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Parivartini Ekadashi 2025: 2 या 3 सितंबर, कब रखा जाएगा परिवर्तिनी एकादशी का व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

03:23 PM Sep 01, 2025 IST | Bhawana Rawat

Parivartini Ekadashi 2025: हिन्दू धर्म में हर त्योहार और व्रत अपना विशेष महत्व है। पूरे वर्ष में 24 एकादशी व्रत होते हैं, हर महीने में 2 बार एकदशी व्रत होते है। एकादशी व्रत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इसमें हम बात करने वाले हैं परिवर्तिनी एकादशी की, जिसका व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर रखा जाता है। परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 3 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हुए करवट बदलते हैं, इसी वजह से इसको परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इस लेख में जानेंगे कि परिवर्तिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है।

परिवर्तिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Parivartini Ekadashi Shubh Muhurat)

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परिवर्तिनी एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट (Parivartini Ekadashi Samagri List)

परिवर्तिनी एकादशी पूजा विधि (Parivartini Ekadashi Puja Vidhi)

  1. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत का संकल्प लें।
  2. पूजा स्थल को साफ करके और गंगाजल छिड़कें।
  3. शुभ मुहूर्त पर पूजा स्थल में एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें, तिलक लगाएं और माला पहनाएं।
  4. भगवान के सामने शुद्ध देसी घी दीपक चलाएं। इसके बाद फूल, इत्र, चावल, नारियल, सुपारी, पंचामृत, तुलसी और चंदन अर्पित करें।
  5. पूजा के दौरान 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमो' मंत्र का जाप करें।
  6. भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाएं और आरती करें। भोग में तुलसी जरूर शामिल करें।
  7. भगवान विष्णु की पूजा और आरती के बाद व्रत की कथा भी सुनें।
  8. अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दे।
  9. इसके बाद अगले दिन यानी 4 सितंबर, गुरुवार को ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद स्वयं भोजन करें।

विष्णु मंत्र (Vishnu Mantra)

1. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरि:।।

2. ॐ नमोः नारायणाय॥

3. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥

4. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

5. शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं...
वन्दे विष्णुम् भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम्॥

6. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

7. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।

8. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

Disclaimer: इस लेख में बताए गए तरीके और सुझाव सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है, Punjabkesari.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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