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किसान की मौत पर महिलाओं की गोद में सिर रख फूट-फूट कर रोया बंदर, चादर उठाकर किए अंतिम दर्शन

बंदर चंदन लाल के शव के पास गया और वहीं पड़ी चादर को हटाकर देखने लगा और कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा। इतना ही नहीं वे वहां रो रही महिलाओं की गोद में सिर रखकर खुद भी रोने लगा। कुछ देर बाद रोती हुई महिलाओं पर अपना हाथ रखकर भी ढांढस भी बंधाया।

05:52 PM Sep 10, 2023 IST | Khushboo Sharma

बंदर चंदन लाल के शव के पास गया और वहीं पड़ी चादर को हटाकर देखने लगा और कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा। इतना ही नहीं वे वहां रो रही महिलाओं की गोद में सिर रखकर खुद भी रोने लगा। कुछ देर बाद रोती हुई महिलाओं पर अपना हाथ रखकर भी ढांढस भी बंधाया।

किसान की मौत पर महिलाओं की गोद में सिर रख फूट फूट कर रोया बंदर  चादर उठाकर किए अंतिम दर्शन
आरिफ और सारस की दोस्ती से तो आप अवगत होगे ही कि कैसे दोनों एक साथ रहते थे और फिर दोनों एक दूसरे से जूदा हो गए। लेकिन हम आपको ऐसे ही एक मामले के बारे में बताने वाले है जिसे सुन कर आप भी चौंक जाएंगे। ये कहानी बंदर और किसान के बीच की है, जिसके चर्चे हर जगह हो रहे है।
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किसान की मौत पर रोया बंदर
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ये मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के बिजुआ क्षेत्र के गोंधिया गांव का है, जहां किसान और बंदर के बीच इतनी गहरी दोस्ती थी कि किसान की मौत के बाद बंदर उनके शव के पास आकर बैठ गया और रोने लगा। बता दें, 62 वर्षीय चंदन वर्मा पैरालिसिस का शिकार थे, वहीं वे पिछले दो महीनों से बीमार थे। जिसके चलते सोमवार को उनकी मृत्यु हो गई। वहीं उनकी मौत की खबर पर आसपास के लोग और परिवार के लोग इकट्ठा हो गए थे। इस बीच कहीं से एक बंदर जाकर उनके पास बैठ गया और रोने लगा।
महिला की गोद में जाकर रोया बंदर
वहीं ग्रामीणों ने बताया कि PUR KHIR वहीं इसके बाद जब ग्रामीण और परिजन बुजुर्ग का शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए जाने लगे तो वह भी उनके पीछे-पीछे जाने लगा। वह कुछ दूर उनके साथ चला जिसके बाद वह जंगल की ओर चला गया।
ऐसे हुई थी दोनों के बीच दोस्ती 
बता दें, कि 4 साल पहले चंदन जंगल किनारे अपने खेत पर रोजाना जाते थे। वह जब वहां जाते थे तो बंदरों के लिए खाना भी ले जाते थे। उनमें से एक बंदर उनके पास ज्यादा रहता था। जब वह काम खत्म करके खेत से घर की ओर लौटते थे तो बंदर उन्हें आधे रास्ते तक छोड़ता था और फिर वापस जंगल की ओर लौट जाया करता था। वहीं पिछले कई सालों से बीमार हो जाने के कारण चंदन लाल खेत की ओर नहीं जाते थे लेकिन बंदर उन्हें भूल नहीं था। गौरतलब है कि, चंदन लाल की मृत्यु की खबर बंदर तक कैसे पहुंची, इस बारे में  स्थानीय लोगों भी नहीं जानते है।
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Khushboo Sharma

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