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‘उड़ता पंजाब’ ही नहीं, शुभमन पंजाब

04:03 AM Jul 17, 2025 IST | Chander Mohan
‘उड़ता पंजाब’ ही नहीं  शुभमन पंजाब

पिछले कुछ दिन बुरी खबरों से भरे रहे हैं। एअर इंडिया का विमान गिर गया, गुजरात में पुल गिर गया, मंडी में भूस्खलन में सारा परिवार बह गया केवल एक 11 महीने की बच्ची बची है जो अपनी मां के लिए लगातार रो रही है। जैगुआर विमान गिर गया, दो पायलट मारे गए। रेप की खबरें कोलकाता से चेन्नई तक रोज़ाना आ रही हंै। जगह-जगह से हत्या के समाचार मिल रहे हैं। समाज के मूल्य किस तरह लड़खड़ा रहे हैं यह हरियाणा से दो समाचारों से पता चलता है। गुरुग्राम में अपनी बेटी की सफलता और आज़ादी की तमन्ना से परेशान पिता ने ही उसकी हत्या कर दी। हिसार में दो स्कूली छात्रों ने चाकू मार-मार कर अपने प्रिंसिपल की हत्या कर दी। यह वही हरियाणा है जहां बाप-बेटी के सही रिश्ते पर ब्लाक बस्टर फ़िल्म ‘दंगल’ बनी थी। मुम्बई में उन लोगों को थप्पड़ मारे जा रहे हैं जिन्हें मराठी नहीं आती जबकि मुम्बई में केवल 36 प्रतिशत लोगों नें ही मराठी को अपनी मातृभाषा बताया है। बिहार के चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने आधार कार्ड, राशन कार्ड और अपना कार्ड को पहचान मानने से इंकार कर दिया है। अगर चुनाव आयोग का नागरिकता का मापदंड लागू हो गया तो लाखों लोग वोट देने के अपना मूल अधिकार से वंचित हो जाएंगे।
पंजाब के लिए पिछले कई दशक बहुत कष्टदायक रहे हैं। हम मिलिटैंसी से निकले तो नशे में फंस गए। ‘चिट्टे' ने हमारे समाज को तबाह कर दिया। अब मान सरकार गम्भीरता दिखा रही है और बड़े मगरमच्छ पकड़ रही है पर लगता है बहुत देर हो चुकी है। जो भाग सकता है, वह युवक पंजाब से भाग रहा है। कई डंकी रूट से विदेश गए हैं, कई रास्ते में फंस चुके हैं। अब बाहर जाने के रास्ते बंद हो रहे हैं इसलिए क्राइम बहुत बढ़ गया है। विदेश में बैठे गैंगस्टर फिरौती के लिए यहां गोलियां चलवा रहे हैं। हाल ही में अबोहर में दिनदहाड़े मशहूर कपड़ा कारोबारी की 10 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्या की ज़िम्मेवारी अमेरिका में बैठे किसी गैंगस्टर ने ली है। मोगा में अभिनेत्री तानिया के पिता को उनके क्लीनिक में हत्या कर दी गई। नशे और क्राइम का गहरा रिश्ता है। शहरों से छीना झपटी की खबरें रोज़ाना मिलती हैं। खेती लाभदायक नहीं रही जिससे देहात में असंतोष है। बेरोज़गार, पढ़े लिखे या अनपढ़, युवक किसी भी समाज के लिए चुनौती हैं। लम्बे चले किसान आंदोलन के दौरान धरनों और बंद सड़कों के कारण निवेशक यहां नहीं आ रहा। अनिश्चितता के वातावरण में निवेश नहीं होता। ऊपर से केन्द्र सरकार का रवैया सहयोग पूर्ण नहीं है। पंजाब को परेशान नहीं किया जा रहा, पर पंजाब को उबारने के लिए भी कुछ नहीं किया जा रहा।
पंजाब के गंदे, प्रदूषित, अराजक शहर हमारी दास्तां बयां करते हैं। गैंगस्टर के महिमागान के कारण कई युवक क्राइम की तरफ़ आकर्षित हुए हैं। पंजाबी सिंगर के एक वर्ग ने प्रदेश के युवकों को ग़लत रास्ते पर डालने का शर्मनाक काम किया है। यह गुमराह युवक समझते नहीं कि एक बार इसमें फंस गए तो वापसी नहीं है। इस निराशाजनक परिदृश्य में एक नौजवान ने अपनी मिसाल से संदेश दिया है कि सब कुछ ख़त्म नहीं हो गया। अभी भी पंजाब के युवाओं में देश का नेतृत्व करने की क्षमता है। वह युवक उस क्षेत्र से है जहां कृषि मुख्य व्यवसाय है। मुम्बई ने सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी दिए। दिल्ली ने विराट कोहली और वीरेन्द्र सहवाग दिए। यहां हर क़िस्म की सुविधा उपलब्ध है। खेल का माहौल उपलब्ध है पर फाजिल्का से निकल कर देश के क्रिकेट के क्षितिज पर छा जाना मामूली बात नही है। इस युवक की अपार सफलता यह संदेश है कि अगर परिवार की सपोर्ट हो और खुद मेहनत करने का जज्बा हो तो कहीं भी पहुंचा जा सकता है। जो पंजाब अच्छी खबर के लिए बेताब है, उसे दुनिया को बताने के लिए शुभमन गिल मिल गया। यह 'उड़ता पंजाब’ ही नही, शुभमन पंजाब भी है।
भारत के नए क्रिकेट कप्तान का सम्बंध पंजाब के मालवा क्षेत्र से है। फाजिल्का ज़िले के गांव चक जैमलसिंह वाला ने देश को नया सितारा दिया है। 25वर्ष की आयु में शुभमन गिल नए रिकार्ड लिख रहा है, नया इतिहास रच रहा है। वह देश के उस हिस्से से है जो बड़े-बड़े गैंगस्टर और तस्कर देने के लिए कुख्यात है। गैंग वॉर आम है पर शुभमन का निशाना एके 47 से नहीं, क्रिकेट के बैट से है। द ट्रिब्यून अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार ‘फाजिल्का, मुक्तसर, मोगा और फ़रीदकोट के 50 किलोमीटर के दायरे में पिछले दो दशक में सबसे बड़े गैंगस्टर पैदा हुए हैं’। इसीलिए शायद परिवार अपने बेटे की प्रतिभा को देखते हुए उसे मोहाली ट्रेनिंग के लिए निकाल ले गया था। पिता लखविन्दर सिंह की लगन और बेटे के कैरियर के प्रति समर्पण ने शिखर पर पहुंचा दिया। दादा दीदार सिंह गिल का कहना है कि लखविन्द्र ने अपने बेटे को केवल सफल क्रिकेटर बनने का लक्ष्य दिया था। बेटे ने न बाप को निराश किया, न देश को।
लाला अमरनाथ और बिशन सिंह बेदी के बाद शुभमन पंजाब से तीसरा कप्तान है। उसके नेतृत्व में भारतीय टीम ने एक टैस्ट मैच में 1000 रन पार किए। 58 सालों में पहली बार हमारी टीम एजबेस्टन में जीती है और वह जीत भी विशाल 336 रन की थी। रिकार्ड तो बहुत तोड़े गए। सुनील गावस्कर के बाद शुभमन गिल पहले भारतीय कप्तान हैं जिसने एक ही टैस्ट मैच में डबल सैंचरी और सैंचरी मारी है। विराट कोहली के कप्तान के तौर पर पहले दो मैचों में तीन सैंचरी के रिकार्ड की भी बराबरी की गई। बहुत महत्वपूर्ण है कि इस बात का जवाब मिल गया कि रोहित शर्मा और विराट कोहली के बाद कौन? शुभमन गिल गरिमापूर्ण है, विनम्र है, एक रोल मॉडल लगता है। अपनी पर्सनालिटी से भी वह देश को आकर्षित कर रहा है। पुराने घाघ खेल पत्रकार भी उसकी ‘स्माइल’ की चर्चा कर रहे हैं।
लार्ड्स में ज़रूर दो बार आपा खोया है पर कप्तानी का बोझ हल्का नहीं होता। सारे देश की आशाऐं उसके जवान कंधों पर सवार हैं। मैदान में वह छलांगे नहीं लगाता। विराट कम, रोहित अधिक लगता है। न ही उससे यह उम्मीद है कि जीत पर वह क़मीज़ उतार कर उस तरह गाली निकालते लहराएगा जैसे सौरभ गांगुली ने लार्ड्स में किया था। वरिष्ठ खेल पत्रकार प्रदीप मैगज़ीन ने लिखा है, “कप्तानी की कला चीखना-चिल्लाने की ही नहीं है। यह शांत रह कर दूसरों की राय को रद्द किए बिना नेतृत्व देने की है”।
इंग्लैंड का दौरा आसान नहीं होता। इतिहास की छाया पड़ती है। इंग्लैंड से जीत कर वही आनन्द आता है जो पाकिस्तान से जीत कर आता है। और यह दौरा तो स्वदेश में कई हार के बाद आया है। टीम में भी तीन ही वरिष्ठ खिलाड़ी हैं, राहुल, जडेजा और बुमराह। बहुत खिलाड़ी अनुभवहीन हंै। कुछ दबाव के तले सही प्रदर्शन नहीं कर सके पर कप्तान ने पहले और दूसरे मैच में बढ़िया प्रदर्शन कर रास्ता दिखा दिया। पंजाब के एक छोटे से गांव से आए इस नौजवान ने अलग प्रांतों, भाषाओं और स्वभाव वाले 10 दूसरे खिलाड़ियों को एक ज़बरदस्त टीम में परिवर्तित कर दिया। लार्ड्स में हम हारे पर अंत तक संघर्ष किया। शुभमन के बारे अधिकतर अंग्रेज़ी का शब्द ‘कॉल्म’ और ‘मैच्योर’का इस्तेमाल किया जाता है, शांत और परिपक्व। युवराज सिंह एक और पंजाबी क्रिकेटर जिसने खूब नाम कमाया और जिसके इंग्लैंड के खिलाफ छह छिक्के आज तक याद किए जातें हैं, ने लिखा है “शुभमन गिल ने अपनी आयु से अधिक परिपक्वता दिखाई है”। जोस बटलर जिसने शुभमन के नीचे गुजरात टाइटन में आईपीएल खेला है ने बताया है, “बहुत प्रभावशाली खिलाड़ी है... काफी कॉल्म रहता है”। विराट कोहली को मीडिया 'किंग कोहली’ कहता था, शुभमन को प्रिंस कहा जा रहा है। विराट ने उसे 'स्टार बॉय’ कहा है। स्टार तो वह बन चुका है पर बॉय वह नहीं रहा। इंग्लैंड में खेलना किसी को भी परिपक्व बना सकता है। दोनों का स्वभाव अलग है चाहे दोनों पंजाबी मूल के हैं। कोहली की आक्रामकता नज़र आती थी, शुभमन अधिक शांत है। पहली पारी में 269 और दूसरी में 161 बना कर शुभमन ने अपनी धाक जमा दी है। शुभमन के 269 जो किसी भी भारतीय कप्तान के सबसे अधिक है, विराट कोहली का दक्षिण अफ्रीका में मारे 254 को पछाड़ गए है। रिकार्ड और भी हैं। विराट कोहली ने भी लिखा है, “इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है। आगे आगे बढ़ते जाओ। तुम इसके लायक़ हो’। यह तो स्पष्ट है कि शुभमन महानता का उत्तराधिकारी है। नेतृत्व की क्षमता उसने पर्याप्त दिखा दी है। पर क्रिकेट टीम की कप्तानी बेड आफ रोज़ज़, गुलाब की सेज नहीं हैं। लार्ड्स में हार बताती है कि सब कुछ समतल नहीं होगा। उतार चढ़ाव सब कप्तान के नसीब का हिस्सा रहते हैं। पर अभी तो ख़ुशी है कि हमें अपना प्रिंस मिल गया। इसी के इर्द-गिर्द नई टीम तैयार हो रही है। विशेष प्रसन्नता है कि यह प्रतिभाशाली युवक पंजाब से है। इसी में बाक़ी देश के लिए यह संदेश भी छिपा है कि पंजाब में केवल ड्रग्स, क्राइम, गैंगस्टर या धरने ही नहीं होते। हम कप्तान भी देते हैं।

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Chander Mohan

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