W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा को आगे बढ़ायेंगे नोएल टाटा

05:45 AM Oct 15, 2024 IST | Rahul Kumar Rawat
स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा को आगे बढ़ायेंगे नोएल टाटा

रतन टाटा के निधन के एक दिन बाद ही उनके सौतेले छोटे भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का नया चेयरपर्सन नियुक्त किया गया है। टाटा ट्रस्ट के माध्यम से ही टाटा समूह परोपकारी कामों को करता है। पूरे देश को आशा है कि 76 वर्षीय नोएल टाटा अपने अग्रज के नक्शे कदमों पर चलते रहेंगे। वे नवल टाटा, जो रतन के पिता भी थे, और सिमोन टाटा के पुत्र हैं। वे टाटा ट्रस्ट सहित कई टाटा कंपनियों के बोर्ड में हैं। अब वे टाटा समूह के धर्मार्थ और लोक कल्याणकारी कार्यों का नेतृत्व करेंगे। वह टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन के चेयरमैन और टाटा स्टील और टाइटन कंपनी लिमिटेड के उपाध्यक्ष हैं। उनकी छवि रतन की तरह ही धीर-गंभीर है। वह कोई बहुत खबरों में रहना पसंद नहीं करते। वह एक कर्मयोगी की तरह काम में लगे रहना पसंद करते हैं। रतन टाटा भी तो सुर्खियों से दूर ही रहना पसंद करते थे और एक शर्मीले अकेले व्यक्ति की सार्वजनिक छवि पेश करते थे। रतन की तरह नोएल को भी अपने पिता नवल टाटा से बिजनेस की बारीकियों को जानने का मौका मिला। नवल टाटा भारतीय हॉकी संघ के अध्यक्ष भी रहे। नवल टाटा ने अपने एक निकट संबंधी सुनी टाटा से शादी की, लेकिन जब रतन और उनके छोटे भाई, जिमी, अभी भी बहुत छोटे थे, तब वे अलग हो गए। नोएल की मां सिमोन हैं। वह रतन टाटा की अंत्येष्टि में मौजूद थीं।

Advertisement

उन्होंने सौंदर्य प्रसाधन की कंपनी लैक्मे को स्थापित किया था। सिमोन टाटा मूल रूप से स्विट्जरलैंड से हैं। वह 1953 में जब भारत आईं तो यहां उनकी मुलाकात नवल एच. टाटा से हुई। उसके बाद दोनों ने शादी की। उन्होंने रतन टाटा और नोएल का पालन-पोषण किया।
बहरहाल, नोएल टाटा के ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वह रतन टाटा की विरासत को आगे लेकर जाएं। रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को दुनिया के बड़े कोरपोरेट हाउस में तब्दील कर दिया था। रतन टाटा अपने ग्रुप के 1991 से 2012 तक अध्यक्ष रहे। इस दौरान टाटा ग्रुप के मुनाफे में 50 गुना वृद्धि हुई, जिसमें अधिकांश राजस्व विदेशों में जगुआर और लैंड रोवर वाहनों और टेटली चाय जैसे पहचाने जाने वाले टाटा उत्पादों की बिक्री से आया। रतन टाटा के नेतृत्व में उनके समूह का भारत में प्रभाव पहले से कहीं अधिक ही हुआ। दरअसल रतन टाटा उन मूल्यों को प्रतिबिंबित करते थे जिनमें व्यावसायिकता, उद्यमशीलता और सभी हितधारकों के हितों को आगे बढ़ाने को लेकर एक प्रतिबद्धता का मिला-जुला भाव होता है। उनके नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने कई चुनौतियों का सामना किया और लाभदायक विकास पर अधिक ध्यान देने के साथ हर बार मजबूत बनकर उभरी। बेशक, वह भारत के कॉरपोरेट जगत के सबसे सफल और सम्मानित नाम रहे।

Advertisement

रतन टाटा ने वक्त रहते ही टाटा ग्रुप में अपने संभावित उत्तराधिकारियों को तैयार करना शुरू दिया था। यह तो सबको पता है कि हरेक व्यक्ति के सक्रिय करियर की आखिरकार एक उम्र है। उसके बाद तो उसे अपने पद को छोड़ना ही है, खुशी-खुशी छोड़े या मजबूरी में छोड़ना पड़े। इसलिए बेहतर होगा कि किसी कंपनी का प्रमोटर, चेयरमैन या किसी संस्थान का जिम्मेदार पद पर आसीन शख्स अपना एक या एक से अधिक उत्तराधिकारी तैयार कर ले। बेहतर उत्तराधिकारी मिलने से किसी कंपनी या संस्थान की ग्रोथ प्रभावित नहीं होती। सत्ता का हस्तांतरण बिना किसी संकट या व्यवधान के हो जाता है। आप कंपनी को मेंटोर के रूप में शिखर या कहें कि चेयरमैन के पद से हटने के बाद भी सलाह तो दे ही सकते हैं। एक बात समझनी होगी कि किसी कंपनी या उद्योग समूह की सफलता का माप केवल उसके वित्तीय प्रदर्शन से नहीं होती है। कंपनी का चरित्र, नैतिकता और सामाजिक उत्तरदायित्व भी उसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कंपनी के प्रबंधन को ग्राहकों, कर्मचारियों, या समाज के साथ ईमानदारी बरतनी चाहिए। रतन टाटा की सरपरस्ती में टाटा समूह ने निर्णय लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया। रतन टाटा के लिए अपने ग्राहकों को संतुष्ट करना पहली प्राथमिकता रही। उनके चलते उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता और ग्राहक सेवा में उच्च मानक रखे गए।

Advertisement

वह अपने ग्राहकों के साथ मजबूत और स्थायी संबंध बनाने में यकीन करते थे। वह ग्राहकों को सुनते और उनकी जरूरतों को समझते थे।रतन टाटा ने अपने सामाजिक दायित्वों को हमेशा समझा। इसीलिए टाटा समूह हर साल बहुत बड़ी रकम खर्च करता है। टाटा समूह सिर्फ एक कॉर्पोरेशन नहीं है, बल्कि एक ऐसा संगठन है जिसके डीएनए में "समाज सेवा" है। जमशेदजी टाटा की दूरदृष्टि से स्थापित इस समूह ने शुरू से ही समाज सेवा को अपने कार्यों का अभिन्न अंग बनाया है। यह अपने धर्मार्थ कार्यों के माध्यम से भारत में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डालता है, जो देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। जमशेदजी को यह प्रेरणा स्वामी विवेकानंद जी से ही प्राप्त हुई थी । शिकागो के सर्व धर्म सम्मेलन में जाने के पूर्व जब वे दक्षिण भारत का भ्रमण कर रहे थे तो उन्हें यह बात खली कि दक्षिण भारत में विज्ञान की उच्चतर शिक्षा प्रदान करने वाला कोई संस्थान नहीं है। तब उन्होंने विचार किया कि इस काम में टाटा स्टील के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा उपयुक्त व्यक्ति होंगे और उन्होंने शिकागो जाने के पूर्व उन्हें एक पत्र लिखा जो “माई डियर जेआरडी’’ के नाम से प्रसिद्ध है । स्वामी जी ने टाटा को लिखा कि “आप बिहार के जमशेदपुर से अच्छा पैसा कमा रहे हो। मेरी शुभकामना है कि और ज़्यादा धन अर्जित करो और ज़्यादा लोगों को रोज़गार दो। लेकिन विज्ञान की उच्चतर शिक्षा से वंचित दक्षिण भारत की भी थोड़ी चिंता करो और दक्षिण भारत में कहीं भी विज्ञान की ऊंची पढ़ाई और रिसर्च का कोई बढ़िया संस्थान स्थापित करो।

मैं जानता हूं कि तुम यह कर सकते हो और विश्वास है कि तुम ऐसा ही करोगे।” स्वामी विवेकानंद जी की इस प्रेरक चिट्ठी पढ़ने के बाद जमशेद जी इतने प्रेरित हुए कि उन्होंने बैंगलुरु में तत्काल ही एक विज्ञान का बढि़या संस्थान शुरू कर दिया जो आज “इण्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस’’ के नाम से विश्व विख्यात है और जो प्रतिभाशाली बच्चे वैज्ञानिक बनना चाहते हैं, या रिसर्च या अध्यापन कार्य में अपना करियर बनाना चाहते हैं वे किसी भी आईआईटी में जाने से ज़्यादा आईआईएस में जाना ज़्यादा पसंद करते हैं। अब नोएल टाटा को टाटा समूह के धर्मार्थ कार्यों पर फोकस देना होगा। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक विकास, आपदा राहत और कला-संस्कृति जैसे क्षेत्रों में काम करना होगा। टाटा समूह समाज सेवा में एक दीर्घकालीन प्रतिबद्धता रखता है। वह कई दशकों से इन कार्यों में लगातार जुड़ा हुआ है और यह प्रतिबद्धता आगे भी जारी रहनी चाहिए। सारे देश को पता है कि टाटा समूह समाज सेवा के माध्यम से सतत विकास में विश्वास रखता है। इसके कार्य न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी साबित होंगे। टाटा समूह के धर्मार्थ कार्य देश के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान हैं। अब देश को नोएल टाटा से यह आशा है कि वह अपने समाज सेवा से जुड़े कार्यों को जारी रखेगा।

Advertisement
Author Image

Rahul Kumar Rawat

View all posts

Advertisement
Advertisement
×