अब भारत बनेगा ‘आईफोन’ हब
उथल-पुथल के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के मुकाबले भारतीय…
उथल-पुथल के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर है। यहां तक कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका से भी भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है। अब अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध का भारत को फायदा मिलना शुरू हो गया है। टैरिफ खतरे से निपटने के लिए कई अमेरिकी कम्पनियां चीन पर निर्भरता कम करने के लिए अपनी असेम्बली यूनिट भारत में स्थानांतरित करने की योजना बना रही हैं। ऐसी ही एक अमेरिकी कम्पनी टेक दिग्गज ऐपल ने भारत में अपना उत्पादन तेजी से बढ़ाने का फैसला किया है।
ऐपल के मुख्य कार्याधिकारी टिम कुक ने पुष्टि की है कि जून तिमाही के दौरान अमेरिकी बाजार में बिकने वाले अधिकतर आईफोन भारत में बने होंगे। शुल्क पर जारी जंग के बीच कंपनी अपनी आपूर्ति शृंखला पर नए सिरे से गौर कर रही है। उनका मानना है कि कंपनी के लिए शुल्क प्रभाव की लागत करीब 90 करोड़ डॉलर होगी। कुक ने कहा, ‘जहां तक जून तिमाही का सवाल है तो हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका में बिकने वाले अधिकतर आईफोन के विनिर्माण का मूल देश भारत होगा। इसी प्रकार अमेरिका में बिकने वाले लगभग सभी आईपैड, मैक, ऐपल वॉच और एयरपॉड्स जैसे उत्पादों का मूल उत्पादन देश वियतनाम होगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के बाहर बिकने वाले अधिकतर उत्पादों के विनिर्माण का मूल देश चीन बरकरार रहेगा। कोविड के समय से ही ऐपल चीन पर से अपनी निर्भरता कम करने की कोशिशों में है। इसको और बल तब मिला जब राष्ट्रपति चुनाव जीत कर आए डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। सब कुछ ऐपल के मुताबिक चलता है तो उम्मीद है कि साल 2026 के आखिर तक ऐपल अपनी मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हिस्सा भारत में शिफ्ट कर लेगा। इसके बाद भारत में सालाना 6 करोड़ से ज्यादा आईफोन बनने लगेंगे। यह मौजूदा संख्या से दोगुना होगा। फिलहाल आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग पर चीन का दबदबा है।
आईडीसी की मानें तो 2024 में कंपनी के ग्लोबल आईफोन शिपमेंट में चीन का हिस्सा लगभग 28 प्रतिशत था। आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग को चीन से भारत में शिफ्ट करने से ऐपल टैरिफ के बोझ से खुद को और अपने ग्राहकों को बचा पाएगी। इसके बाद शायद अमेरिका में रहने वाले आपके दोस्त आप से अपने लिए आईफोन मंगवाना शुरू कर दें। यह भी दावा किया गया है कि ऐपल सिर्फ टैरिफ की वजह से ही यह फैसला नहीं ले रही है। दरअसल ऐपल को अपना प्रोडक्शन भी बढ़ाना है। ऐसे में भारत ऐपल की नई फैक्ट्री बन सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि जहां सामान्य दर पर स्थिर हो रही थी, वहीं अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव ने वैश्विक स्तर पर भारी अनिश्चितता पैदा कर दी। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित विभिन्न अनुमान यही सुझाते हैं कि भारत पर इसका सीमित असर होगा। ऐसे में इस समय निश्चित तौर पर कुछ भी कह पाना मुश्किल है।
एक अनिश्चित माहौल अक्सर कंपनियों को निवेश के प्रति हतोत्साहित करता है और यह पूरी दुनिया में हो रहा है। बहरहाल भारत के लिए निकट भविष्य में हालात दो वजहों से बदल सकते हैं। पहली बात, अमेरिका के साथ भारत एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है और खबरें बताती हैं कि सब कुछ सही दिशा में चल रहा है। एक सफलता कारोबारों के लिए चीजें स्पष्ट कर देगी। दूसरा, कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां कारोबार के मामले में चीन से दूरी बनाना चाहती हैं। भारत खुद को एक आकर्षक विकल्प के रूप में पेश कर सकता है। ऐपल अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले अपने ऐपल स्मार्ट फोन का समूचा उत्पादन भारत स्थानांतरित करना चाहता है।
ऐसे अवसरों का लाभ उठाने से निवेश, रोजगार और वृद्धि, तीनों को गति मिलेगी। घरेलू नीतिगत मोर्चे पर जहां अतिरिक्त राजकोषीय मदद की कोई गुंजाइश नहीं है वहीं ब्याज दरों में अनुमानित कटौती से मौद्रिक नीति सहयोग मिल सकता है। हालांकि, रिजर्व बैंक को अपने नीतिगत विकल्पों पर सतर्कता के साथ ध्यान देना होगा। वृद्धि की मदद के लिए अतिरिक्त समायोजन के अनचाहे परिणाम सामने आ सकते हैं। चाहे जो भी हो, कंपनियां मांग की स्थिति से अधिक संचालित होती हैं। पिछले कई वर्षों से निजी निवेश में कमजोरी देश की विकास गाथा की कमजोर कड़ी है। एक अनिश्चित आर्थिक माहौल बदलाव में और देरी की वजह बन सकता है। स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग में चीन को पीछे छोड़ने में भारत कोई कसर नहीं छोड़ रहा। ऐपल की बात अब किसी से छुपी नहीं। दुनिया जान गई है कि ऐपल के फोन धड़ल्ले से भारत में बन रहे हैं। आईफोन बनाने वाली प्रमुख कंपनी फॉक्सकॉन ने उत्तर प्रदेश में नया प्लांट लगाने पर काम शुरू कर दिया है। ऐपल के अन्य मैन्युफैक्चरर भी भारत में अपना प्रोडक्शन बढ़ा रहे हैं जिससे चीन को तगड़ी चोट पहुंच रही है। यही वजह है कि ऐपल की पोजिशन चीन में पांचवें नंबर पर चली गई है। लगातार सातवीं तिमाही में ऐपल का शिपमेंट चीन में कम हुआ है।