Nagaland: नगालैंड सरकार का मास्टर प्लॉन, नगर निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण रिर्जव
नगालैंड सरकार ने उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को बताया कि वह नगर निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने पर सहमत हो गई है।
04:03 PM Apr 12, 2022 IST | Desk Team
नगालैंड सरकार ने उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को बताया कि वह नगर निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने पर सहमत हो गई है।राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम सुंदरेश की पीठ से कहा कि सभी पक्षकारों की मौजूदगी में नौ मार्च को विचार-विमर्श के लिए हुई बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया है।
सरकारी वकील ने पीठ से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री और अन्य लोगों की सहमति से प्रस्ताव पारित किया गया कि हमें महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाले 74वें संशोधन को अपनाना चाहिए।’’शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके बाद महिलाओं को आरक्षण देते हुए चुनाव कराने में कोई बाधा नहीं है।पीठ ने कहा, ‘‘हमने अनुपालन के हलफनामे पर भी गौर किया है जिसमें कहा गया है कि इस अदालत के निर्देश को ध्यान में रखते हुए 16 मार्च, 2022 को शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव के संबंध में एक बैठक आयोजित की गई और राज्य विधानसभा की मतदाता सूची को नगरपालिका चुनावों के आधार के रूप में उपयोग करने और पिछले चुनावों के बाद से बड़े अंतराल के कारण इसके अद्यतन के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग को सूचित किया गया।’’
उसने कहा, ‘‘राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा है कि उसने पहले ही सारांश संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिसमें दो महीने लगेंगे।’’ पीठ ने आयोग को जुलाई में सुनवाई की अगली तारीख पर चुनाव कार्यक्रम से अवगत कराने का निर्देश दिया।इससे पहले, न्यायालय ने राज्य के शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने में देरी पर नगालैंड सरकार को फटकार लगायी थी और कहा था कि लैंगिक समानता का एक अहम पहलू स्थगित होता दिख रहा है।
पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई इस शिकायत पर गौर किया था कि राज्य सरकार संसदीय मतदाता सूची का उपयोग स्थानीय निकाय चुनाव में करने के लिए कानून में बदलाव के उसके अनुरोध का जवाब नहीं दे रही है।शीर्ष अदालत पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और अन्य की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें नगालैंड की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के लिए नगालैंड नगरपालिका (प्रथम संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा 23 ए और राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार चुनाव कराने का अनुरोध किया गया है।
सरकारी वकील ने पीठ से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री और अन्य लोगों की सहमति से प्रस्ताव पारित किया गया कि हमें महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाले 74वें संशोधन को अपनाना चाहिए।’’शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके बाद महिलाओं को आरक्षण देते हुए चुनाव कराने में कोई बाधा नहीं है।पीठ ने कहा, ‘‘हमने अनुपालन के हलफनामे पर भी गौर किया है जिसमें कहा गया है कि इस अदालत के निर्देश को ध्यान में रखते हुए 16 मार्च, 2022 को शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव के संबंध में एक बैठक आयोजित की गई और राज्य विधानसभा की मतदाता सूची को नगरपालिका चुनावों के आधार के रूप में उपयोग करने और पिछले चुनावों के बाद से बड़े अंतराल के कारण इसके अद्यतन के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग को सूचित किया गया।’’
उसने कहा, ‘‘राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा है कि उसने पहले ही सारांश संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिसमें दो महीने लगेंगे।’’ पीठ ने आयोग को जुलाई में सुनवाई की अगली तारीख पर चुनाव कार्यक्रम से अवगत कराने का निर्देश दिया।इससे पहले, न्यायालय ने राज्य के शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने में देरी पर नगालैंड सरकार को फटकार लगायी थी और कहा था कि लैंगिक समानता का एक अहम पहलू स्थगित होता दिख रहा है।
पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई इस शिकायत पर गौर किया था कि राज्य सरकार संसदीय मतदाता सूची का उपयोग स्थानीय निकाय चुनाव में करने के लिए कानून में बदलाव के उसके अनुरोध का जवाब नहीं दे रही है।शीर्ष अदालत पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और अन्य की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें नगालैंड की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के लिए नगालैंड नगरपालिका (प्रथम संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा 23 ए और राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार चुनाव कराने का अनुरोध किया गया है।
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