पाकिस्तान चारों खाने चित्त
पाकिस्तान को हर मोर्चे पर भारत की मात…
भारतीय सेना सच्चे मायनों में साहस की प्रतीक है हर दिशा में जिस की होती केवल जीत है। भारतीय सेना के कदमों ने फतह किए सब मैदान यह वही भारतीय सेना है, है राष्ट्र हित सर्वोपरि उसकी पहचान। भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर सहमति के बाद जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान से गुजरात तक के सीमांत क्षेत्रों में स्थिति सामान्य हो चुकी है। लोग पहले की ही तरह सुबह-सवेरे अपनी दिनचर्या शुरू करने लगे हैं। बाजारों में चहल-पहल फिर से दिखने लगी है। हर किसी की जुबां पर भारतीय सेना के अचूक निशाने की सराहना ही हो रही है। हर कोई यही कह रहा है कि वाह भारतीय सेना का क्या अचूक निशाना था। लक्ष्य चिन्हित किए गए और मात्र 25 मिनट के आपरेशन में ही आतंकवादियों के अड्डे मुख्यालय और मदरसों को मिट्टी में मिला दिया गया। जहां आतंकवादी पनाह लेते थे वे हिंसा और गुनाह के हरम थे। पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने एक ही प्रतिघात में प्रतिशोध ले लिया।
भारत ने न केवल 100 आतंकवादी मारे बल्कि पाकिस्तान के 40 अफसर भी ढेर किए। कंधार विमान अपहरण के दोषियों के साथ कई अन्य आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले 5 खूंखार आतंकवादियों को मारना और पाकिस्तान के 9 एयरवेज तबाह करना ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी सफलता थी। जब पाकिस्तान को लगा कि वह भारत का मुकाबला करने में सक्षम नहीं तो शहबाज शरीफ ख्वाजा अब्बास और इसहाक डार ने चीन से लेकर अमेरिका तक गुहार लगाई। दरअसल चीन, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति में महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में खुद को पेश करना चाहता था ताकि उसका दक्षिण एशिया में वर्चस्व कायम हो सके लेकिन भारत ने युद्ध विराम पर सहमति देकर न केवल जिम्मेदार देश होने का परिचय दिया साथ ही चीन को हाथ सेकने का मौका भी नहीं दिया।
अगर यह तनाव बढ़ता तो चीन के लिए इस क्षेत्र में अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के अवसर खुल जाते। वह पाकिस्तान में अपने निवेश और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (जैसे सीपीईसी) को पहले से ही बढ़ा रहा है। इसमें और इजाफा हो सकता था। भारत-पाकिस्तान की लड़ाई वह बिना सीधे शरीक हुए हाथ सेंकने की फिराक में था। अभी चीन अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर में उलझा हुआ है। भारत उसका क्षेत्र में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी है। ट्रंप की टैरिफ पॉलिसियों के कारण जो कंपनियां चीन को छोड़कर भारत का रुख कर रही हैं, तनाव बढ़ने की स्थिति में उनका भरोसा डगमगा सकता था। भारत ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर चित किया है। ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देकर भारत ने जिस तरह अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया वह पूरे विश्व के लिए एक संदेश है। भारत ने पाकिस्तान के दुष्प्रचार को फर्जी साबित कर उसको नग्न किया साथ ही सिंधू जल संधि निलंबित कर सीमाएं पूरी तरह से बंद कर आयात-निर्यात रोक कर बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की। आर्थिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को नानी याद करा दी।
पाकिस्तान के पास इस युद्ध में खोने के लिए कुछ नहीं था। वो गाजा की तरह सदियों तक भारत से लड़ सकता है। जिस तरह गाजा में लोगों के पास खाने के लिए भोजन और रहने के लिए घर नहीं है पर हमास के लिए वो लगातार युद्ध कर रहे हैं, उसी तरह पाकिस्तान अफगानिस्तान, सीरिया और गाजा की तरह अंतहीन लड़ाई के लिए तैयार है। क्योंकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह खत्म हो चुकी है, जबकि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। 2027 तक भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है, दुनिया में आज जो माहौल बना है उससे ऐसा लगता है कि भारत जल्द ही चीन को पछाड़ कर दुनिया की फैक्ट्री बन सकता है।
ऐसी दशा में अगर भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध बढ़ाता तो जाहिर है आर्थिक मोर्चे पर उसे पीछे होना पड़ता। जहां तक भारत-पाक तनाव में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हस्तक्षेप को लेकर उठ रहे सवालों की बात है। लोकतंत्र में ऐसे सवाल उठाने का हक लोगों के और विपक्षी दलों को है। राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग भारत के युद्ध विराम पर सहमति को लेकर निराश भी हो सकते हैं। ट्रम्प की बयानबाजी चीन से चल रहे ट्रेडवार के बीच श्रेय लेने का ही प्रयास है। यद्यपि देश में जनभावनाएं पाकिस्तान को पूरी तरह सबक सिखाने की थी लेकिन पाकिस्तान को औकात दिखाकर उसे घुटने टेकने को मजबूर करना भारत की ही जीत है।
मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर मुद्दे पर भारत को किसी तीसरे देश की मध्यस्थता न पहले कभी स्वीकार थी न अब होगी। पाकिस्तान से बात होगी तो केवल पाक अधिकृत कश्मीर की वापसी पर ही होगी। भारत की चेतावनी है कि अगर पाकिस्तान से गोली चली तो भारत की तरफ से गोला चलेगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। शांति की राह तलाशने में संघर्ष विराम सहमति बेहतर प्रयास है लेकिन पाकिस्तान अपना भरोसा कायम रखेगा या नहीं यह भविष्य की बात है।