’ऑफेंस इज दि बेस्ट डिफेंस’
सवाल इजराइल बनाम ईरान युद्ध का नहीं है। इस युद्ध का परिणाम क्या होगा…
सवाल इजराइल बनाम ईरान युद्ध का नहीं है। इस युद्ध का परिणाम क्या होगा, सवाल यह भी नहीं है। सबसे बड़ा सवाल आत्मरक्षा का है कि क्या हर देश को अपने आपको सुरक्षित रखने का अधिकार है या नहीं, तो हमारा जवाब है हां। इजराइल को अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार है। यह बात पूरी दुनिया पर लागू होती है। इजराइल-ईरान युद्ध के खतरनाक परिणामों और इसके प्रभावों के बारे में चर्चा चल रही है तो भारत का उल्लेख करना भी जरूरी है, जो कि दुनिया के नक्शे पर एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है। अपने देश और नागरिकों की सुरक्षा के मंत्र तथा कर्त्तव्य का निर्वाह करते हुए भारत ने पिछले दिनों पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से बड़ी जीत दर्ज की है। भारत आैर इजराइल के बीच अपनी सुरक्षा के मामले में समानताएं हैं। यह आत्मरक्षा की बात है जो एक बड़ी साख के तौर पर मानी जाती है। सबको साथ लेकर चलना इन दोनों देशों की नीति रही है तथा भारत काफी उदारवादी है। भारत के इसी गुण को लेकर इजराइली पीएम नेतन्याहू ने ऑन दि रिकार्ड पीएम मोदी की आत्मरक्षा के स्टैंड के प्रति जमकर तारीफ भी की थी। यह बात सच है कि अपने-अपने संघर्ष के दिनों में कई देशों विशेष रूप से अपने-अपने पड़ोसियों से जूझ कर इन दोनों देशों ने अपना मुकाम पाया है। चीन, पाकिस्तान भारत के पड़ाेसी थे लेकिन दुश्मन बने रहे। हर बार भारत ने उन्हें अच्छे से सबक सिखाया। कमोवेश यही स्थिति इजराइल की रही, जिसका एक देश के रूप में जन्म 1948 में हुआ था, तो इधर भारत 1947 में आजाद हुआ और तब से लेकर आज तक भारत का परचम दुनिया के नक्शे पर एक खास पहचान रखता है। कुल मिलाकर यही तथ्य भारत आैर इजराइल पर लागू होता है जिसका सार है- ‘Offence is the best defence’ अर्थात आक्रमण ही सबसे बड़ी सुरक्षा है और इसे आत्मरक्षा के साथ जोड़ सकते हैं, जिसके दम पर इजराइल और भारत की शान बरकरार है।
इधर इजराइल और ईरान ने पिछले हफ्ते एक-दूसरे पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं। ये जंग अभी भी जारी है और एक दूसरे के ठिकानों पर लगातार हमले हो रहे हैं। एक बार फिर से मिडिल ईस्ट जंग की आग में झुलस रहा है। इजराइल अपनी साख की लड़ाई लड़ रहा है और इस जंग को देखते हुए आज 58 साल पहले मिडिल ईस्ट में हुई वो लड़ाई याद आ रही है जब अकेली इजराइली सेना ने छह दिन अरब देशों को नाकों चने चबवा दिए थे। तब जंग में बदल गया था मिडिल ईस्ट का नक्शा और इसे सिक्स डे वॉर का नाम दिया गया था।
सही मायनों में इस जंग की नींव 1948 में रख दी गई थी, जब इजराइल दुनिया के मानचित्र पर उभरकर सामने आया था। अरब देशों को यह बात मंजूर नहीं थी कि एक और देश बने। बस फिर क्या था, छह देशों ने एक अकेले इजराइल के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था और बदले में इजराइल ने सभी का मुकाबला किया और अच्छे अच्छों को पानी पिला दिया। इजराइल की इस पहली जंग में न सिर्फ हजारों लोग मरे, बल्कि लाखों फिलस्तीनी बेघर भी हो गए थे। जून 1967 में इजराइल के साथ मिस्र, सीरिया, लेबनान, इराक और जॉर्डन के साथ युद्ध हुआ था। यह जंग छह दिनों तक चली थी और इसके नतीजे एेतिहासिक रहे। छह दिनों में ही छह अरब देशों पर जीत के बाद इजराइल एक बड़ी ताकत बन कर उभरा। बात आत्मरक्षा की थी।
2023 में इजराइल के उस हमले का जिक्र करना चाहेंगे जब हमास ने एक संगीत समारोह में अंधाधुंध फायरिंग करते हुए 360 युवाओं सहित 1200 लोग मार डाले थे। हमास ने वहां लोगों को बंदी बनाया और ईरान ने गाजा पट्टी पर हुए इस हमले का बदला भी लिया। कहने का मतलब इजराइल आत्मरक्षा के मामले में बहुत दृढ़संकल्पी है तथा जो उस पर हमला करता है उसका जवाब वह पूरी ताकत के साथ देकर विजयी बनकर उभरता है। राजनीतिक रूप से भारत और इजराइल के रिश्ते मजबूत हैं तथा इसमें प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी भूमिका है जो प्रधानमंत्री नेतन्याहू से समय-समय पर न सिर्फ मिलते हैं बल्कि खाड़ी को लेकर चर्चा भी करते रहते हैं। आत्मरक्षा के मामले में प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में सन 1998 में हुई चर्चा के दौरान विपक्ष को करारा जवाब दिया था जो हमारे पोखरण परमाणु परीक्षण पर आलोचना कर रहे थे। तीन परमाणु बमों का पोखरण में सफल परीक्षण 11 मई 1998 को हुआ था।
तब वाजपेयी ने कहा था कि हमने पूरी दुनिया को संदेश दिया है कि आज का भारत बदला हुआ है। वह दुनिया से आंखें मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहते है और हमें किसी प्रतिबंध से मत डाराओ। उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा के लिए हमने परमाणु परीक्षण किया है। वाजपेयी ने कहा था कि आत्मरक्षा की तैयारी क्या तभी होगी जब खतरा होगा, तैयारी तो पहले से होनी चाहिए ताकि आने वाला खतरा दूर हो जाए। खतरा अमल में नहीं आएगा इसलिए हमने परमाणु परीक्षण किया है। वाजपेयी के इस तर्क का किसी के पास कोई जवाब नहीं था। इस कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी का स्टेंड भी पूरी दुनिया में मजबूती से उभरा है जब उन्होंने पाकिस्तान के बारे में यह कहा कि हम दुश्मन को छेड़ते नहीं लेकिन जो हमें छेड़ेगा उसे हम छोड़ते नहीं। दुनिया के नक्से पर पीएम मोदी को एक प्रवक्ता के रूप में माना जाता है और इजराइल के साथ हमारे रिश्ते मजबूत हैं। पीएम मोदी सर्वशक्तिमान राष्ट्र चाहे वह अमरीका, रूस या फ्रांस या ब्रिटेन-जर्मनी या चीन और आस्ट्रेलिया कोई भी हो, सबसे रिश्ते बनाकर चलते हैं। गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की शहादत का जवाब मोदी के मजबूत स्टेंड से ही चीन को दिया गया था।
पिछले दिनों पाकिस्तान से युद्ध के दौरान यह मारी आत्म सुरक्षा का एस-400 डिफैंस सिस्टम ही था, जिसने पाकिस्तान की दर्जनों मिसाइलों को तबाह किया था। बरसों पहले लिए एस-400 डिफैैंस सिस्टम की तर्ज पर हमारी सेना के पास जो तैयारी है वह आत्मरक्षा पर ही आधारित है। आत्मरक्षा तभी सम्भव है जब आक्रमण किया जाए। वैसे भी रामचरित मानस में ठीक कहा गया है-बिन भय होत न प्रीति, जिसके बारे में हर कोई जानता है।