Nicholas Pooran ने 29 साल की उम्र में Cricket के सभी Formats से ली Retirement
क्रिकेट से पूरन का संन्यास: अंतरराष्ट्रीय भविष्य पर सवाल
वेस्ट इंडीज के विकेटकीपर बल्लेबाज निकोलेस पूरन ने सोमवार रात अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का बड़ा फैसला किया। पूरन ने तीनों फॉर्मेट से रिटायरमेंट लिया है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब साउथ अफ्रीका के विकेटकीपर बल्लेबाज हेनरिक क्लासेन ने भी हाल ही में टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया है। पूरन का मन अब पूरी तरह से फ्रेंचाइजी क्रिकेट में खेलने का है। इस फैसले ने क्रिकेट के फैंस के बीच चिंता बढ़ा दी है कि कहीं ये ट्रेंड अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के भविष्य के लिए खतरा तो नहीं।पिछले कुछ सालों में कई बड़े खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को छोड़कर फ्रेंचाइजी लीग पर ध्यान दे रहे हैं। कुछ खिलाड़ी अपनी सबसे अच्छी फॉर्म में ही खेल छोड़ देते हैं। पूरन भी ऐसे ही खिलाड़ी हैं, जो वेस्ट इंडीज टीम का नेतृत्व कर चुके हैं और अब सबसे ताजा उदाहरण बन गए हैं।
अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में पूरन ने लिखा, “काफी सोच-विचार के बाद मैंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। इस खेल ने मुझे बहुत कुछ दिया है – खुशी, मकसद, यादगार पल और वेस्ट इंडीज के लोगों का प्रतिनिधित्व करने का मौका। मारून जर्सी पहनकर राष्ट्रगान के समय खड़ा होना और हर बार मैदान पर पूरी ताकत से खेलना मेरे लिए शब्दों से परे है। टीम की कप्तानी करने का मौका मिला, जो मेरे लिए हमेशा गर्व की बात रहेगी।”उन्होंने फैंस का भी धन्यवाद किया, “आप सभी के प्यार और सपोर्ट ने मुश्किल वक्त में मुझे संभाला और अच्छे समय में जश्न मनाया। मेरे परिवार, दोस्तों और टीममेट्स का भी शुक्रिया जिन्होंने इस सफर में मेरा साथ दिया।”
पूरन ने कहा कि भले ही अब उनका अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म हो रहा है, लेकिन उनका वेस्ट इंडीज क्रिकेट के लिए प्यार कभी कम नहीं होगा। उन्होंने टीम और क्षेत्र के लिए आगे सफलता और मजबूती की कामना भी की।29 साल के पूरन ने टी20 अंतरराष्ट्रीय में वेस्ट इंडीज के लिए अब तक सबसे ज्यादा मैच खेले हैं। उन्होंने कुल 106 मुकाबले खेले और 2,275 रन बनाकर टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बन गए हैं। उनका विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी दोनों ही स्तर पर योगदान टीम के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
पूरन के इस फैसले से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या भविष्य में और खिलाड़ियों के भी इसी तरह फ्रेंचाइजी क्रिकेट को प्राथमिकता देने की संभावना है, जिससे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की चमक कम हो सकती है। खासकर जब आजकल कई खिलाड़ी अपनी उम्र के सबसे बेहतरीन दौर में भी यह कदम उठा रहे हैं।