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Parliament Terror Attack 2001: संसद पर हमले की 24वीं बरसी आज, जानें कैसे हुआ था लोकतंत्र के मंदिर पर सबसे बड़ा हमला

02:09 AM Dec 13, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat
Parliament Terror Attack 2001

Parliament Terror Attack 2001: 13 दिसंबर, 2001 को संसद भवन पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड थी और संसद में शीतकालीन सत्र जारी था। सदन के भीतर 'महिला आरक्षण बिल' को लेकर हंगामा हो रहा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी संसद भवन से निकल चुके थे। इस दौरान, किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि चंद मिनटों में भारत के लोकतंत्र के केंद्र पर ऐसा आतंकी हमला होगा, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।

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Parliament Terror Attack 2001

Parliament Terror Attack 2001: अंधाधुंध गोलीबारी से दहली संसद

सुबह करीब 11.30 बजे एक सफेद एंबेसडर कार संसद भवन के गेट नंबर 12 से प्रवेश करती है। कार के प्रवेश करते ही सुरक्षा कर्मियों को शक हुआ और वे कार के पीछे दौड़े। इसी बीच, वह कार उपराष्ट्रपति की खड़ी गाड़ी से टकरा गई। टक्कर होते ही कार सवार आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों के पास एके-47 समेत कई अत्याधुनिक हथियार थे। देखते ही देखते पूरा संसद परिसर गोलियों की आवाजों से दहल उठा। अचानक हुए इस हमले से संसद में अफरातफरी मच गई। एजेंसियों ने तुरंत अलर्ट जारी किया और सीआरपीएफ की बटालियन ने मोर्चा संभाला।

Parliament Terror Attack 2001

संसद भवन में मौजूद थे गृह मंत्री और पत्रकार

संसद परिसर में जब गोलियों की गूंज सुनाई दे रही थी, उस वक्त संसद भवन में गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कई बड़े नेता और पत्रकार मौजूद थे। स्थिति को देखते हुए सभी को अंदर ही रहने को कहा गया और संसद को पूरी तरह सील कर दिया गया। इस बीच एक आतंकी गेट नंबर 1 से सदन में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन सुरक्षा बलों ने उसे वहीं ढेर कर दिया। इसके बाद, अन्य चार आतंकी गेट नंबर 4 की ओर बढ़े, जहां मुठभेड़ में तीन को मार गिराया गया।

Parliament Terror Attack 2001

आखिरी आतंकी गेट नंबर 5 की ओर भागा, पर वह भी कुछ ही मिनटों में सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार हो गया। यह मुठभेड़ सुबह 11:30 बजे शुरू हुई और शाम करीब 4 बजे तक चली। देश के जांबाज सुरक्षाकर्मियों की बहादुरी और त्वरित कार्रवाई से उस दिन एक बड़ा हादसा टल गया।

Parliament Terror Attack 2001: 2013 में अफजल गुरु को फांसी की सजा

संसद पर हमले के दो दिन बाद, यानी 15 दिसंबर 2001 को, अफजल गुरु, एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन को गिरफ्तार किया गया। बाद में मामले की सुनवाई हुई और सर्वोच्च न्यायालय ने गिलानी और अफशान को बरी कर दिया, लेकिन अफजल गुरु के खिलाफ आरोप सिद्ध होने पर उसे मौत की सजा दी गई। वहीं, शौकत हुसैन की सजा मौत से घटाकर 10 साल कर दी गई। 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फांसी दे दी गई।

Parliament Terror Attack 2001

इस हमले में दिल्ली पुलिस के 5 बहादुर जवान, सीआरपीएफ की एक महिला सुरक्षाकर्मी, राज्यसभा सचिवालय के 2 कर्मचारी और एक माली ने अपनी जान गंवाई। संसद पर हुआ यह हमला भारत के इतिहास की गंभीर आतंकी घटनाओं में से एक माना जाता है।

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