चुनाव आयोग के हाथों नप गए प्रशांत किशोर, जारी हो गया नोटिस, वोटर ID कार्ड से जुड़ा है मामला
Prashant Kishor EC Notice: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चल रही सियासी हलचल के बीच जन सुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर विवादों में आ गए हैं। चुनाव आयोग ने उन्हें दो अलग-अलग राज्यों में मतदाता के रूप में नाम दर्ज होने के आरोप में नोटिस भेजा है। आयोग ने प्रशांत किशोर से तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
Prashant Kishor EC Notice: चुनाव आयोग का नोटिस
चुनाव आयोग ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्रशांत किशोर का नाम बिहार और पश्चिम बंगाल, दोनों राज्यों की मतदाता सूची में दर्ज पाया गया है। आयोग ने नोटिस में लिखा कि, "आपका नाम दो निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज है, जो नियमों के विरुद्ध है। कृपया तीन दिनों के अंदर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।"
Prashant Kishor News: कानूनी प्रावधान क्या कहते हैं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति का नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज नहीं हो सकता। अगर कोई व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता है, तो धारा 31 के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसमें एक साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
Dual Voter ID: प्रशांत किशोर के नाम पर दो पंजीकरण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रशांत किशोर का नाम पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में 121, कालीघाट रोड पते पर मतदाता के रूप में दर्ज है। यह इलाका भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जो कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का निर्वाचन क्षेत्र है। आधिकारिक रिकॉर्ड में उनका एपिक नंबर 'IUI0686683', सीरियल नंबर 621 और मतदान केंद्र सेंट हेलेन स्कूल, रानीशंकरी लेन बताया गया है।
दूसरी ओर, बिहार में भी प्रशांत किशोर का नाम मतदाता सूची में मौजूद है। वे रोहतास जिले के करगहर विधानसभा क्षेत्र में पंजीकृत हैं, जो सासाराम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। उनका मतदान केंद्र मध्य विद्यालय, कोनार है। कोनार गांव प्रशांत किशोर का पैतृक स्थान माना जाता है।
बिहार चुनाव में सक्रिय भूमिका
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी इन दिनों बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रही है। इसी बीच उनके नाम पर दो जगह वोटर आईडी होने की खबर सामने आने से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सवाल उठाए हैं, जबकि पार्टी के समर्थक इसे "तकनीकी गलती" बता रहे हैं।
अब प्रशांत किशोर को चुनाव आयोग के नोटिस का तीन दिन के भीतर जवाब देना होगा। अगर वे संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे पाते, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। चुनाव आयोग की सख्ती को देखते हुए यह मामला आने वाले दिनों में और भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो सकता है।
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