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साल में सिर्फ एक बार खुलते हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, जानें आज कब होगी आरती

01:01 PM Jul 29, 2025 IST | Neha Singh
Nagchandreshwar Temple Ujjain Darshan

Nagchandreshwar Temple Ujjain Darshan:  हिंदू धर्म में नागों की पूजा की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। नागों को भगवान शिव का आभूषण माना जाता है और इन्हें देवी-देवताओं के अत्यंत निकट माना गया है। भारत में कई मंदिर ऐसे हैं जो नागों से जुड़ी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हीं में से एक है मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो महाकालेश्वर मंदिर परिसर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसके द्वार साल में केवल एक दिन – श्रावण शुक्ल पंचमी यानी नागपंचमी के दिन ही खुलते हैं और वह भी सिर्फ 24 घंटे के लिए।

आज रात 12 बंद होंगे कपाट

नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए हर साल हज़ारों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। नागपंचमी की पूर्व रात को ही, लगभग 11 बजे से ही भक्त मंदिर में दर्शन की कतार में लग जाते हैं। कल रात भी 11 बजे से भक्त मंदिर की कतार में लगे हुए हैं। आज रात 12 तक खुले रहेंगे। जैसे ही कपाट खुलते हैं, भक्त "जय नागचंद्रेश्वर" के जयकारों के साथ दर्शन के लिए आगे बढ़ते हैं। इस अवसर पर जिला प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा दर्शन की सुगमता और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। दोपहर में शासन के अधिकारी और शाम को पुजारी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं।

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Nagchandreshwar Temple Ujjain Darshan 2

Nagchandreshwar Temple Aarti Timings

मंगलवार को दोपहर 12 बजे सरकारी अधिकारी और शाम 7.30 बजे मंदिर समिति के पुजारी व पुरोहित भगवान नागचंद्रेश्वर की पूजा-अर्चना करेंगे। मंदिर समिति और जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुचारू दर्शन व्यवस्था के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं।

कैसी है नागचंद्रेश्वर मंदिर की प्रतिमा

इस मंदिर की प्रतिमा अत्यंत अद्भुत और दुर्लभ है। नेपाल से लाई गई इस प्रतिमा में भगवान शिव शेष शैय्या पर विराजमान हैं, जो किसी अन्य मंदिर में नहीं देखा जाता। प्रतिमा में शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय, नंदी, सिंह, सप्तफनी नागराज, 7 फन के नागराज, सूर्य और चंद्रमा भी दर्शाए गए हैं। यहां एक ही स्थान पर शिव परिवार के दुर्लभ दर्शन होते हैं। महाकालेश्वर मंदिर स्वयं एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है और यह दक्षिणमुखी स्थिति वाला एकमात्र ज्योतिर्लिंग है।

Nagchandreshwar Temple Ujjain Darshan

नागचंद्रेश्वर मंदिर का पौराणिक महत्व

इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, सर्पराज तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। इसके बाद नागराज तक्षक हमेशा शिव के साथ रहने लगे, पर शिव को ध्यान में विघ्न पसंद नहीं था। तक्षक ने शिव की इच्छा को समझा और तभी यह तय किया गया कि वह वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी के दिन ही उनके दर्शन करेंगे। तभी से यह परंपरा चलती आ रही है।

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