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नमो नमो जपती दुनिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली, राजनीतिक कौशल और व्यक्तिगत संबंधों के चलते उनकी छवि विश्व नायक की बन चुकी है। उनकी बड़ी होती छवि का फायदा वैश्विक स्तर पर भारत को भी मिल रहा है।

02:09 AM Oct 30, 2022 IST | Aditya Chopra

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली, राजनीतिक कौशल और व्यक्तिगत संबंधों के चलते उनकी छवि विश्व नायक की बन चुकी है। उनकी बड़ी होती छवि का फायदा वैश्विक स्तर पर भारत को भी मिल रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली, राजनीतिक कौशल और व्यक्तिगत संबंधों के चलते उनकी छवि विश्व नायक की बन चुकी है। उनकी बड़ी होती छवि का फायदा वैश्विक स्तर पर भारत को भी मिल रहा है। दुनिया आज मोदी-मोदी के नाम की माला जप रही है और वैश्विक शक्तियां आज उनकी दीवानी हो चुकी हैं। विकासशील और गरीब देशों को उम्मीद है कि दुनिया के सामने खड़े संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 60 के दशक में गुटनिरपेक्ष की तरह विकासशील और गरीब देशों का नेतृत्व कर सकते हैं। प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत छवि और व्यक्तित्व इसमें काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर दुनिया को यह संदेश देने में सफलता हासिल कर ली है कि भारत शांति का पक्षधर है और भारत सरकार की नीति सबका साथ सबका विकास है। दुनिया की नजर में मोदी केवल राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि दूरदृष्टा साबित हुए हैं। अमेरिका और अन्य देश जिनमें खाड़ी देश भी शामिल हैं पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ कर चुके हैं। अमेरिका भारत को अपना रणनीतिक सांझेदार बना चुका है। अब रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफों के पुल बांधे हैं। उन्होंने पीएम मोदी को सच्चा देशभक्त बताते हुए कहा है कि वह ऐसे व्यक्तित्व हैं जो अपने लोगों के हित के लिए खुद की स्वतंत्र विदेश नीति बना सकते हैं।
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भारत पर अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जाने की कोशिशों के बावजूद एक आइसब्रेकर की तरह उन्होंने भारत के हित के लिए सही दिशा में सफर जारी रखा है। पुतिन ने भारत के विकास के मामले में जबरदस्त सफलता हासिल करने की बात स्वीकार की। अन्तर्राष्ट्रीय नीति विशेषज्ञों के सम्मेलन में पुतिन द्वारा प्रधानमंत्री की तारीफों के पुल बांधना अपने आप में बड़ी बात है। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद दुनिया में तेल और खाद्यान्न संकट समेत कई तरह के संकट खड़े हो गए। अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव के बावजूद भारत ने अपनी जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से बिना किसी डर के सस्ता तेल खरीदा। हालांकि अमेरिका और उसके पिछलग्गू देश भारत को रूस के खिलाफ खड़ा करना चाहते थे, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत किसी भी पक्ष में शामिल नहीं होगा। भारत के स्टैंड की अंततः अमेरिका और यूरोपीय देशों ने दबी जुबां में स्वीकार भी कर लिया। 
प्रधानमंत्री जो भी बात करते हैं बड़ी बेबाकी से करते हैं। शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में सर्वाधिक चर्चा मोदी की ही हुई थी। रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के दौरान कुछ ऐसा कहा जिसकी चर्चा दुनिया भर में हुई। उन्होंने पुतिन से दो टूक कहा कि यह वक्त युद्ध का नहीं है, बल्कि वर्तमान में दुनिया की बड़ी चिंता खाद्यान्न, उर्वरक और तेल की सुरक्षा को लेकर है। प्रधानमंत्री ने बातचीत के जरिये समाधान निकालने और युद्ध समाप्त करने को भी कहा। 
सोवियत संघ के जमाने से ही रूस भारत का मित्र रहा है। पाकिस्तान से हुए युद्ध के दौरान भी रूस ने हमारा साथ दिया। भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में भी रूस की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अंतरिक्ष विज्ञान में भी रूस ने हमारी मदद की। सारी दुनिया जानती है कि भारत रक्षा सामग्री और सैन्य साजो-सामान के लिए भी रूस पर निर्भर रहा है। प्रगाढ़ मैत्री के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी बात बड़ी साफगोई से कही। जी-7 हो या अन्य अन्तर्राष्ट्रीय मंच प्रधानमंत्री मोदी का कद बढ़ा है। जी-7 सम्मेलन में तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद मोदी से हाथ मिलाने आए थे। जी-20 की अध्यक्षता भी भारत के पास है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर मोदो की तारीफ की थी। मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने उन्हें अपना सच्चा मित्र बताते हुए कहा था कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए भारत-अमेरिका मिलकर काम करेंगे। उन्होंने मोदी के नेतृत्व में भारत की शानदार ग्रोथ की सराहना भी की थी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी मोदी का लोहा मानते  थे। पाक के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान भी भारत की विदेश नीति की सराहना कर रहे हैं।
अगर हम भारत के पड़ोसी देशों का दृश्य देखें तो भारत की स्थिरता और प्रगति का अनुमान लगाया जा सकता है।
-आतंकवाद की खेती करने वाला पाकिस्तान इस समय गृह युद्ध की कगार पर है और वहां की सेना आधे अधूरे लोकतंत्र को अपने बूटों के तले रौंदने को तैयार है। पाकिस्तान कर्ज के जाल में पूरी तरह से फंसा हुआ है।
-श्रीलंका कंगाल हो चुका है। लोग महंगाई की चक्की में पिस रहे हैं। खाने-पीने की वस्तुओं का अभाव है। आर्थिक संकट के दौरान भी भारत ने उसकी यथासम्भव मदद की है।
-यद्यपि भारत-नेपाल संबंध ठीक हैं, लेकिन वहां की पूर्व सरकारों ने देश को चीन के हाथों जिस तरह से गिरवी रखा आज नेपाल उसी का अंजाम भुगत रहा है।
जहां तक भारत की अर्थव्यवस्था का सवाल है, कोरोना महामारी झेलने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है। भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का मुकाम हासिल किया है। अगर घरेलू मोर्चे पर देखा जाए तो कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार ने देश की लगभग 80 करोड़ जनता को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जोकि एक बड़ी उपलब्धि है। इतनी बड़ी जनसंख्या के देश में सफल टीकाकरण अभियान अपने आप में बहुत बड़ी बात है। भारत अब आत्मनिर्भर भारत के सफर पर आगे बढ़ रहा है। अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक बहुत अ​च्छे हैं। आज दुनिया में भारत की आवाज सुनी जा रही है। मोदी विजयी बनकर उभरे हैं और भारत एक वैश्विक ताकत के रूप में उभरा है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण ही मुमकिन हुआ है। उनके नेतृत्व में हर भारतीय गौरव महसूस करता  है क्योंकि भारत अब दुश्मनों से आंख झुकाकर नहीं आंख में आंख डालकर बात करता है, चाहे वो चीन हो या पाकिस्तान। देशवासियों का भरोसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कायम है और उन्हें हराना मुश्किल है।
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