'जिन्ना के सामने नेहरू झुके... ', पीएम मोदी ने 'वंदे मातरम्' पर चर्चा करते हुए इतिहास की कौन-कौन सी छुपे अध्याय उजागर किए?
PM Modi on Vande Mataram Highlights: 18वीं लोकसभा के शीतकालीन सत्र के 8वें दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' पर चर्चा की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम् के टुकड़े किए। जवाहरलाल नेहरू जिन्ना के सामने झुके थे।
वंदे मातरम् आजादी के समय से प्रेरणा का सोर्स था तो फिर उसके साथ पिछले दशक में अन्याय क्यों हुआ। इस पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, "PM के भाषण के दो मकसद थे। पहला, इसका मतलब था कि उनके राजनीतिक पूर्वजों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। दूसरा, यह चर्चा को राजनीतिक बनाना था। जब भी मोदी किसी विषय पर बोलते हैं, तो वह बार-बार नेहरू का नाम लेते हैं।"
Vande Mataram Debate: पीएम मोदी ने सदन में और क्या-क्या कहा?

पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा, "बंकिम दा ने जब 'वंदे मातरम्' की रचना की तब स्वाभाविक ही वह स्वतंत्रता आंदोलन का पर्व बन गया। तब पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, 'वंदे मातरम्' हर भारतीय का संकल्प बन गया। इसलिए वंदे मातरम् की स्तुति में लिखा गया था कि मातृभूमि की स्वतंत्रता की वेदी पर, मोद में स्वार्थ का बलिदान है। यह शब्द 'वंदे मातरम्' है। सजीवन मंत्र भी, विजय का विस्तृत मंत्र भी। यह शक्ति का आह्वान है। यह 'वंदे मातरम्' है। उष्ण शोणित से लिखो, वत्स स्थली को चीरकर वीर का अभिमान है। यह शब्द 'वंदे मातरम्' है।"
Vande Mataram 150th Anniversary: 1857 की क्रांति का जिक्र करते हुए क्या बोले पीएम?
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 'वंदे मातरम्' उस समय लिखा गया था, जब 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार सतर्क थी और हर स्तर पर दबाव और अत्याचार की नीतियां लागू कर रही थी। उस दौर में ब्रिटिश राष्ट्रगान 'गॉड सेव द क्वीन' को हर घर तक पहुंचाने की मुहिम चल रही थी। ऐसे समय में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी लेखनी से जवाब देते हुए 'वंदे मातरम्' लिखा और भारतीयों में साहस और आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की।
'वंदे मातरम्' वैदिक युग की संस्कृति की याद दिलाता है-पीएम

प्रधानमंत्री ने कहा, "जब हम 'वंदे मातरम्' कहते हैं, तो यह हमें वैदिक युग की संस्कृति की याद दिलाता है। वेदों में कहा गया है कि माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः, अर्थात यह भूमि मेरी माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूं। यही विचार भगवान राम ने भी व्यक्त किया था, जब उन्होंने कहा कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। आज 'वंदे मातरम्' इसी महान सांस्कृतिक परंपरा का आधुनिक रूप है।"
PM Modi on Vande Mataram Highlights: मातृभूमि की मुक्ति की पवित्र जंग का प्रतीक था वंदे मातरम्

पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि वंदे मातरम् केवल अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का मंत्र नहीं था, बल्कि यह मातृभूमि की मुक्ति की पवित्र जंग का प्रतीक था। यह गीत उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान का सम्मान करता है जिन्होंने इसे अपने आंदोलन का हिस्सा बनाया। उन्होंने सदन में सभी सांसदों से कहा कि इस अवसर पर पक्ष-प्रतिपक्ष का कोई भेदभाव नहीं है, क्योंकि यह समय है 'वंदे मातरम्' के ऋण को स्वीकार करने का, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदानों से पूरा किया।
उन्होंने याद दिलाया कि आज भारत में जो लोकतांत्रिक व्यवस्था और आजादी है, वह इसी आंदोलन का परिणाम है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "संसद में बैठे सभी सांसदों के लिए यह अवसर है कि वे इस ऋण को स्वीकार करें और उस पवित्र संघर्ष को याद करें, जिसने हमारी मातृभूमि को स्वतंत्र कराया।"
Vande Mataram 150th Anniversary: वंदे मातरम कैसे बना राष्ट्रगीत?
वंदे मातरम भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया। इसकी रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में की थी और यह उनकी कृति आनंदमठ में शामिल हुई। यह गीत मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करता है। 1905 में बांग्लादेश के विभाजन विरोधी आंदोलन में इसे स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बना दिया गया। स्वतंत्रता के समय, इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे भारत का राष्ट्रगीत घोषित किया। यह गीत भारतीय नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाता है और एकता का संदेश देता है।

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