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पीएम मोदी की सिख गुरुओं के प्रति आस्था

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में सिख गुरुओं के प्रति कितनी श्रद्धा…

10:40 AM Mar 20, 2025 IST | Sudeep Singh

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में सिख गुरुओं के प्रति कितनी श्रद्धा…

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में सिख गुरुओं के प्रति कितनी श्रद्धा भावना और आस्था है इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब विदेशी मुल्क न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आए और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से दिल्ली के ऐतिहासिक स्थलों को देखने की इच्छा जाहिर की तो प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी स्थान गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब नतमस्तक होने की पेशकश की जिसे न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने स्वीकार भी कर लिया क्योंकि उन्होंने न्यूजीलैंड में सिख समुदाय के लोगों और खासकर पूर्व मंत्री कंवलजीत सिंह बख्शी से सिख गुरुओं के बारे में काफी कुछ सुना हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें लेकर जब गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब नतमस्तक हुए तो उन्होंने स्वयं न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री को गुरु तेग बहादुर जी की शहादत की दास्तान के बारे में भी जानकारी दी जिसे सुनकर उनके मन में भी गुरु साहिबान के प्रति आस्था उत्पन्न हुई। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, महासचिव जगदीप सिंह काहलो सहित अन्य कमेटी सदस्य और दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिन्दर सिंह सिरसा उनके स्वागत के लिए पहले से वहां मौजूद थे। इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब नतमस्तक हो चुके हैं। इतना ही नहीं गुरु तेग बहादुर जी के 400 वें प्रकाश पर्व को भी मोदी सरकार के द्वारा सरकारी स्तर पर मनाया गया और नवम्बर में आने वाले गुरु साहिब के 350वें शहीदी पर्व को भी उसी प्रकार सरकार के द्वारा मनाने की तैयारियां की जा रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के समक्ष जहां अन्य मुद्दों पर बात की वहीं खालिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा करते हुए न्यूजीलैंड में खालिस्तानी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कहा जिस पर प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि इस पर ध्यान दिया जाएगा। क्योंकि पिछले कुछ समय से न्यूजीलैंड में भी खालिस्तानियों की गतिविधियां बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं जो कि बेहद चिन्ता का विषय है। मगर जो भी हो सिख समुदाय के लोगों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति सम्मान में और बढ़ौतरी हुई है क्योंकि वह चाहते तो दिल्ली में और भी कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं जहां न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री को लेकर जा सकते थे मगर उन्होंने गुरुद्वारा रकाब साहिब को ही चुना। वहीं उन लोगों को भी समझ आ जानी चाहिए जो सालांे तक भाजपा की चाकरी करने बाद अब बिना वजह भाजपा और मोदी सरकार पर सिख विरोधी होने का निरन्तर प्रचार कर सिखों में भ्रम पैदा करते हैं।

खालिस्तानियों द्वारा देश का माहौल खराब करने की कोशिश

भारत के अलग अलग शहरों खासकर पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियों में तेजी देखने को मिल रही है जो कि बेहद चिन्ता का विषय है क्योंकि इन्हीं लोगों के कारण पंजाब 80 के दशक में बहुत संताप झेल चुका है जिसके कारण पंजाब की आर्थिक स्थिति भी काफी कमजोर हुई जो कि आज तक पटरी पर वापिस नहीं आ सकी। इससे पहले पंजाब देश का सबसे सामर्थ्य और खुशहाल राज्य हुआ करता था। सभी धर्मों और जाति के लोग आपसी भाईचारे के साथ मिलजुल कर रहते थे। मगर कुछ राजनीतिक लोगों ने अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति और राजनीतिक लाभ हेतु पंजाब की अमन और शांति को ही दाव पर लगा दिया जिसने पंजाब का माहौल तो खराब किया ही युवाओं की जवानी ही तबाह कर दी।

वहीं अब एक और मुद्दा चर्चा में आ गया कि पंजाब के युवा हिमाचल में गुरुद्वारों के दर्शन के लिए जाते हुए अपने वाहनों पर जो झण्डे लगाए हैं उस पर हिमाचल के लोगों को एतराज हो रहा है और उनके द्वारा प्रशासन की मदद से उन झण्डों कोे जिन्हें वह खालिस्तानी झण्डा मानते हैं उतारा जा रहा है। इसके बाद अब कुछ शरारती लोंगों के द्वारा पंजाब में हिमाचल से आने वाली हर बस और गाड़ी पर जबरन भिंडरावाला की फोटो लगाई जा रही है। मंगलवार की रात हिमाचल की एक बस पर इन्हीं के द्वारा पथराव कर शीशे तोड़ दिए गये।

सिख ब्रदर्सहुड इन्टरनैशनल के सैक्रेटरी जनरल गुणजीत सिंह बख्शी का मानना है कि धार्मिक नेताओं को आगे आकर सिख युवाओं का मार्गदर्शन करना चाहिए। कहीं ऐसा ना हो कि वह राजनीति से प्रेरित होकर तमाशा देखते रहें और पंजाब एक बार फिर से उस काले दौर की ओर चल पड़े। उन्होंने कहा युवाओं को अपने वाहनों पर निशान साहिब लगाकर चलना चाहिए जो कि सिखों की पहचान भी है मगर ना जाने किन लोगों के बहकावे में आकर युवा वर्ग भिंडरावाले की फोटो वाले झण्डे लेकर चल रहा है जिस पर निश्चित तौर पर विवाद उत्पन्न होना ही है। उनका यह भी कहना है कि गुरु का सिख जो गुरु के दर्शनों के लिए जा रहा है वह किसी भी विवाद में नहीं पड़ता और इस प्रकार बसों पर हमले करने की तो सोच भी नहीं सकता जिसमें बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग, महिलाएं बैठी हों।

औरंगजेब की तारीफ गुरुओं का अपमान

इतिहास इस बात का गवाह है कि औरंगजेब एक क्रूर शासक था और उसके द्वारा इस देश में केवल इस्लाम धर्म रखने की बात करते हुए हिन्दुओं पर अत्याचार सभी हिन्दुओं को इस्लाम में लाने की मुहिम शुरु कर दी थी। औरंगजेब के आदेश पर ही इस्लाम ना कबूल करने की स्थिति में हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया जाता जिसकी फरियाद लेकर जब कश्मीरी पण्डित गुरु तेग बहादुर जी के पास गए तो गुरु जी ने अपने प्राणों की आहूति देकर हिन्दू धर्म की रक्षा की।

गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों को भी औरंगजेब के आदेश पर जिन्दा दीवार में चिनवा दिया गया था।

मगर ना जाने क्यों राजनीतिक पार्टियों के लोग अपने वोट बैंक की खातिर यां फिर झूठी शौहरत के लिए किसी भी हद तक गिर जाते हैं। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के नेता अब्बू आजमी के द्वारा भी कुछ ऐसा करते हुए औरंगजेब की तारीफ कर उसे अच्छा शासक बता दिया जो कि सरासर गुरु साहिबान का अपमान है। मगर बहुत दुख की बात है कि किसी भी अन्य पार्टी के नेताओं यहां तक कि सिख नेताओं के द्वारा भी इस पर चुप्पी साधी हुई है।

दिल्ली में क्रूर, अत्याचारी, बहन बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले मुगल शासकों के नाम से सड़कों, इतिहासिक धरोहरों के नाम रखे गए। बीते दिनों एक महिला वकील ने औरंगजेब लेन के बोर्ड को आग लगाकर उसे मिटाने की कोशिश की जिसके चलते महिला वकील पर आज तक मुकदमा चलाया जा रहा है। देश की मौजूदा सरकार को चाहिए कि इस ओर ध्यान देते हुए गुरुओं का सम्मान बहाल करवाने की दिशा में कार्य करें मगर औरंगजेब के इतिहास को भी जिन्दा रखा जाए नहीं तो आने वाली पीढ़ियों को कैसे पता चलेगा कि औरंगजेब ने किस प्रकार हिन्दू धर्म और गुरु साहिबान पर अत्याचार किया।

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