नवरात्रे और रामलीला
शारदीय चैत्र नवरात्रे बहुत ही शुभ होते हैं और लोगों ने कठिन उपवास करते हुए मां दुर्गा के अब तक सभी स्वरूपों को विधिवत पूजन के बाद अब दुर्गा अष्टमी और दुर्गा महानवमी के पूजन के रूप में कंजकों की तैयारी कर ली है। यद्यपि कड़े नियमों का श्रद्धालुओं ने पालन किया है और इन्हीं नवरात्रों के साथ-साथ रामलीलाओं का आगाज एक संयोग ही है। दिल्ली में इस दौरान ऐसा आस्था का सैलाब उमड़ता है कि हर छोटा बड़ा मंदिर लोगों को दर्शन के लिए आमंत्रित कर रहा होता है। हम लोग भक्तिभाव से पूजा करने वाले लोग हैं लेकिन फिर भी शास्त्र संवत विधान यह कहता है कि व्यवस्थाएं बनी रहनी चाहिएं। लोगों को ये व्यवस्थाएं अपनी सुरक्षा के लिए भी बनाए रखना जरूरी है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि दिल्ली के सभी प्रसिद्ध मंदिरों चाहे वह झंडेवालान हो या छत्रपुर मंदिर, संतोषी माता मंदिर जेल रोड़ या फिर शिवगौरी मंदिर चांदनी चौक हो हर तरफ आस्था का सैलाब उमड़ता है। लंगर-भंडारे भी खूब चलते हैं। नवरात्रों में जिस व्यवस्था की बात कर रहे हैं उस चीज का सभी लोगों को ध्यान रखना चाहिए जो भंडारे और प्रसाद वितरण से जुड़ी हैं। सच है कि लोग बड़ी श्रद्धा और सच्ची भावना के तहत भंडारे लगाते हैं लेकिन हमारे खुद के कर्त्तव्य भी कुछ होने चाहिए। हमें शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। प्रसाद खाने के बाद पत्तलें या अन्य डोने डस्टबिन में ही डाले जाने चाहिए अगर बर्तन पीतल के या स्टील के हैं तो उन्हें खुद धोकर रसोई में सेवा भी करनी चाहिए। सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए अगर हम कुछ श्रमदान कार सेवा के तहत भी कर दें तो यह एक सच्चा
पुण्य है।
अनेक मंदिरों के आसपास भिखारियों की संख्या बढ़ जाती है। कई लोग अपने बच्चों के साथ बहुत जोखिम उठाते हुए ढेरो दुआएं देते हुए कुछ रुपया-पैसा मिल जाने की मांग करते हैं। सोशल मीडिया पर बहुत कुछ दिखाया जाता है। सच बात तो यह है कि इस भीड़ से दर्शन करने वाले लोगों को मुश्किलें भी हो सकती हैं। कई मंदिरों में प्रसाद और चुन्नियों की दुकानों के आसपास बहुत भीड़ रहती है। हालांकि वहां मंदिरों में सेवादारों की टीम अच्छा काम कर रही होती है लेकिन फिर भी अनुशासन का पालन करना जरूरी है। हमें अपनी गाड़ियों का ध्यान रखते हुए पार्किंग इस तरीके से करनी चाहिए कि वहां से गुजरने वाले ट्रैफिक और अन्य लोगों को दिक्कत न हो। जहां स्वच्छता और व्यवस्था है वहां भगवान का वास है। हमारा कर्तव्य बनता है कि खाने-पीने की चीजें जो हम प्रसाद के रूप में मंदिर को समर्पित करते हैं वह जमीन पर नहीं गिरनी चाहिए।
इसी कड़ी में एक चीज कहना चाहूंगी कि नवरात्रों के दिनों में ही पूरे नौ या दस दिन तक रामलीलाएं भी चलती हैं। भगवान राम के आदर्शों को जीवन में उतारना अच्छी बात है लेकिन भव्यता के साथ रामलीला का मंचन होता है। बेहतरीन से बेहतरीन साउंड सिस्टम के साथ-साथ सब कुछ डीजिटल हो चुका है। पाठकों और बड़ी-बड़ी रामलीला कमेटियों के अनुरोध पर हमने भी सर्वश्रेष्ठ रामलीला प्रतियोगिता का आयोजन किया है जिसका क्राइटेरिया सैट किया गया है। शानदार और सर्वश्रेष्ठ रामलीला के लिए हमने अलग-अलग कैटेगिरी बनाई हैं और जिनका प्रस्तुतिकरण बेहतरीन होगा उन्हें हम पुरस्कृत भी करेंगे। लेकिन मैं कुछ और विषयों की बात कर रही हूं वो अनुशासन पर आधारित है। रामलीला मंचन के दौरान न केवल स्वच्छता का ध्यान रखा जाना चाहिए बल्कि पार्किंग की उचित व्यवस्था को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। कई रामलीला कमेटियों के मुख्य द्वारों पर भारी भीड़ रहती है जिस कारण वहां सड़कों से गुजरने वाले वाहनों का लंबा जाम लग जाता है हालांकि ट्रैफिक जाम को लेकर अनेक सुरक्षा बंदोबश्त पुलिस द्वारा किये जा रहे हैं लेकिन फिर भी श्रीराम के जीवन को उनके आदर्शों पर चलने का अगर हम संकल्प लेते हैं तो मैं समझती हूं कि ऐसी व्यवस्था निभाने का भी हम लोगों में संकल्प होना चाहिए, जो किसी न किसी की भलाई से जुड़े हो। नवरात्रे हो या श्रीरामलीला आयोजन अगर हम आदर्श व्यवस्था को निभाते हैं तो यह सबके लिए हितकारी है। कन्या पूजन के साथ ही नवरात्रों का संपन्न होना और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दशहरा और फिर राजतिलक समारोह सब कुछ नवरात्रों के साथ ही संपन्न होने वाला है। आइए एक उचित व्यवस्था निभाएं और मां दुर्गा के प्रति समर्पित रहते हुए श्रीराम के बताए मार्ग पर चलने का न केवल संकल्प लें बल्कि इसे निभाएं भी।