W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

पाई-पाई को मोहताज पाकिस्तान

आतंक का सिरमौर कहे जाने वाला पाकिस्तान इस समय भिखमंगी की कगार पर है।

01:04 AM Dec 16, 2022 IST | Aditya Chopra

आतंक का सिरमौर कहे जाने वाला पाकिस्तान इस समय भिखमंगी की कगार पर है।

पाई पाई को मोहताज पाकिस्तान
आतंक का सिरमौर कहे जाने वाला पाकिस्तान इस समय भिखमंगी की कगार पर है। पाकिस्तान में आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक संकट भी जारी है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष यानि आईएमएफ उसे नए कर्ज की किश्त देने को तैयार नहीं है। कहते हैं रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। यही हाल पड़ोसी मुल्क का है। उसे अब भी उम्मीद है कि चीन और सऊदी अरब मिलकर उसे दिवालिया होने से बचा लेंगे। पाकिस्तान 75 साल में 28वीं बार दिवालिया होने की कगार पर है। पड़ोसी मुल्क को इस हालत में पहुंचाने के जिम्मेदार उसके हुक्मरान हैं। भले ही पूरा दोष अब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर लगाया जा रहा है,  लेकिन सच तो यह है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों की नीतियों ने देश की हालत को खस्ता बना दिया है। भारत के अनुभव बताते हैं कि सूर्य चाहे शीतल हो जाए, नदियां चाहे अपनी दिशाएं बदल  दें, हिमालय चाहे उष्ण हो जाए पर पाकिस्तान कभी सीधे रास्ते पर नहीं आ सकता। आज उसकी कटुता का दायरा बढ़ चुका है। आज सारे विश्व को पाकिस्तान से खतरा महसूस हो रहा है। उधार लेकर घी पीना और  विदेशी मदद का इस्तेमाल आतंकवाद की खेती के लिए करना उसकी राष्ट्रीय नीति का अंग बन चुका है।
Advertisement
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 6.7 अरब डॉलर का रह गया है। इसमें 2.5 अरब डॉलर सऊदी अरब, 1.5 अरब डॉलर संयुक्त अरब अमीरात के और 2 अरब डॉलर चीन के हैं। सिक्योरिटी डिपोजिट है। यानि शहबाज सरकार इसे खर्च नहीं कर सकती। शहबाज शरीफ भीख का कटोरा लेकर कभी चीन तो कभी सऊदी अरब से गुहार लगा रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अब यह देश भी इसे बचा नहीं पाएंगे। पाकिस्तान पर चीन का कुल 77.3 अरब डॉलर का कर्ज है। जनवरी में ही पाकिस्तान को 8.8 अरब डॉलर की किश्तें चुकानी हैं। जाहिर है एक तरफ तो वो अपना विदेशी मुद्रा भंडार खाली नहीं कर सकता, दूसरी तरफ दूसरे देशों से उसे मदद भी नहीं मिल रही। ऐसे में अब जनवरी से मार्च के पहले तीन महीने में विदेशी कर्ज चुकाने और आयात के लिए फंड कहां से आएंगे,  इस पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लग गया है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री भले ही सऊदी अरब और चीन से नए लोन मिलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। नवम्बर की शुरूआत में दोनों देशों से बातचीत हुई थी, लेकिन इनकी तरफ से अब तक कोई पैसा नहीं मिला है।
वर्तमान आर्थिक संकट को मुख्य रूप से पाकिस्तान के अदूरदर्शी नीतिगत निर्णय के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिसे गैर-विकासात्मक और आर्थिक रूप से अव्यवहार्य परियोजनाओं पर व्यापक खर्च होता है। ग्वादर-काशगर रेलवे लाइन परियोजना जैसी निरर्थक अवसंरचना परियोजनाओं के आर्थिक कुप्रबंधन और वित्तपोषण को दीर्घावधि ऋण साधनों के माध्यम से और घरेलू संस्थानों के बजाय बाहरी उधार पर बड़े पैमाने पर निर्भर रहने से इसकी परेशानियां बढ़ गई हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के रोल आउट ने ऋण के बोझ को बढ़ा दिया, जो लगातार बढ़ते विदेशी ऋणों के दरवाजे खोल रहा है। ​विशेष रूप से सीपीईसी ने पाकिस्तान पर 64 विलियन अमेरिकी डॉलर का चीनी ऋण बनाया, जिसका मूल मूल्य 2014 के दौरान यूएस 47 विलियन डालर था। अमरीकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए में लगातार गिरावट ने विदेशी ऋण वृद्धि में योगदान ​दिया है। अन्तर्राष्ट्रीय रेटिंग एजैंसियों द्वारा कम रैंकिंग और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) में पाकिस्तान की ग्रे लिस्टिंग के साथ-साथ आत्मविश्वास में गिरावट ने विदेशी निवेशकों को दूर रखा। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 10 वर्षों में, पाकिस्तान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह कभी भी सकल घरेलू उत्पाद के 1 प्रतिशत से अधिक नहीं हुआ। नए ऋण लेने और पुराने लोगों को चुकाने के दुष्चक्र ने पाकिस्तान को कुख्यात ‘ऋण जाल’ में धकेल दिया है। इसके अलावा पाकिस्तान को ऋण देने में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की अनिच्छा के कारण देश को मुख्य रूप से चीन और सऊदी अरब का सहारा लेेने के लिए मजबूर किया गया था और इस प्रकार यह उनकी जटिल शर्तों के लिए कमजोर हो गया था।
 यही कारण है कि सबसे ज्यादा चीनी प्रभाव वाले देशों की सूची में पाकिस्तान टॉप पर है। कुछ समय पहले चीन ने तो पाकिस्तान से 1.3 अरब डॉलर की किश्त भी मांग ली थी और इस पर पाकिस्तान ने चुप्पी साध ली थी। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 1.7 अरब डॉलर के कर्ज की तीसरी किश्त जारी करने से इंकार कर दिया था और उसने पाकिस्तान से शर्तों के मुताबिक राजस्व बढ़ाने और खर्च कम करने को कहा था। कौन नहीं जानता कि पाकिस्तान के हुक्मरानों ने देश की सम्पत्ति को लूट कर विदेशों में अपनी अकूत सम्पत्ति बनाई है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के भ्रष्टाचार की पोल सबके सामने खुल चुकी है। सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कितना धन खर्च किया है। जिस तालिबान को पाकिस्तान ने हर तरह से सींचा था आज वो ही तालिबान पाकिस्तान का दुश्मन बना बैठा है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर स्थिति काफी तनावपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर में वह अभी भी आतंकवाद को प्रोत्साहित करने में लगा हुआ है। पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता भी बनी हुई है। जनता में बहुत आक्रोश है। देश को संकट से उबारने की शहबाज सरकार की क्षमता पर आम जनता का भरोसा उठ गया है। इमरान खान हकीकी लोकतंत्र के लिए नए चुनाव कराने की मांग को लेकर आंदोलन चलाए हुए हैं। पाकिस्तान के भीतर की राजनीतिक उठापटक पाकिस्तान को तबाही के कगार पर पहुंचा देगी। पाकिस्तान का भविष्य समय के गर्भ में है।
Advertisement
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement W3Schools
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×