Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

चुनाव में युवा मतदाताओं की भागीदारी

05:53 AM Feb 11, 2024 IST | Aditya Chopra

देश में आने वाले लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे ज्यादा मतदाताओं की हिस्सेदारी वाले चुनाव का रिकार्ड बनाएगा। निर्वाचन आयोग ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं उसके अनुसार मतदाता सूची में 6 फीसदी नए मतदाता जुड़े हैं। इनमें महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा है। देश की कुल आबादी का 66.76 फीसदी युवा हैं यानि वोट देने वाले बालिग लोग हैं। आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 18 से 29 वर्ष आयु वर्ग में ढाई करोड़ से अधिक नए मतदाताओं ने पंजीकरण कराया है। देश में कुल मतदाताओं का ग्राफ 96.88 करोड़ तक जा पहुंचा है। मतदाता सूची के पुनरीक्षण में महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले बाजी मारी है। 2.63 करोड़ नए मतदाताओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है। उनमें से 1.41 करोड़ मतदाता महिला हैं। अगर वोटर्स के लैंगिक अनुपात की बात करें तो इस साल हजार पुरुषों के मुकाबले 948 महिला वोटर हैं। आयोग के मुता​िबक 80 साल से अधिक उम्र के 1 करोड़ 85 लाख 92 हजार मतदाता हैं। जबकि 100 साल से ऊपर की उम्र वाले भी 2 लाख 38 हजार 791 मतदाता हैं। 1988 से पहले वोट देने की उम्र 21 साल थी, जिसे 1988 को 61वें संविधान संशोधन द्वारा 18 वर्ष कर दिया गया था। उस समय देश में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 साल इसलिए की गई क्योंकि देश के गैर प्रतिनिधित्व वाले युवाओं को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और उन्हें राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदार बनाने में मदद करने का अवसर मिलेगा। साथ ही यह भी महसूस किया गया कि युवा राजनीतिक रूप से काफी जागरूक भी हैं जिससे वो सही और गलत में चुनाव करने के लिए सक्षम हैं। आज भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। यह एक ऐसा वर्ग है जो शारीरिक और मानसिक रूप से सबसे अधिक शक्तिशाली है।
भारतीय राजनीति में युवा वर्ग का मौजूदा परिदृश्य अत्यंत उत्साहवर्धक है। ऊर्जा से लबरेज अनेक युवा विभिन्न राजनीतिक दलों में अच्छे नेतृत्वकर्ता के रूप में नजर आ रहे हैं। स्फूर्ति एवं नई सोच के साथ ये भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं तथा इन्होंने अपने कार्यों से अच्छी छाप छोड़ी है। यह सिलसिला इसी रूप में आगे भी बने रहने की संभावना है। युवा शक्ति ही भारतीय राजनीति में गुणात्मक एवं सकारात्मक बदलाव ला सकती है। यह सुखद है कि मौजूदा दौर में भारत न सिर्फ वैश्विक स्तर पर युवा शक्ति के रूप में उभर रहा है, बल्कि राजनीति में भी भारतीय युवा अच्छा प्रदर्शन कर लोकतंत्र को समृद्ध कर रहे हैं।
युवा हाथ न सिर्फ लोकतंत्र का एक साफ-सुथरा चेहरा गढ़ेंगे, बल्कि उसे ताजगी और ऊर्जा भी प्रदान करेंगे, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। राजनीति में इसका सकारात्मक योगदान देश की कायापलट सकता है। अतः युवा वर्ग का राजनीति में होना राष्ट्र निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभा सकता है। अतः किसी भी देश में राजनीतिक गतिशीलता और पारदर्शिता के लिए राजनीति में युवा वर्ग का होना अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि यही वह शक्ति है जो गुणात्मक बदलाव लाने में सक्षम होती है।
अगर इतिहास देखा जाए तो स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अब तक देश में हुए बड़े आंदोलनों में युवाओं की भूमिका बहुत बड़ी रही है। युवाओं में नई क्रांति लाने की ताकत है। भारत के युवाओं ने देश-विदेश में अपना नाम रोशन किया है। राजनीति में परिवारवाद, जातिवाद और सम्प्रदायवाद तथा भ्रष्टचार के चलते देश के युवाओं में राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ चुकी है। बेरोजगारी और अन्य जीवन यापन की मुश्किलों के चलते भी युवाओं का नेताओं पर भरोसा कम हुआ है।
भारत में वोट देने वाला युवा भी अपने चुने हुए उम्मीदवारों पर भरोसा नहीं करता। लालच, भ्रष्टाचार, गरीबी ने युवाओं को बहुत प्रभावित किया है। राजनीति को चतुर लोगों का खेल माना जाता है जो देश और राज्य के हित के नाम पर अपने प्रलोभनों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। देश का प्रत्येक व्यक्ति जो 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका है उसे स्वतंत्र रूप से अपने मत का प्रयोग करने और अपनी इच्छानुसार अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है। नए मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल बहुत सावधानी से करना होगा। उन्हें अपनी सोच का दायरा साम्प्रदायिकता, जातिवाद से परे बढ़ाना होगा। किसी भी भावना में न बहकर उन्हें देशहित सामने रखकर वोट डालना होगा ताकि सरकार देश को आगे और प्रगति के पथ पर ले जा सके। भारत का युवा समझदार है जो एक अच्छी और सकारात्मक बात है।

Advertisement
Advertisement
Next Article