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होम्योपैथी आयोग और भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग बिल संसद में पास

कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग से जुड़े विधेयक में योग और प्राकृतिक चिकित्सा को भी शामिल किया जाना चाहिये।

02:36 PM Sep 14, 2020 IST | Anjali Wala

कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग से जुड़े विधेयक में योग और प्राकृतिक चिकित्सा को भी शामिल किया जाना चाहिये।

होम्योपैथी आयोग और भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग बिल संसद में पास
मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा ने आज राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग विधेयक-2020 और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक-2020 को पारित कर दिया। दोनों विधेयक राज्यसभा में पहले ही पारित हो चुके हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने दोनों विधेयकों को लोकसभा में विचार के लिए एक साथ पेश किया।
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उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के पारित होने के बाद केंद्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति परिषद की जगह राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद की जगह राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग का गठन किया जा सकेगा। दोनों परिषद् अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा पा रही थीं। वे भ्रष्टाचार से प्रभावित हो गई थीं, इसलिए उनकी जगह पर आयोगों का गठन जरूरी हो गया था। इससे दोनों चिकित्सा प्रणालियां अधिक प्रगति और अधिक पारदर्शिता के पथ पर बढ़ सकेंगी।
विपक्ष के कुछ सदस्यों ने विधेयकों में कुछ संशोधनों की मांग की, लेकिन कुल मिलाकर इनका समर्थन किया। कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग से जुड़े विधेयक में योग और प्राकृतिक चिकित्सा को भी शामिल किया जाना चाहिये। उन्होंने आयोग से जुड़ी शिकायतों के लिए सुनवाई का अधिकार केंद्र सरकार को देने का विरोध करते हुये इसके लिए अपीलीय प्राधिकरण के गठन का प्रावधान विधेयक में शामिल करने की मांग की। थरूर ने विधेयक बिना किसी पात्रता के भी भारतीय चिकित्सा प्रणाली का उपचार करने का अधिकार देता है जिससे नीम हकीमी को बढ़ावा मिलेगा।
शिवसेना के अरविंद सावंत ने विधेयक का समर्थन करते हुये भारतीय चिकित्सा प्रणालियों और होम्योपैथी के चिकित्सकों को भी अंग्रेजी चिकित्सा प्रणाली के तहत उपचार करने देने की मांग की। उन्होंने कहा कि इन दोनों पद्धतियों से जुड़े संस्थानों के पंजीकरण को विनियमित करने की जरूरत है ताकि कुकुरमुत्तों की तरह इनके शिक्षण संस्थान न खुलने लगें। सदन ने दोनों विधेयकों को बिना किसी संशोधन के ध्वनिमत से पारित कर दिया।
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