W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

मोदी, तोमर के नाम किसानों का खुला पत्र, आरोपों का किया खंडन

केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों की तरफ से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम एक खुला पत्र लिखकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर सरकार की ओर से लगाए तमाम आरोपों का खंडन किया है

12:38 AM Dec 20, 2020 IST | Shera Rajput

केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों की तरफ से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम एक खुला पत्र लिखकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर सरकार की ओर से लगाए तमाम आरोपों का खंडन किया है

मोदी  तोमर के नाम किसानों का खुला पत्र  आरोपों का किया खंडन
केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों की तरफ से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम एक खुला पत्र लिखकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर सरकार की ओर से लगाए तमाम आरोपों का खंडन किया है।
किसान संगठन (एआईकेएससीसी) ने पत्र में प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को संबोधित पत्र में लिखा है- ‘बड़े खेद के साथ आपसे कहना पड़ रहा है कि किसानो की मांगों को हल करने का दावा करते-करते, जो हमला दो दिनों से आपने किसानों की मांगों व आंदोलन पर करना शुरू कर दिया है वह दिखाता है कि आपको किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है और आप उनकी समस्याओं का हल करने का इरादा शायद बदल चुके हैं। निस्संदेह, आपके द्वारा कही गईं सभी बातें तथ्यहीन हैं।’ 
पत्र में आगे लिखा है- ‘उससे भी ज्यादा गंभीर बात यह है कि जो बातें आपने कही हैं, वे देश व समाज में किसानों की जायज मांगें, जो सिलसिलेवार ढंग से पिछले छह महीनों से आपके समक्ष लिखित रूप से रखी जाती रही हैं, देशभर में किए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रति अविश्वास की स्थिति पैदा कर सकती है। इसी कारण से हम बाध्य हैं कि आपको इस खुले पत्र के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया भेजें, ताकि आप इस पर बिना किसी पूर्वाग्रह के गौर कर सकें।’ 
नए कृषि काननोूं के संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा शुक्रवार को मध्यप्रदेश में आयोजित किसानों के एक सम्मेलन दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए किसान संगठन ने पत्र में लिखा है- ‘आपने मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में आयोजित किसानों के सम्मेलन में जोर देकर कहा कि किसानों को विपक्षी दलों ने गुमराह कर रखा है, वे कानूनों के प्रति गलतफहमी फैला रहे हैं, इन कानूनों को लंबे अरसे से विभिन्न समितियो में विचार करने के बाद और सभी दलों द्वारा इन परिवर्तनों के पक्ष मे राय रखे जाने के बाद ही अमल किया गया है, जो कुछ विशिष्ठि समस्याएं इन कानूनों में थीं, उन्हें आपकी सरकार ने वार्ता में हल कर दिया है और यह आंदोलन असल में विपक्षी दलों द्वारा संगठित है। आपकी ये गलत धारणाएं और बयान गलत जानकारियों से प्रेरित हैं और आपको सच पर गौर करना चाहिए।’ 
किसान संगठन ने प्रधानमंत्री के बयान और केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा 17 दिसंबर को किसानों के नाम लिखे पत्र में किसानों के आंदोलन को लेकर लगाए गए तमाम आरोपों का खंडन किया है। किसान संगठन ने पत्र में कानून की कुछ खामियों का भी जिक्र किया है। 
पत्र में लिखा है- ‘आपने कुछ विशेष सवाल उठाकर कहा है कि आप भ्रम दूर करना चाहते हैं। आपका कहना है कि किसानों की जमीन पर कोई खतरा नहीं है, ठेके में जमीन गिरवी नहीं रखी जाएगी और जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा। हम आपका ध्यान ठेका खेती कानून की धारा 9 पर दिलाना चाहते हैं जिसमें साफ लिखा है कि किसान को जो लागत के सामान का पेमेंट कंपनी को करना है, उसके पैसे की व्यवस्था कर्जदाता संस्थाओं के साथ एक अलग समझौता करके पूरी होगी, जो इस ठेके के अनुबंध से अलग होगा। गौर करें कि कर्जदाता संस्थाएं जमीन गिरवी रखकर ही कर्ज देती हैं।’ 
किसान संगठन के मुताबिक, दूसरा यह कि ठेका खेती कानून की धारा 14(2) में लिखा है कि अगर कंपनी से किसान उधार लेता है तो उस उधार की वसूली कंपनी के कुल खर्च की वसूली के रूप में होगी, जो धारा 14(7) के अंतर्गत भू-राजस्व के बकाया के रूप में की जाएगी। 
संगठन ने कहा, ‘अत: आपका यह कथन कि ‘परिस्थिति चाहे जो भी हो किसान की जमीन सुरक्षित है’, आपके कानून के हिसाब से गलत हैं। अच्छा होता कि ये बात कानून में लिखी होती और तब आप ये बात कहते।’ 
Advertisement
Advertisement
Author Image

Shera Rajput

View all posts

Advertisement
Advertisement
×