जानें कैसे पाएं अपनी भावनाओं पर काबू, नकारात्मक भावनाएं करती है शरीर पर बुरा असर
नकारात्मक भावनाओं का शरीर पर असर, जानें समाधान
भागदौड़ भरी जिंदगी में भावनाओं पर ध्यान न देने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। बहुत गुस्सा करते हैं तो उसका असर हमारे लिवर पर होता है। जिस कारण सिर में दर्द, चिड़चिड़ापन, हाई बीपी और पाचनतंत्र की परेशानी हो सकती हैं। वैसे ही डर किडनी को, और दुख फेफड़ों को प्रभावित करता है। चिंता तिल्ली और पेट को कमजोर करती है, जबकि उदासी दिल पर गहरा असर डालती है। जलन लिवर और पित्त की थैली को नुकसान पहुंचाती है। इसलिए हमें अपनी भावनाओं को दबाना नहीं चाहिए, बल्कि उसे समझकर अपनो के साथ व्यक्त करना चाहिए, इससे जीवन सुंदर और सेहतमंद बनता है।
आज कल की जिंदगी इतनी भागदौड़ भरी हो गई है, जिस कारण हम अपने अंदर पनप रहें भावनाओं पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। लेकिन यही भावनाएं हमारे काम और सेहत पर कई तरह से प्रभाव डालती हैं। अगर आपने किसी भी प्रकार की भावना को बहुत लंबे समय से अपने अंदर दबा कर रखा हैं तो यह आपके लिए सही नही हैं। यह आपके अंगों को कमजोर बना सकती हैं। अब चाहे वो- जलन, डर, चिंता, उदासी, गुस्सा या खुशी क्यों ना हो, यह सभी भावनाओं के कारण हमारा शरीर के अलग-अलग तरीके से प्रभावित होता हैं।
लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा हैं कि- कौन-सी भावना आपके किस अंग को प्रभावित करती है? नहीं ना तो आज जान लीजिए:-
क्या आप जानते हैं गुस्सा करना हमारे सेहत के लिए क्यों खराब होता है? दरअसल, जब हम बहुत गुस्सा करते हैं तो उसका असर हमारे लिवर पर होता है। जिस कारण सिर में दर्द, चिड़चिड़ापन, हाई बीपी और पाचनतंत्र की परेशानी हो सकती हैं।
वहीं जब हम डरते या घबराते हैं तो इसका असर हमारी किडनी पर पड़ता है। जिससे हमें थकान, कमर दर्द, अनिद्रा और बार-बार पेशाब लगने की समस्या होती हैं।
जब हम काफी वक्त तक दुखी रहते हैं तो इसका असर सीधा हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। जिस कारण सांस लेने में समस्या, कमजोरी और सीने में भारीपन का एहसास होता है।
यह बात तो आपने सुनी ही होगी की चिंता चिता समान है क्योंकि यह हमें मानसिक तनाव देता हैं और हमारी तिल्ली को भी कमजोर करती है। साथ ही इसका असर, हमारे पेट पर भी पड़ता हैं। जिस कारण भूख न लगना, खाना हजम होने में दिक्कत और पेट भी भारी-भारी सा लगता है।
वही उदासी हमारे दिल पर गहरा असर करती है जिस कारण हमारे दिल की धड़कन असंतुलित रहती हैं साथ ही कमजोरी और थकान भी बनी रहती है।
अगर अब बात जलन की करें तो यह हमारी लिवर के साथ-साथ पित्त की थैली पर असर करता है यह हमारे पाचन को खराब करता है और मन को भी बेचैन रखता है।
इसलिए हमें अपनी भावनाओं को दबाना नहीं चाहिए, बल्कि उसे समझकर अपनो के साथ जाहिर करना चाहिए। इस तरह की भावनाओं को दिल में रखने से सिर्फ समस्या ही होती है। जबकि मुस्कराने से हम अपने जीवन को सुंदर और सेहतमंद बना सकते है।
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