Mystery of Krishna Dwarka Nagri: आखिर क्यों? समुद्र में डूब गई श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी, जानें किसने दिया था श्राप
Mystery of Krishna Dwarka Nagri: भारत के बहुत से मंदिर ऐसे हैं, जिसके पीछे का रहस्य हर कोई जानना चाहता है, क्योंकि हर मंदिर के पीछे एक कहानी छुपी होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने सागर की सतह पर एक नगरी बसाई थी, जिसका नाम द्वारका रखा गया था। यह नगरी अब जल विलीन हो चुकी है। इस नगरी के डूबने के पीछे कई कारण हैं। हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक द्वारका धाम भी है, जिसे भगवान श्रीकृष्णा की नगरी कहते हैं। द्वारका धाम गुजरात के काठियावाड क्षेत्र के अरब सागर में स्थित है। इस नगरी को समुद्र में विलीन हुए काफी समय हो चुका है। आइए जानते हैं, द्वारका नगरी डूबने का मुख्य कारण क्या है।
Who Cursed Dwarka: किसके श्राप से डूबी द्वारका नगरी

पौराणिक कथा के अनुसार, जरासंध द्वारा प्रजा पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए भगवान श्री कृष्णा मथुरा छोड़कर चले गए। जिसके बाद भगवान श्री कृष्णा ने समुद्र के किनारे अपनी एक अनोखी नगरी बसाई थी। जिसका नाम द्वारका रखा गया था। माना जाता है कि महाभारत के 36 साल बाद द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई थी। महाभारत में पांडवों की जीत हुई और कौरवों का नाश हो गया था।
जिसके बाद युधिष्ठिर का हस्तिनापुर में राजतिलक हो रहा था, उस दौरान श्री कृष्णा भी वहां मौजूद थे, तभी गांधारी ने श्रीकृष्ण को महाभारत युद्ध का दोषी ठहराते हुए भगवान श्री कृष्णा को श्राप दिया कि मैंने अपने आराध्य की सच्चे मन से आराधना की है और मैंने अपना पत्नीव्रत धर्म निभाया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह मेरे कुल का नाश हुआ है, बिल्कुल उसी तरह तुम्हारी आंखों के सामने तुम्हरे कुल का नाश भी होगा। कहा जाता है कि इसी श्राप के कारण द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई थी।
History of Dwarka City: द्वारका नगरी डूबने का इतिहास

इस नगरी को डूबे हुए न जाने कितने साल बीत चुके हैं। एक कथा के अनुसार, जिसमें महर्षि विश्वामित्र, देव ऋषि नारद द्वारका नगरी पहुंचे थे। वहां यादवों के कुछ लड़कों ने ऋषियों के साथ उपहास करने की योजना बनाई। इस योजना में भगवान श्रीकृष्ण का पुत्र सांब भी शामिल था। जिसे स्त्री बनाकर ऋषियों के सामने लाया गया। उस दौरान लड़कों ने कहा कि यह स्त्री गर्भवती है और आप इस स्त्री के गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में जानकारी दें कि क्या ये इस दुनिया में जन्म लेगा।
जब लड़कों ने ऋषि से इस तरह की बात पूछी, तो ऋषियों ने इसे अपना अपमान मानते हुए, उन लड़कों को श्राप दे दिया कि इसके गर्भ से जन्में शिशु के कारण ही सभी यदुवंशियों का नाश होना निश्चित है। ऋषियों के इस श्राप के बाद से ही सभी यदुवंशी आपस में बड़ी ही क्रूरता से लड़ने लगे और आपस में ही लड़-लड़कर एक दूसरे को मारने और मरने लगे। जब सभी यदुवंशियों की मृत्यु हो गई, उसके बाद बलराम ने भी अपने शरीर का त्याग कर दिया।

उसके बाद शिकारी के तीर से अनजाने में श्रीकृष्ण भी घायल हो गए। जिसके बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया और भगवान श्री कृष्णा निजधाम चले गए। जब पांडवों ने द्वारका की ये स्थिति देखी और उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि द्वारका नगरी अब समुद्र में समा जाएगी, तो अर्जुन ने द्वारका पहुंचकर श्रीकृष्ण के बचे सभी परिजनों को इंद्रप्रस्थ ले गए। उसी के कुछ समय बाद देखते ही देखते द्वारका नगरी पूरी तरह समुद्र में डूब गई।
माना जाता है कि द्वापर युग में द्वारका समुद्र में डूब गई थी। आज भी द्वारका नगरी समुद्र के अंदर है। काफी कोशिश के बाद लोग वहां पहुचें और द्वारका नगरी की पूरी जांच पड़ताल की। बताया जाता है कि आज भी द्वारका समुद्र के अंदर है। कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने समुद्र के अंदर जाकर इसकी काफी रिसर्च की है।
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