'जहां बुलाया नहीं जाता वहां नहीं...', Rahul Gandhi के जन्मदिन पर थरूर के बयान से मची खलबली
थरूर के बयान से मची खलबली
शशि थरूर ने राहुल गांधी के जन्मदिन पर कांग्रेस के कुछ नेताओं से मतभेद को लेकर बयान दिया, जिससे चर्चा का माहौल बन गया। थरूर ने कहा कि उन्हें वायनाड उपचुनाव में आमंत्रित नहीं किया गया था, और वह वहां नहीं जाते जहाँ उन्हें बुलाया नहीं जाता। उन्होंने कांग्रेस के मूल्यों और कार्यकर्ताओं के प्रति अपनी निष्ठा को दोहराया।
कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर ने आज गुरुवार को लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के जन्मदिन पर एक ऐसा बयान दिया हैं, जो चर्चा का विषय बन गया। हालांकि, यह बयान उन्होंने राहुल गांधी को लेकर नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व में कुछ नेताओं से उनके मनमुटाव हैं। वहीं उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके मूल्य और उसके कार्यकर्ता उन्हें बहुत प्रिय हैं। उन्होंने आगे कहा कि वह 16 साल तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम किया है। वह उन्हें अपना नजदीकी और भाई मानते हैं।
कांग्रेस को लेकर क्या कहा?
थरूर ने आगे कहा, “कांग्रेस में कुछ लोग हैं, जिनसे मेरा विचार अलग है. आपको तो मालूम ही हैं मैं किस बारे में बातें कर रहा हूं। इसमें से कुछ मुद्दे सार्वजनकि है मीडिया ने तो आपको इसकी खबर पहले ही दे दी होगी। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनके मतभेद राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ हैं या राज्य नेतृत्व के साथ। उन्होंने इशारों-इशारों में कह दिया कि वह उपचुनाव के परिणामों के बाद उन मतभेदों के बारे में बात कर सकते हैं।
वायनाड उपचुनाव पर बोले
जब मीडिया ने थरूर से सवाल किया कि आप वायनाड उपचुनाव के लिए प्रचार प्रसार क्यों नहीं किए? इसपर थरूर कहते हैं कि उन्हें इसके लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। जबकि पिछले साल वायनाड में हुए उपचुनाव में आमंत्रित किया गया था। इसपर उन्होंने कहा,”मैं वहां नहीं जाता, जहां मुझे बुलाया नहीं जाता हो”.
पीएम मोदी को लेकर बोले थरूर
पीएम मोदी के साथ हालिया बातचीत को लेकर उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर प्रतिनिधिमंडलों की विभिन्न देशों की यात्राओं और वहां हुई चर्चाओं पर हमारी बात हुई थी। उन्होंने आगे कहा घरेलू राजनीति के किसी मामले पर चर्चा नहीं हुई। उन्होंने आगे कहा कि जब राष्ट्र की बात आती है तो मैं अपना रुख नहीं बदलाता। इस दौरान सबका कर्तव्य होता है अपने देश के लिए काम करें और आवाज उठायें। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मैनें जो बोला वह मेरी अपनी राय थी। मेरी सेवाएं केंद्र की तरफ से मांगी गई थीं. वास्तव में मेरी पार्टी ने ये सेवाएं नहीं मांगी इसलिए मैंने एक भारतीय नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य गर्व से निभाया.’’
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