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National Unity Day 2025: लौह पुरुष सरदार पटेल की 150वीं जयंती आज, PM Modi ने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पर किया नमन, देश को दिलाई एकता की शपथ

01:14 PM Oct 31, 2025 IST | Khushi Srivastava
National Unity Day 2025
National Unity Day 2025: आज यानी 31 अक्टूबर को भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की 150वीं जयंती है। इस दिन को पूरे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जा रहा है। देश के अलग-अलग जिलों में आज 'रन फॉर यूनिटी' (Run for Unity) कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
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PM Modi Tribute: पीएम मोदी ने अर्पित की पुष्पांजलि

PM Modi Tribute (Image: Social Media)

राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) शुक्रवार की सुबह ही गुजरात के केवडिया पहुंचे, जहां उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) पर पुष्पांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने इस खास अवसर पर देश की अखंडता और विविधता के प्रतीक Rashtriya Ekta Diwas 2025 परेड का नेतृत्व भी किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल जनसेवा के लिए पूर्ण रूप से समर्पित थे। उन्होंने भारत में एकता और अखंडता का सूत्र बनकर एक स्वतंत्र भारत की नींव रखी।

पीएम ने आगे कहा कि, अलग-अलग प्रांतों को एक साथ करके एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण किया। सरदार पटेल का यह योगदान हर भारत वासी के लिए प्रेरणा है। इस मौके पर पीएम ने देशवासियों को एकता की शपथ भी दिलाई।

National Unity Day 2025: सरदार पटेल का ऐतिहासिक सफर

National Unity Day 2025 (Image: AI Generated)

सरदार वल्लभभाई पटेल न केवल स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे, बल्कि वे आज़ाद भारत के निर्माता, कुशल प्रशासक और सच्चे राष्ट्रनायक भी थे। अपनी दूरदर्शिता से उन्होंने विभाजित भारत को एकता के धागे में बांध दिया। 31 अक्टूबर वर्ष 1875 को गुजरात के नडियाद में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे पटेल अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। 16 वर्ष की उम्र में उनका विवाह हुआ और 33 वर्ष की आयु में वे पत्नीविहीन हो गए। कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की और लौटकर अहमदाबाद में वकालत प्रारंभ की। उनकी ईमानदारी और न्याय के प्रति निष्ठा ने उन्हें जनता के बीच “पटेल साहब” के रूप में प्रतिष्ठित किया।

महात्मा गांधी की विचारधारा से प्रेरित होकर सरदार पटेल ने अपनी वकालत का कार्य त्याग दिया और स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल हो गए। 1918 के खेड़ा सत्याग्रह में उनका नेतृत्व पहली बार पूरे देश में चर्चित हुआ। उस समय सूखे से जूझ रहे किसानों पर ब्रिटिश शासन ने कर माफी से इंकार कर दिया था। पटेल ने किसानों के पक्ष में दृढ़ता से आंदोलन किया और ब्रिटिश सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। यही क्षण था जब वे एक सशक्त जननेता के रूप में उभरे।

Vallabhbhai Patel को कैसे मिली 'सरदार' की उपाधि

Statue of Unity (Image: Social Media)
वर्ष 1928 का बारडोली सत्याग्रह सरदार पटेल के जीवन का ऐतिहासिक पड़ाव बना। ब्रिटिश शासन द्वारा अन्यायपूर्ण कर थोपे जाने के विरोध में पटेल ने किसानों का नेतृत्व किया और अंततः सरकार को निर्णय वापस लेने पर विवश कर दिया। इस सफलता के उपलक्ष्य में बारडोली की महिलाओं ने उन्हें “सरदार” की उपाधि दी। महात्मा गांधी ने भी इस सम्मान को स्वीकारते हुए कहा, “आज भारत को उसका असली सरदार मिल गया है।”

ऐसे बने “भारत के लौह पुरुष”

Sardar Vallabhbhai Patel (Image: AI Generated)
साल 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब देश के सामने 562 रियासतों को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट करने की बड़ी चुनौती थी। कुछ रियासतें पाकिस्तान में मिलना चाहती थीं, जबकि कुछ स्वतंत्र रहना चाहती थीं। सरदार पटेल ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, राजनीतिक कौशल और कूटनीतिक दृष्टि से इस असंभव लगने वाले कार्य को सफल बनाया। जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर जैसी कठिन रियासतों को भी उन्होंने भारतीय संघ में जोड़ा। बिना किसी बड़े युद्ध के, केवल संवाद और मजबूत नेतृत्व से उन्होंने “एक भारत” का सपना पूरा किया। इसी कारण वे “भारत के लौह पुरुष” और “भारत के बिस्मार्क” के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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Vallabhbhai Patel Quotes In Hindi: भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल, जिनका नाम सुनते ही दिल में देशभक्ति का जोश और गर्व की लहर उमड़ती है। सरदार पटेल ही थे जिसने 562 रियासतों को भारत में मिलाकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार किया। आजादी के बाद देश को एक करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, आगे पढ़ें...
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