विकास परियोजनाएं और नियम तोड़ते लोग
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दिल्ली में मानव और वाहन दोनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि जारी है। ट्रैफिक जाम की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। राजधानी दिल्ली ही नहीं, देश के महानगर और बड़े शहर ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। हर जगह फ्लाईओवर बने हैं, मैट्रो का विस्तार हुआ है, नए मार्ग बने हैं लेकिन ट्रैफिक की समस्या ज्यों की त्यों है। दिल्ली में सुबह घर से निकलें तो शिक्षा संस्थानों के बाहर आपको सैकड़ों ई-रिक्शा खड़े मिलते हैं, जिन्होंने आधी सड़क घेर रखी होती है। आधी सड़क पर से कई बार स्कूटर भी निकालना मुश्किल हो जाता है। संकरे बाजारों में तो बुरा हाल होता है। मुख्य सड़कों पर निकलें तो वाहनों की लम्बी कतार नजर आती है।
लोग भी सड़क यातायात नियमों का पालन करते नजर नहीं आ रहे। मोटर वाहन अधिनियम में यातायात सम्बन्धी उल्लंघनों के लिए दंडात्मक प्रावधान गैर-निरोधक तथा पूरी तरह अप्रभावी हैं। लोग न तो यातायात नियमों का अनुपालन करते हैं और न ही यातायात पुलिस के पास इतनी जनशक्ति है कि वह हर चौराहे पर हर सड़क पर निगरानी रख सके। इसलिए दिल्ली की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए नए कदमों की जरूरत है। दिल्ली की सड़कों पर यातायात की भीड़भाड़ कम करने के लिए दिल्ली की विभिन्न एजैंसियों द्वारा चलाई जा रही अवसंरचनात्मक विकास परियोजनाओं के लिए दिल्ली के सभी हितधारियों के साथ गहन रूप से काम करना जारी रखना होगा। शहर के लिए व्यापक पार्किंग नीति बनानी होगी।
भीड़भाड़ वाले सड़क नेटवर्क पर सीमित सड़क के स्थान के लिए स्पर्धा कर रहे सड़क के उपयोगकर्ताओं की लगातार बढ़ रही संख्या ने दिल्ली की सड़कों पर यातायात के सुरक्षित प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। दिल्ली की जनसंख्या वर्ष 1971 में 43 लाख से चार गुनी बढ़कर वर्ष 2017 में 205 लाख (लगभग) हो गई है। मोटर वाहन की संख्या में भी तदनुरूप भारी वृद्धि हुई है अर्थात वर्ष 1971 में वाहनों की संख्या 2.17 लाख थी जो बढ़कर वर्ष 2017 में 1.08 करोड़ (लगभग) हो गई है। यद्यपि, दिल्ली की सड़कों पर मोटर वाहनों की संख्या वर्ष 1971 और वर्ष 2017 के बीच लगभग 50 गुना बढ़ी है, तथापि, सड़क की लम्बाई वर्ष 1971 में 8,380 कि.मी. से बढ़कर वर्ष 2011 तक 33,198 कि.मी. हो सकी है अर्थात केवल चार गुना (लगभग) वृद्धि हुई है।
वाहन की संख्या और सड़क की लम्बाई में वृद्धि की दर में अन्तर के परिणामस्वरूप वाहन के घनत्व में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त पड़ोसी राज्यों से भी दिल्ली में बड़ी संख्या में मोटर वाहन आते हैं जिससे भी दिल्ली की सड़कों पर यातायात का प्रवाह प्रभावित होता है। वाहन की संख्या में वृद्धि, अविनियमित शहरी विस्तार, सड़क मार्ग से माल वाहन की आवाजाही में वृद्धि, अपर्याप्त आैर अदक्ष सार्वजनिक परिवहन प्रणाली तथा दक्ष नियंत्रण उपायों यथा सम्पत्ति का मिश्रित उपयोग कुछ ऐसे मुख्य वेरिएबल्स हैं जो यातायात विनियम और नियंत्रण को अत्यधिक चुनौतीपूर्ण कार्य बना देते हैं। मैट्रो से भिन्न सार्वजनिक परिवहन के ठोस और वैकल्पिक साधनों के विकास की कमी के परिणामस्वरूप सड़क नेटवर्क के लिए प्रतिकूल मॉडल स्पलिट पैदा हुआ है।
इससे यात्री व्यक्तिगत पिरवहन मॉडल्स का प्रयोग करने के लिए भी बाध्य हुए हैं। वाहनों से भी राजधानी में प्रदूषण बढ़ा है और दिल्ली की वायु प्रदूषण खतरे की हद पार कर रही है। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऐलान किया है कि दिल्ली की ट्रैफिक की समस्या को दूर करने के लिए डबल डेकर बस चलाई जाएंगी। दिल्ली में 6 लेन की एलिवेटिड रोड का शिलान्यास करते हुए उन्होंने कहा कि एलिवेटिड रोड दिल्ली-सहारनपुर हाइवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रैस वे को आपस में जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी योजना के निर्णायक दौर की ओर अग्रसर हैं जिसके तहत जल्द डबल डेकर एयरबस चलाएंगे। इससे कम किराये में लोग हवाई जहाज जैसी यात्रा का आनन्द ले सकेंगे। यूरोप के कई देशों में इस प्रकार की व्यवस्था लोगों के लिए की गई है। वहां के मॉडल की स्टडी की जा रही है।
राजधानी को भीड़भाड़ से निजात दिलाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए की राजमार्ग परियोजनाओं का निर्माण करने का फैसला किया है। नई परियोजनाओं में नए रिंग रोड का निर्माण भी शामिल है। यमुना स्वच्छता की योजना पूरी होने के बाद दिल्ली को निर्मल यमुना मिलेगी जिससे मोटर और स्काईबोट चल सकेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि केन्द्र सरकार राजधानी की समस्याओं को दूर करने पर तेजी से काम कर रही है। राजधानी में लोग वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण से काफी परेशान हैं। उम्मीद है कि परियोजनाओं के पूर्ण होने पर दिल्ली में ट्रैफिक समस्या से काफी हद तक राहत मिलेगी लेकिन सबसे जरूरी है कि लोगों को सड़क यातायात के नियमों का अनुपालन करने का पाठ पढ़ाया जाए।
महानगर की मुख्य सड़कों पर तो राहत मिल जाएगी लेकिन शहर के भीतर की सड़कों पर आड़े-तिरछे, रैडलाइट क्रॉस करते वाहन चालकों को कौन रोकेगा। इसके लिए ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम के आधुनिकीकरण पर भी जोर दिया जाना चाहिए। इसके लिए केन्द्रीयकृत कमांड और कंट्रोल सैंटर बनाए जाने चाहिएं। विदेशों की तरह ई-चालान सिस्टम भी शुरू करना होगा। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या सर्वाधिक है। नशे में वाहन चलाने, गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करने और यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर कम से कम तीन माह के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया को भी शुरू करना होगा। विकास परियोजनाओं का लाभ तभी है जब लोग यातायात नियमों का पालन करें तो समस्या से निजात मिल सकती है इसलिए जरूरी है कि लोगों को सड़क यातायात नियमों का पालन करने के लिए दण्ड देने के प्रावधान सख्ती से लागू किए जाएं आैर वाहनों की संख्या को नियंत्रित किया जाए।