For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

पेड़ लगाओ जीवन बचाओ

कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी कि दिल्ली जैसे शहर को 49 डिग्री का तापमान देखना पड़ेगा और वह भी जून के महीने में। इस साल गर्मी ने पूरे उत्तर भारत में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

01:19 AM May 22, 2022 IST | Kiran Chopra

कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी कि दिल्ली जैसे शहर को 49 डिग्री का तापमान देखना पड़ेगा और वह भी जून के महीने में। इस साल गर्मी ने पूरे उत्तर भारत में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

पेड़ लगाओ जीवन बचाओ
कभी किसी ने कल्पना नहीं की थी कि दिल्ली जैसे शहर को 49 डिग्री का तापमान देखना पड़ेगा और वह भी जून के महीने में। इस साल गर्मी ने पूरे उत्तर भारत में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पंजाब-​हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश सब झुलस रहे हैं लेकिन हमारी दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में बढ़ते ट्रैफिक के साथ-साथ प्रदूषण ने सबके लिए बड़े खराब हालात बना रखे हैं। पर्यावरण में जिस हरियाली की सबसे ज्यादा जरूरत मानव जीवन और पशु-पक्षियों के लिए है वह भी खत्म हो रही है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि हरे-भरे पेड़ पिछले 20 साल से बड़ी तेजी से काटे गए और बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने आसमान को छूती इमारतें बनाकर खड़ी की हैं वह सब मानव जीवन का भौतिक सुख तो हो सकता है लेकिन इंसान का जीवन अगर 50 डिग्री तक झुलसने वाली गर्मी में छोड़ दिया गया तो इसे क्या कहेगे। उस दिन टीवी पर डिस्कवरी चैनल में पिछले 15 साल पहले की उन चेतावनियों का लेखा-जोखा दिखाया जा रहा था जो ग्लोबल वार्मिंग अर्थात विश्वस्तरीय गर्मी के तापमान के बढ़ने पर आधारित था। इस प्रोग्राम में दिखाया गया कि वैज्ञानिकों ने कदम-कदम पर हरियाली खत्म ना करने की चेतावनी दी और विशेष रूप से भारत के बारे में बताया कि किस तरह पर्वतमालाएं खत्म हो रही हैं और नदियों का जल स्तर घट रहा है। 15 साल पहले दी गई इन चेतावनियों का किसी पर कोई असर नहीं है। आज परिणाम ग्लोबल वार्मिंग के रूप में सबके सामने है।
Advertisement
तथाकथित रूप से आगे बढ़ने की होड़ में इंसान ने अंटार्टिका जैसे इलाके में जहां कभी बर्फ नहीं पिंघलती वहां भी एयरबेस बना डाले। शहरों में जगह-जगह पेड़ काटे जा रहे हैं। हर तरफ इमारतें हैं। पेड़ लगाने की बात कोई नहीं करता। दिल्ली से गुरुग्राम या दिल्ली से सोनीपत तक पिछले 15 साल में कितने पेड़ लगे और कितनी कालोनियां बन गई यह सब जानते हैं लेकिन यह सच है कि दिल्ली एनसीआर को हरा-भरा करने का समय आ गया है। कोई भी वृक्ष अगर काटा जाता है तो इसे जघन्य श्रेणी का अपराध माना जाना चाहिए। हालांकि किताबों में व्यवस्था है कि जिस वृक्ष को आप किसी जगह से हटाते हैं तो उसे दूसरी जगह इमप्लांट करना होगा। सोशल मीडिया पर कितने पर्यावरण ​विशेषज्ञों की रिपोर्ट्स हैरान कर देने वाली हैं जो यह बताती हैं कि गंगा-यमुना, नर्मदा, अलखनंदा के आसपास कितने ही क्षेत्रों में वृक्षों की कटाई कर दी गई है। हिमाचल में पहाड़ों की हरियाली खत्म हो गई है और अभी दो साल पहले सोलन के पास एक बड़ा पर्वत सरक गया था। समय आ गया है ​िक ज्यादा से ज्यादा हरियाली के लिए हर कोई वृक्ष लगाए, पौधारोपण मानवीय जीवन का एक अनिवार्य अंग होना चाहिए और स्कूली स्तर पर ही इसकी शुरूआत हो जानी चाहिए।
15-20 साल पहले की बात है कि जब आप खुद किसी भी हाइवे से गुजरते थे जगह-जगह रोड के किनारों पर एक-दूसरे से सटे वृक्ष मानो आपसी भाईचारा प्रस्तुत कर रहे हों लेकिन आज की तारीख में सब कुछ बदल चुका है। योजनाबद्ध विकास आवश्यक है लेकिन उसके लिए भी जरूरी यह है कि पेड़ों की नई शृंखला का सृजन होना चाहिए। आज पौधे लगेंगे वही कल बड़े पेड़ बनेंगे। इसकी शुरूआत बहुत जल्द हो जानी चाहिए। आज सोशल मीडिया पर लोग रह-रहकर आवाज बुलंद कर रहे हैं कि दिल्ली को कदम-कदम पर हरा-भरा बनाने के लिए कुछ न कुछ अभियान शुरू करना होगा। एक वृक्ष अगर आज लगेगा तो वह 10-20 साल बाद मानव जीवन को सुख-सुविधाएं देगा। इस बारे में एक कहानी है कि एक बूढ़ा सड़क पर आम के वृक्ष लगा रहा था तो वहां से गुजरते युवकों के एक समूह ने सवाल किया कि बाबा यह वृक्ष कब तक बड़ा होगा और कब तक फल देगा? ​तुम्हारे पैर तो कब्र में हैं जब तक यह फल देगा तब तक तुम दुनिया से निकल जाओगे। इस पर बूढ़े ने कहा कि मेरे बाप-दादाओं ने पेड़ लगाए थे उनके फल मैंने खाए, अब मैं यह पेड़ लगाऊंगा तो मेरे बच्चे फल खाएंगे। इसी संदेश के साथ कहानी एक प्रेरणा दे जाती है कि भावी सुखों के लिए पेड़ों का होना बहुत जरूरी है।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु सम्मेलन अगर बिगड़ते वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को लेकर आयोजित किए जाते हैं तो इसके मतलब को समझना होगा। हरित क्रांति हमारे देश में आज समय की मांग है। वैज्ञानिकों की चेतावनी को सुनना होगा। गंगा का स्तर नीचे जा चुका है। भूमि में जलस्तर पाताल तक पहुंच रहा है। अपने आज को संवारने के लिए हम ज्यादा से ज्यादा सुख तलाश रहे हैं लेकिन अगर भविष्य की पीढ़ी को बचाना है तो आज से ही पोधारोपण हम खुद कर सकते हैं, यह सचमुच आने वाली पीढ़ी के सुखों की दिशा में और मानव जीवन की सुरक्षा में झुलसती गर्मी से बचाव का एक बड़ा प्रयास होगा। आओ सब मिल-जुलकर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं।
Advertisement
Advertisement
Author Image

Kiran Chopra

View all posts

Advertisement
×