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PCCAI ने BCCI अध्यक्ष गांगुली को लिखा पत्र, संघ को मान्यता और दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए समिति बनाने की मांग

पीसीसीएआई के सचिव रवि चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि गांगुली जब बीसीसीआई अध्यक्ष बने थे तब कई लोगों को उम्मीद थी कि बोर्ड का भाग्य उसी तरह से बदल जाएगा जिस तरह से भारतीय क्रिकेट का बदला था जब वह कप्तान बने थे।

01:14 AM Jul 28, 2020 IST | Desk Team

पीसीसीएआई के सचिव रवि चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि गांगुली जब बीसीसीआई अध्यक्ष बने थे तब कई लोगों को उम्मीद थी कि बोर्ड का भाग्य उसी तरह से बदल जाएगा जिस तरह से भारतीय क्रिकेट का बदला था जब वह कप्तान बने थे।

दिव्यांग क्रिकेट संघ (पीसीसीएआई) ने बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने संघ को मान्यता देने और दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए एक समिति बनाने की मांग की है। पीसीसीएआई के सचिव रवि चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि गांगुली जब बीसीसीआई अध्यक्ष बने थे तब कई लोगों को उम्मीद थी कि बोर्ड का भाग्य उसी तरह से बदल जाएगा जिस तरह से भारतीय क्रिकेट का बदला था जब वह कप्तान बने थे।
चौहान ने लिखा, खासकर, दिव्यांग क्रिकेटर्स काफी खुश थे कि ऐसा कोई आया है जो इस मामले को देखेगा और उनकी जिंदगी बदलेगा। उनकी उम्मीदें तब और बढ़ गई जब दिव्यांग क्रिकेटरों की दादा (गांगुली) के साथ बैठकें हुईं, लेकिन अभी तक कुछ ठोस नहीं हुआ है और उम्मीद निराशा में बदल गई है। उन्होंने कहा कि लोढ़ा समिति ने दिव्यांग क्रिकेटरों के लिए एक दिव्यांग क्रिकेट समिति बनाने की सिफारिश की थी जिसे बीसीसीआई को अपने नए संविधान में शामिल करना चाहिए था।
उन्होंने कहा, कुछ वर्ष बीत चुके हैं लेकिन जब भारत के दिव्यांग क्रिकेटरों के लिए कुछ करने की बात आती है तो बीसीसीआई शांत दिखाई देती है। बीसीसीआई के इस व्यवहार का असर यह है कि भारत के दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी जिसमें दृष्टिबाधित, व्हीलचेयर, गूंगे, बहरे क्रिकेटर शामिल हैं, को अभी भी भारत में मान्यता नहीं मिली है और इसलिए इन टीमों का हिस्सा जो खिलाड़ी हैं उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है और न ही समाज के किसी कोने से किसी तरह की पहचान।
पीसीसीएआई के महासचिव ने कहा कि कोविड-19 से पहले खिलाड़ियों की हालत थोड़ी बहुत ठीक थी लेकिन इसके बाद तो और बदतर हो गई है। उन्होंने कहा, यह खिलाड़ी अच्छे हैं। यह लोग नहीं चाहते कि दूसरे इन पर दया दिखाएं, यह लोग सिर्फ समान मौके चाहते हैं। हमने बीसीसीआई को कई पत्र लिखे, कई बार बोर्ड के सामने अपनी बात रखी लेकिन हमारी अपील की कोई सुनवाई नहीं हुई।
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