Nag Panchami Par Kya Daan Karein? शास्त्रों के अनुसार इन चीजों के दान से कंगाली होगी दूर, घर में भी होगी धन की वर्षा!
Nag Panchami Par Kya Daan Karein: नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जिसे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। आज 29 जुलाई 2025 को नागपंचमी है। इस दिन नाग देवता की पूजा करके उन्हें दूध, फूल, कुश आदि अर्पित किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विशेष दान करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, और घर में सुख-समृद्धि आती है। तो चलिए जानते हैं इस खास मौके पर किन चीजों के दान करने से शुभ होता है।
शास्त्रों में इन चीजों का दान करना है शुभ
- दूध और चावल का दान: नाग पंचमी पर नाग देवता को कच्चा दूध और चावल अर्पित करने की परंपरा है। यह दान गरीबों या ब्राह्मणों को भी दिया जा सकता है। इससे पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
- काले तिल और उड़द की दाल: काले तिल और उड़द की दाल शनि ग्रह को शांत करने में सहायक माने जाते हैं। इनका दान करने से दरिद्रता दूर होती है और धन आगमन के नए मार्ग खुलते हैं।
- सोना, चांदी या तांबे का नाग नागिन जोड़ा: नाग पंचमी पर चांदी या तांबे से बने नाग-नागिन का जोड़ा बनवाकर शिवलिंग पर चढ़ाना या मंदिर में दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इससे विशेष रूप से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
- कपड़े और आभूषण: इस दिन ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को वस्त्र, विशेषकर सफेद या पीले रंग के कपड़े दान करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। स्त्रियां अपनी सामर्थ्यानुसार चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर आदि भी दान कर सकती हैं।
- अनाज और भोजन का दान: गरीबों को अन्न, फल या पक्वान का दान करना बेहद शुभ माना गया है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और घर में अन्न-धन की कभी कमी नहीं रहती।
बता दें कि नाग पंचमी का पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि यह आध्यात्मिक शुद्धि और दान-पुण्य का अवसर भी है। इस दिन श्रद्धा भाव से किया गया दान न सिर्फ दरिद्रता को दूर करता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। अतः इस नाग पंचमी पर आप भी उपयुक्त दान करें और ईश्वर की कृपा प्राप्त करें।
Disclaimer: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह लेख पूरी तरह से मान्यताओं पर आधारित है।
प्रयागराज का प्राचीन नागवासुकी मंदिर, दर्शन मात्र से दूर होगा कालसर्प दोष
Nagvasuki Temple: प्रयागराज को धर्म और आस्था की नगरी का दर्जा प्राप्त है। ऐसा यूं ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे इस शहर का इतिहास और प्राचीन मंदिर हैं। अब प्रयागराज के Nagvasuki मंदिर को ही देख लीजिए। दारागंज के संगम तट स्थित इस प्राचीन मंदिर में स्वंय नागों के देवता वासुकी विराजमान हैं। Nag Panchami के दिन श्रद्धालु यहां पर दर्शन पूजन के लिए आते हैं।
कहा जाता है कि अगर कोई तीर्थयात्री बिना नागवासुकी के दर्शन किए लौट आए, तो उसका तीर्थ अधूरा ही रहता है। कहा यह भी जाता है कि मुगल काल में जब औरंगजेब भारत के मंदिरों को तुड़वा रहा था, तो वह नागवासुकी मंदिर भी पहुंचा था। लेकिन जब उसने मूर्ति पर भाला चलाया, तो दूध की धार निकलकर उसके चेहरे पर पड़ी और वो बेहोश हो गया है।