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एक निर्भया को इंसाफ मिला बहुत सी बाकी हैं...

कहीं पुलिस ने साथ नहीं दिया, कहीं समाज ने, कहीं न्यायपालिका के समक्ष सही तथ्य सामने नहीं आए, इसलिए हजारों की संख्या में ऐसी निर्भया होंगी जिनको इंसाफ नहीं मिला और वो भी कतार में हैं या प्रतीक्षा कर रही हैं।

06:13 AM Mar 22, 2020 IST | Kiran Chopra

कहीं पुलिस ने साथ नहीं दिया, कहीं समाज ने, कहीं न्यायपालिका के समक्ष सही तथ्य सामने नहीं आए, इसलिए हजारों की संख्या में ऐसी निर्भया होंगी जिनको इंसाफ नहीं मिला और वो भी कतार में हैं या प्रतीक्षा कर रही हैं।

निर्भया एक काल्पिनक नाम है जिसको 7 साल 3 माह 4 दिन के बाद इंसाफ मिला। लोगों का न्यायपालिका पर विश्वास मजबूत हुआ। एक आम गृिहणी का विश्वास मजबूत हुआ जिसने अपनी बेटी के लिए संघर्ष किया। मीडिया पर विश्वास बना। आने वाले समय में अपराध करने वाले अपराधी भी हजार बार सोचेंगे या डरेंगे। यह ऐसी खबर थी जिसे सुनकर लोगों ने मिठाइयां बांटी, तिरंगा लहराया, भारत माता की जय के नारे लगाए। यह थोड़े समय में दूसरी बार हुआ जब अपराधियों को सजा दिए जाने के बाद लोगों ने मिठाइयां बांटी, खुशी मनाई। एक हैदराबाद की डाक्टर की हत्या के बाद, दूसरा निर्भया के हत्यारों को फांसी के बाद। निर्भया कांड ऐसा जघन्य कांड था जिसने सारी दुनिया को हिला कर रख दिया। ऐसे लगता था जैसे सारा देश, समाज सड़कों पर उतर आया। बिना पैसों के निर्भया का केस लड़ने वाली युवा वकील सीमा को भी सेल्यूट करने को दिल करता है।
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निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए सिर्फ अकेली निर्भया की मां नहीं लड़ी, उसके साथ पूरा देश, पूरा समाज, पुलिस, वकील, मीडिया ने या यूं कह लो सभी ने अपनी-अपनी भूमिका निभाकर लड़ाई लड़ी, जब जाकर इंसाफ मिला। अगर ऐसे ही समाज, पुलिस, मीडिया ठान ले तो शायद किसी भी देश की महिला, बेटी के साथ अन्याय न हो क्योंकि हमारे देश में बहुत सी ऐसी निर्भया हैं जो शायद लोगों की, समाज की, मीडिया की नजर में ही नहीं आई या उनकी आवाज इन तक पहुंच ही नहीं पाई। कइयों ने डर और इज्जत के मारे चुप्पी साध ली या कइयों के मां-बाप ने उन्हें चुप करा दिया या कइयों की सुनवाई ही नहीं हुई या कहीं अमीर लोगों ने बेटियों के साथ जघन्य अपराध किए और सबकी अपने पैसों के साथ जुबान बंद कर दी गई। 
कहीं पुलिस ने साथ नहीं दिया, कहीं समाज ने, कहीं न्यायपालिका के समक्ष सही तथ्य सामने नहीं आए, इसलिए हजारों की संख्या में ऐसी निर्भया होंगी जिनको इंसाफ नहीं  मिला और वो भी कतार में हैं या प्रतीक्षा कर रही हैं। शायद उनकी बारी भी आ जाए। सबसे अिधक भूिमका मीडिया की थी या यूं कह लो मीिडया जगत की जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसी निर्भया की दास्तान या उनको न्याय दिलाने के लिए कड़ी मेहनत करे क्योंकि मीडिया ही समाज की अच्छाई-बुराई सबके सामने लाता है, जिसके लिए निष्पक्ष, निर्भीक पत्रकारिता की बहुत जरूरत है। उसके बाद निष्पक्ष, निर्भीक पुलिस कर्मचारियों और  फिर निष्पक्ष, निर्भीक न्यायपालिका की जिम्मेदारी आती है।
क्योंकि मैं बेिटयों के लिए काम करती हूं। महिलाओं के लिए काम करती हूं तो मरा अनुभव यह भी कहता है कि  बहुत प्रकार की निर्भया हैं, जिन्हें इंसाफ की तलाश है। एक निर्भया है जिसे शारीरिक प्रताड़ना दी जाती है, शोषण किया जाता है। एक ऐसी निर्भया भी हैं जिन्हें समाज द्वारा या जिस आफिस में काम करती हैं वहां उन्हें सताया जाता है, उनका सामाजिक शोषण होता है और एक ऐसी  निर्भया भी है जो घरों में रिश्तेदारों द्वारा सताई जाती है, जिसका मानसिक और आर्थिक शोषण होता है। अंत में मैं यही कहूंगी पापियों के साथ पाप भी समाप्त होना चाहिए। हर निर्भया को इंसाफ मिलना चाहिए।

-किरण शर्मा चोपड़ा
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