Navratri Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन कालों का काल मां कालरात्रि को ऐसे करें प्रसन्न, जानें कैसा है उनका दिव्य स्वरूप और पूजा का शुभ मुहूर्त
Navratri Day 7: नवरात्रि का पर्व भारत में शक्ति उपासना का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और पूजन-विधि होती है। नवरात्रि (Shardiya Navratri 2025) के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना की जाती है।
इन्हें “काली” और “महाकाली” (Maa Kaalratri) के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि माँ कालरात्रि भक्तों के सभी भय का नाश करती हैं और उन्हें जीवन में शक्ति, साहस तथा सफलता प्रदान करती हैं। इस दिन की पूजा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिष और पौराणिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
Shardiya Navratri 2025: जानें शारदीय के सातवें दिन का क्या है महत्व
नवरात्रि का (Shardiya Navratri 2025) सातवां दिन साधना और भक्ति के लिहाज से विशेष महत्व रखता है। इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा करने से जीवन के सभी भय और शत्रुओं का नाश होता है। नकारात्मक शक्तियाँ और बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। इसके साथ ही राहु ग्रह के दोष दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
इतना ही नहीं इस दिन मां कालरात्रि (Maa Kaalratri) की पूजा करने से साधक को अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है और आध्यात्मिक उन्नति की राह प्रशस्त होती है। हिंदू शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा भाव से माँ कालरात्रि की उपासना करता है, उसके जीवन से अचानक आने वाली बाधाएँ दूर हो जाती हैं और वह सफलता की ओर बढ़ता है।
Maa Kaalratri: जानें कैसा है मां कालरात्रि का दिव्य स्वरूप
माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत उग्र और भयानक दिखता है, लेकिन उनका हृदय उतना ही शांत और करुणामय है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माँ का रंग श्याम (काले) की तरह गहरा है, बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत-सी चमकती माला है। उनके तीन नेत्र हैं, जो ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक हैं। माँ का वाहन गधा (गर्दभ) है।
वे अपने दाहिने हाथ में वरमुद्रा और अभयमुद्रा धारण करती हैं, जबकि बाएँ हाथ में लोहे का कांटा और खड्ग (हथियार) रहता है। यह स्वरूप इस बात का प्रतीक है कि माँ हर प्रकार के संकट का नाश करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। उनका भयावह रूप केवल दुष्टों और राक्षसी प्रवृत्तियों के लिए है, जबकि भक्तों के लिए वे अत्यंत स्नेह और करुणा की मूर्ति हैं।
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Puja Ka Shubh Muhurat: इस शुभ मुहूर्त में करें मां कालरात्रि की पूजा
शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन मां काली को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शारदीय नवरात्रि 2025 में सातवें दिन (रविवार, 28 सितंबर) मां कालरात्रि को समर्पित है। आज शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। आज मां कालरात्रि की पूजा का शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त से शुरु हो गया है।
ब्रह्म मुहूर्त आज 28 सितंबर के दिन लगभग सुबह 4:36 बजे से 5:24 बजे तक है और अभिजीत मुहूर्त लगभग दोपहर 11:56 बजे से 12:46 बजे तक शामिल हैं। इसके साथ ही अमृत काल का शुभ समय लगभग सुबह 9:32 बजे से 11:12 बजे तक रहने वाला है। बता दें कि अमृत काल का समय आध्यात्मिक साधना के लिए उत्तम माना जाता है। इसके साथ ही आज घोडुली मुहूर्त लगभग शाम 6:51 बजे से 7:14 बजे तक रहने वाला है। यह शुभ समय भी पूजा के लिए अनुकूल समय है।
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