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राष्ट्रपति का भाषण भावुक कर गया

सच में जब द्रौपदी मुुर्मू राष्ट्रपति बनी तो लोगों के बहुत से सवाल थे, यह कहां से क्यों? हर व्यक्ति के अन्दर सवाल था, परन्तु जैसे-जैसे उनके जीवन की हिस्ट्री को पढ़ते गए, सुनते गए……

02:08 AM Dec 04, 2022 IST | Kiran Chopra

सच में जब द्रौपदी मुुर्मू राष्ट्रपति बनी तो लोगों के बहुत से सवाल थे, यह कहां से क्यों? हर व्यक्ति के अन्दर सवाल था, परन्तु जैसे-जैसे उनके जीवन की हिस्ट्री को पढ़ते गए, सुनते गए……

राष्ट्रपति का भाषण भावुक कर गया
सच में जब द्रौपदी मुुर्मू राष्ट्रपति बनी तो लोगों के बहुत से सवाल थे, यह कहां से क्यों? हर व्यक्ति के अन्दर सवाल था, परन्तु जैसे-जैसे उनके जीवन की हिस्ट्री को पढ़ते गए, सुनते गए यह सवाल अपने आप ही सुलझते गए और मन को प्रभावित भी करते गए कि और गर्व होने लगा कि हमारे देश की राष्ट्रपति जमीन से जुड़ी हुईं, छोटे से गांव से बहुत मेहनत और कठिनाइयों को झेलती हुईं इस पद पर पहुंची। उनका यह सफर बहुत प्रेरणादायी है। मैंने तब भी आर्टिकल लिखा अक्सर जब जिन्दगी में मन दुखी होता या कठिनाइयों का सामना होता तो मैं अपने पति के जाने के बाद दुखी होती तो मैं इनके जीवन की ओर देखने लगी। उसके बाद जिन्दगी में थोड़ा काम करने का उत्साह होता और मैं काम में जुट जाती हूं, इसलिए अक्सर मैं उनके भाषण यूट्यूब पर सुनती रहती हूं।
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अभी 29 तारीख को सुप्रीम कोर्ट कॉन्सिटट्यूशन डे संविधान दिवस पर जब उनका भाषण सुना तो मैं बड़ी भावुक हो गई। इतना अच्छा सरल सच्चाई से जुड़ा भाषण था कि मैं इतनी भावुक  हो गई और मेरी आंखें भी नम हुईं। सच में मुझे और भी गर्व हुआ अपने देश की राष्ट्रपति पर कि वह ऐसी महिला हैं जिससे हर देशवासी गर्व करता है और खास करके देश की हर महिला गर्व करती है। उन्होंने अपने भाषण में न कुछ कहते हुए भी सब कुछ कह दिया, समझा दिया। बड़े जज बैठे थे, उनके सामने उन्होंने जिन्दगी की कड़वी सच्चाई सबके सामने रख दी कि जेलें ऐसे लोगों से भरी हुई हैं जिनका या तो कसूर नहीं या बहुत छोटा कसूर है, उनकी रिहाई की तारीख नहीं मिलती और कुछ ऐसे गरीब लोग हैं जिनकों छुड़ाने के लिए केस भी उनके रिश्तेदार नहीं लड़ते क्योंकि वकीलों की फीस देते-देते उनके घर, जमीन यहां तक कि बर्तन भी बिक जाते हैं और कुछ लोग बाहर ही नहीं आना चाहते क्योंकि उन्हें लगता है कि समाज उनको अच्छी नजरों से नहीं देखेगा। बहुत ही दिल छू लेने वाला भाषण था क्योंकि मैं भी इस सच्चाई को गहराईयों तक जानती हूं।
पिछले 19 साल से बुजुर्गों और जरूरतमंद लड़कियों के लिए काम कर रही हूं, जिससे लोगों में मेरे काम की पहचान है तो मुझे बहुत सी जेलों से बहुत युवा या आम लोगों के पत्र आते हैं, जिसमें वो अपनी व्यथा बताते हैं, जिसे पढ़कर भी मैं बहुत भावुक होती हूं और उनके पत्रों को उनके स्थानीय लोगों को भिजवा भी देती हूं। अब कुछ सालों से कोई पत्र नहीं आया। मुझे लगता है उनका कुछ नहीं हुआ होगा, इसलिए वो भी हार कर बैठ गए। मेरा दिल भी ऐसे लोगों के लिए बहुत रोता है।
राष्ट्रपति जी ने अपने भाषण में सुप्रीम कोर्ट के जज और भी बहुत से जज थे उनके सामने अपनी बात रखी और उनको इसके बारे में सोचने के लिए कहा। कुछ दिन पहले मुझे पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार की किताब की लांचिंग पर पूर्व जस्टिस ठाकुर का भाषण सुनने को मिला और  उसके बाद इस्लामिक सैंटर में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कौल को सुनने का अवसर मिला, दोनों का भाषण सुनकर मैं बहुत प्रभावित हुई और देश के जजों पर गर्व हुआ, परन्तु राष्ट्रपति की बात पर भी गौर करने की जरूरत है और सभी को सकारात्मक सोच रखनेे की जरूरत है, ताकि किसी भी गरीब पर या छोटी गलती करने पर जिन्दगी तबाह न हो। इंसान गलतियों का पुतला है, सबसे गलती होती है, उसे सुधरने का मौका मिलना चाहिए या उसकी उस तरह की सजा हो कि उसे गलती का भी एहसास हो जाए। जिन्दगी भी खराब न हो, पर श्रद्धा जैसे कांड करने वालों को जो सुना जा रहा है अगर सही है  जितनी सजा मिले कम है।
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