पेफी की ई कॉन्फ्रेंस में स्वदेशी खेलों को पुनर्जीवित करने का संकल्प, होगा शारीरिक और मानसिक विकास
फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने देश में स्वदेशी खेलों के प्रति जागरूकता एवं इनके प्रचार-प्रसार के लिए 2 दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की ई कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया।
12:28 PM Sep 23, 2020 IST | Ujjwal Jain
फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) ने देश में स्वदेशी खेलों के प्रति जागरूकता एवं इनके प्रचार-प्रसार के लिए 2 दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की ई कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। जिसमें स्वदेशी खेलों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया गया।
पेफी की ई कॉन्फ्रेंस का समापन स्वदेशी भाषा-स्वदेशी खेलों के नारे के साथ हुआ। कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र को संबोधित करते हुए पेफी के राष्ट्रीय सचिव पियूष जैन ने देश की नई शिक्षा नीति का समर्थन करते हुए कहा कि बच्चों की शुरुआती शिक्षा में जिस प्रकार स्वदेशी भाषा पर जोर दिया गया है, उसी तरह कक्षा 5 तक स्वदेशी खेलों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक भारतीय खेलों के माध्यम से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास सहजता से किया जा सकता है, जिससे आगे चलकर यह बच्चे आज के प्रसिद्ध आधुनिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दे सकें। उन्होंने यह भी कहा कि हम यह भी आशा करते है कि आने वाले समय में सरकार एवं अन्य सम्बंधित संस्थाओं द्वारा इस ओर अधिकाधिक प्रयास कर अपनी पारंपरिक विरासत एवं स्वदेशी विचार को पूर्ण सार्थकता प्रदान करेंगे।
पेफी आने वाले समय में इस विषय पर देशभर में कुछ और कार्यक्रम आयोजित करेगा। कार्यक्रम के आयोजन सचिव शरद कुमार शर्मा ने बताया कि इस 2 दिवसीय ई कॉन्फ्रेंस में देशभर के सभी राज्यों से स्वदेशी, परंपरागत क्षेत्रीय एवं वैदिक कालीन खेलों पर शोध पत्र एवं लेख आमंत्रित किए गए थे, जिनमें से चयनित श्रेष्ठ शोध पत्रों एवं लेखों का प्रस्तुतिकरण भी करवाया गया।
इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति में खेलों का महत्व एवं उनके माध्यम से सर्वांगीण विकास को कैसे प्राप्त किया जाता था और उस समय में यह खेल सीमित साधनों के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त करने में क्या और कैसे भूमिका निभाते थे, इसके मूल से सभी का परिचय कराना है।
कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष अनिल करवंदे ने कहा कि पेफी के द्वारा यह आयोजन अपने आप में अति आवश्यक इसीलिए कहा जा सकता है क्योंकि देश में अभी तक इस ओर ध्यान न देने के कारण अधिकांश भारतीय परंपरागत स्वदेशी खेल विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्राप्त होने वाले सभी चुने गए शोध पत्रों एवं लेखों को एक पुस्तक के माध्यम से जारी किया जाएगा, जो भविष्य में इनकी पहचान एवं प्रचार-प्रसार के लिए एक उत्तम प्रयास सिद्ध होगा।
इस पूरे आयोजन में 2 दिन में 4 तकनीकी सत्र आयोजित किये गए जिसमे खेल जगत, भारतीय संस्कृति एवं स्वदेशी खेलों में रूचि रखने वाले लगभग 3000 लोग इसमें सहभागी बने। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पेफी के यूट्यूब चैनल पर किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन अरुणा डोगरा एवं अमृता पांडे ने नागपुर, महाराष्ट्र से किया।
Advertisement
Advertisement