिये मेडिकल परीक्षा में टॉप करने वाला मुरली प्रसाद शर्मा या जॉली एलएलबी-2 में माइक पर परीक्षार्थियों को नकल कराने वाला वकील जगदीश्वर मिश्रा हो। यह सब फिल्मों के ही नहीं बल्कि वास्तविक जिन्दगी के भी किरदार हैं। जैसे-जैसे परीक्षा के तरीके आधुनिक होते गए धांधलेबाज भी नई-नई तरकीबें अपनाते गए। परीक्षा के घोटालेबाज खुलेआम व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। धांधलेबाजों का धंधा कई सौ करोड़ तक पहुंच चुका है।
हर जगह पेपर लीक कराने वाले, परॉक्सी परीक्षा देने वाले और सोलवर गैंग सक्रिय हैं। धांधलेबाजों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं ले​िकन असली गुनाहगार अभी भी कानूनी गिरफ्त से बाहर हैं। नौकरियां क्यो​ंकि बहुत कम हैं इस​लिए लोग इन्हें पाने के लिए लाखों रुपए देने को तैयार होते हैं। परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए और उन्हें पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठा लिया है। मोदी सरकार ने नया बिल लोकसभा में पेश किया। इसमें नकल करते पकड़े जाने या परीक्षा में अनियमितता पर 10 साल की जेल और एक करोड़ जुर्माने का प्रावधान किया गया है। लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक के पारित हो जाने के बाद अब मुन्ना भाइयों और नकल कराने वाले गिरोहों की खैर नहीं होगी। विधेयक में छात्रों को निशाना नहीं बनाया गया बल्कि इसमें संगठित अपराध माफिया और सांठगांठ में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। विधेयक में एक उच्चस्तरीय तकनीकी समिति के गठन का भी प्रस्ताव है। यह कम्प्यूटर के माध्यम से परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुर​िक्षत बनाने के लिए सिफारिशें करेगी। इन सिफारिशों के दायरे में संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षाएं भी आएंगी।
* लोकसभा में पेश किए गए इस बिल में यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, जेईई, नीट, सीयूईटी आदि एग्जाम को शामिल करने की योजना है। इसके साथ ही केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं में एडमिशन और नौकरियों के लिए सरकार की ओर से आयोजित सभी एग्जाम को भी शामिल करने का प्रस्ताव है।
* इस बिल में कई सख्त प्रावधान हैं जिनका उल्लंघन करने वाले दोषियों को न्यूनतम 3 से 5 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा 10 लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान है।
* इस विधेयक में संगठित अपराध से जुड़े केस में 5 से 10 साल तक की कैद, न्यूनतम एक करोड़ रुपये जुर्माने का प्रस्ताव भी है।
वैसे तो राजस्थान, उत्तराखंड, असम, गुजरात और अन्य कई राज्यों में नकल रोकने के लिए कानून बने हुए हैं लेकिन इसके बावजूद प्रश्नपत्र लीक होना एक राष्ट्रव्यापी समस्या बन गया है। इसलिए केन्द्र सरकार को अपनी तरह का पहला केन्द्रीय कानून लाने की आवश्यकता महसूस हुई। स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्षों बाद ऐसा कानून इसलिए लाया गया क्योंकि परीक्षा में धांधलियों के चलते लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा था। प्रतिभा सम्पन्न छात्र पिछड़ जाते थे और मुन्ना भाई कामयाब हो जाते थे। मेडिकल प्रवेश परीक्षा में पास कराने के बड़े-बड़े ठेके लिए जाते हैं और यह धंधा पूरे देश में फैला हुआ है।
मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला तो सबकाे याद होगा जिसने कई लोगों की जान ले ली थी। पिछले वर्ष परीक्षा पत्र लीक होने के बाद राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा, हरियाणा में ग्रुप डी पदों के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा, गुजरात में जूनियर क्लर्कों के लिए भर्ती परीक्षा और बिहार में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा समेत अन्य परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं। अब सवाल यह है कि कानून बन जाने से परीक्षा व्यवस्था में कितना सुधार आएगा। जब तक सिस्टम को पारदर्शी नहीं बनाया जाता तब तक परीक्षा से जुड़े संगठित अपराधों में कमी नहीं आ सकती। 1990 के दशक में अविभाजित उत्तर प्रदेेश में नकल विरोधी कानून पारित किया गया था और 1992 का वह कानून बड़े राजनीतिक मुद्दे में तब्दील हो गया था। देखना यह है कि परीक्षा व्यवस्था को ​इतना परफैक्ट बनाया जाए ताकि नकल और मुन्ना भाइयों के प्रवेश की सभी आशंकाएं खत्म हो जाएं। परीक्षाएं आयोजित करने के ​लिए ठेकेदारी बंद होनी चाहिए। उम्मीद है कि नया कानून अपराधों को कम करेगा।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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